अगर आप Investment plan कर रहे हैं, तो Equity सबसे अच्छा विकल्प है. पर इक्विटी में काफ़ी ज़्यादा उठा-पटक होती है. कभी-कभी तो मार्केट की तेज़ गिरावट निवेशकों को ख़ासा डरा देती है.
आप पुराने डेटा पर ग़ौर करें, तो पाएंगे कि इक्विटी निवेश ही लंबे समय में महंगाई को मात देने में क़ामयाब रहा है. यहां लंबे समय का मतलब है 5 से 7 साल. आम तौर पर 5 से 7 साल में मार्केट का एक साइकल पूरा हो जाता है.
ये बात सही है कि ट्रेडिंग, BSE, Bull और सेंसेक्स जैसे शब्द काफ़ी आकर्षक लग सकते हैं. लेकिन किसी भी नए इन्वेस्टर के लिए इस तरह की इन्वेस्टिंग से बचना ही बेहतर होगा.
म्यूचुअल फ़ंड अपने मैन्डेट के हिसाब से निवेशकों का पैसा मैनेज करते हैं. म्यूचुअल फ़ंड, इक्विटी में निवेश का काम काफ़ी आसान कर देते हैं. वो ऐसे कि ये आपके पोर्टफ़ोलियो को डायवर्सिफ़ाई करके रिस्क कम कर देते हैं.
कम जोख़िम वाली स्कीम चुने, जो अच्छा रिटर्न दे सके. निवेश शुरू कर लेने के बाद आप दूसरे निवेश में संभावनाएं तलाशें. ये थोड़ा बोरिंग भले ही लगे, पर दौड़ने से पहले पैदल चल लेना हमेशा ही बेहतर होता है.
इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.