नवंबर 2023 में लॉन्च हुए 10 IPO में, भारत के इन्वेस्टर्स ने क़रीब ₹5.41 लाख करोड़ के निवेश के लिए आवेदन दिए हैं.
वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार के मुताबिक, IPO मार्केट का ये ट्रेंड संकेत देता है कि एक आम निवेशक की दिलचस्पी तेज़ी से पैसा बनाने और अटकलें लगाने में ज़्यादा है.
हक़ीक़त में, IPO तुरंत फ़ायदा पाने का मौक़ा दे सकते हैं, मगर ये रिस्की भी होते हैं. वहीं, क्वालिटी फ़ंड्स में लंबे समय में रिटर्न देने का एक मज़बूत ट्रैक रिकॉर्ड होता है.
IPO बड़ी संख्या में एक साथ आते हैं. जब कुछ IPO सफल होते हैं, तो ज़्यादा प्रमोटर अपनी क़िस्मत आज़माना शुरू कर देते हैं. इसका नतीजा होता है क्वालिटी में तेज़ गिरावट.
धीरेंद्र कुमार के मुताबिक, रिटेल इन्वेस्टर को IPO से पूरी तरह बचना चाहिए, फिर चाहे IPO पेश करने वाली कंपनी का बिज़नस मज़बूत ही क्यों न लगे.
किसी भी स्टॉक निवेश का सबसे अहम हिस्सा कंपनी का फ़ाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड और भविष्य में उसकी संभावनाएं होती हैं, जबकि एक IPO में ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता.