वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार के मुताबिक़, जब ब्याज़ दरें बढ़ती हैं तो डेट फ़ंड्स का रिटर्न कम हो जाता है और जब इंटरेस्ट रेट गिरता है तब डेट फ़ंड्स का रिटर्न बढ़ता है .
Debt Funds से फ़ायदा पाने के लिए उनमें ज़्यादा बदलाव या छेड़छाड़ न करें. फ़ायदे के लिए आपको इक्विटी फ़ंड्स के साथ रिस्क लेना चाहिए.
Debt Funds में रिस्क लेने के चक्कर में अगर कमजोर साख (क्रेडिट) वाले डेट फ़ंड में निवेश कर दिया तो आपका पैसा अटक भी सकता है.
Debt Funds में आपका पैसा सुरक्षित रहता है और कम उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. डेट फ़ंड कई कंपनियों के पेपर्स में निवेश करते हैं.
Debt Funds में बेहतर रिटर्न मिलता है. साथ में आपका पैसा डाईवर्सिफ़ाई रहता है. और, Debt Funds में लगे पैसे का बढ़ना तय होता है.
Debt Funds में जो आपको रिटर्न मिल रहा है, उस पर आपको टैक्स नहीं देना होता है. Debt Funds निवेश से पैसा निकालने पर ही टैक्स लगता है.