ये निवेश का ऐसा तरीक़ा है जिसमें कुछ फ़ैक्टर्स के आधार पर सिक्योरिटीज़ का चुनाव करना होता है. इन फ़ैक्टर्स में वैल्यू, साइज़, मोमेंटम, क्वालिटी और मार्केट के उतार-चढ़ाव जैसी बातें शामिल हो सकती हैं.
फ़ैक्टर इन्वेस्टिंग, एल्गोरिदम इन्वेस्टिंग का एक आकर्षक नाम है. निवेशक का काम अपनी समझ और रिसर्च के आधार पर नियम तय करना है. इसके लिए वे कई विकल्पों को आज़मा सकते हैं और बैकटेस्ट कर सकते हैं.
जब निवेशक की पूंजी दांव पर लगी होती है, तो प्रदर्शन का दबाव ज़्यादा हो सकता है. नुक़सान का डर, रणनीति से भटकने का लालच और अनिश्चित दौर में अनुशासन बनाए रखने की मुश्किल, ये सभी निवेश की रणनीतियों पर भारी पड़ सकते हैं.
तेज़ी के दौरान, तमाम रणनीतियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं. असल में, बाज़ार लंबे समय से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. पुरानी कहावत है, 'चढ़ती हुई लहरें सभी नावों को ऊपर उठा देती हैं'. असली टेस्ट तब होता है जब लहरें उतरने लगती हैं.
अनुभवी निवेशकों का व्यापक अनुभव और बाज़ार का पिछला व्यवहार उन्हें याद दिलाता है कि जो ऊपर जाता है, उसे नीचे भी आना चाहिए और इसी तरह उलटा भी होता है. ये समझ उन्हें एक संतुलित नज़रिए के साथ काम करने की समझ देती है.
हालांकि, निवेश में सफलता की चाभी केवल मार्केट के साइकल को समझने में नहीं है, बल्कि इसे लेकर अपनी मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया को मैनेज करने में भी है.