NBFC जैसे वित्तीय संस्थान पैसों की ज़रूरत होने पर कॉर्पोरेट FD के ज़रिये पैसा जुटाते हैं. इसके लिए उन्हें RBI की मंज़ूरी लेनी होती है. बैंक FD की तरह इनकी मेच्योरिटी की एक मियाद होती है
Corporate FD में बैंक FD की तुलना में कुछ ज़्यादा ब्याज़ मिलता है
बैंक FD एक सीमा तक सेफ़ होती है. असल में DICGC की तरफ से बैंक FD को प्रति बैंक प्रति डिपॉज़िटर ₹5 लाख का इंश्योरेंस मिलता है. यानी बैंक के फ़ेल होने पर आपको ₹5 लाख तक रक़म मिलती है
हालांकि, कॉर्पोरेट FD किसी भी एजेंसी की तरफ़ से इंश्योर्ड नहीं होती है. इसीलिए, इनमें डिफ़ॉल्ट का रिस्क ज़्यादा होता है
1. कॉर्पोरेट FD की क्रेडिट रेटिंग 2. अवधि. 3. ब्याज दर और पे-आउट फ़्रीक्वेंसी. 4. शर्तें: अगर मेच्योरिटी से पहले पैसे निकालने हों. 5. टैक्स.