Published: 16th July 2024
आइए समझते हैं कि कैसे AI की हाइप ट्रेन अपना सफ़र शरू होने से पहले कई बार पटरी से उतरेगी.
धीरेंद्र कुमार संपादक, dhanak.com
भारतीय IT सर्विस इंडस्ट्री में अब लगभग हर नए सौदे में AI को अहमियत दे सकती हैं. हालांकि, आज के तौर में तमाम कंपनियां AI के इस्तेमाल को बढ़ावा देती हैं. आने वाले दौर में प्रतिस्पर्धी और कुशल बने रहने के लिए AI बेहद ज़रूरी टूल बनने जा रहा है.
टेक जायंट और दूसरी कंपनियां आने वाले सालों में AI कैपिटल एक्सपेंडिचर पर $1 ट्रिलियन से ज़्यादा ख़र्च करने जा रही हैं. इस बात से AI की हाइप का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. वैसे, अभी तक इसके ज़्यादा नतीजे नहीं दिखे हैं. तो, क्या ये बड़ा ख़र्च कभी नतीजे देगा?
MIT के प्रोफ़ेसर डेरॉन ऐसमोग्लू की राय के मुताबिक़, अगले दशक में केवल 25% AI से ऑटोमेट हो सकने वाले काम ही आर्थिक तौर पर व्यवहार्य (Viable) होंगे. ये सभी कामों का 5% से भी कम होगा. समय के साथ टेक्नोलॉजी के ज़्यादा क़ारगर और कम ख़र्चीला होने के ऐतिहासिक पैटर्न को चुनौती देती है.
$1 ट्रिलियन की ग्रोथ और ऑपरेटिंग कॉस्ट को सही साबित करने के लिए, AI को मुश्किल और दुरूह समस्याएं हल करनी चाहिए. कोवेलो के मुताबिक़ आने वाले समय में AI की लागत कम हो सकती है. ऊंची शुरुआती लागत और GPU चिप्स जैसी अहम ज़रूरतों की जटिलता, इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा सीमित कर सकता है.
वैल्यू रिसर्च में इसके साथ काम के दौरान लगता है कि ये कई व्यवसायों और पेशों में इस्तेमाल होने वाला एक बेहतरीन टूल है. लेकिन शक़ के नज़रिए पर ग़ौर करें तो... AI में जो पैसा लगाया गया है और ज़ाहिर तौर पर आगे भी लगेगा, लेकिन इसका जवाब हवा में ही होगा. इतना ही नहीं, शक़ का नज़रिया भी कतई ग़लत नहीं होगा.
AI एक क्रांति है, लेकिन क्रांतियां कभी भी अपेक्षित दिशा में नहीं जाती हैं. AI का हमारे बच्चों के करियर पर क्या असर होगा - हम ये महसूस करने से ख़ुद को रोक नहीं पाते हैं कि AI हमारे दौर की बहुत बड़ी बात है.
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