स्मार्ट-बीटा फ़ंड्स को समझने के लिए लिए हमें पहले बीटा और फिर, स्मार्ट कम्पोनेंट को समझना चाहिए.
इंडेक्स से मिलने वाले रिटर्न को बीटा कहते हैं. किसी शेयर का उतार-चढ़ाव संबंधित इंडेक्स जैसा ही है तो वो बीटा 1 होगा. स्मार्ट बीटा एक तरह का इंडेक्स फ़ंड है. इसमें इंडेक्स को पछाड़ने की कोशिश होती है.
स्मार्ट बीटा फ़ंड फ़ैक्टर स्टाइल पर आधारित है. ये एक्टिव, पैसिव और बीटा फ़ंड तीनों का मिलाजुला रूप है. इसमें फ़ंड मैनेजर इंडेक्स पर आधारित स्ट्रैटजी को फ़ॉलो करता है.
इसमें आपको 5 फ़ैक्टर देखने को मिलते हैं. वैल्यू, ग्रोथ, क्वालिटी, मूमेंटम और वॉलेटिलिटी.
इसमें जोखिम को ध्यान में रखकर निवेश होता है. रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देने में कारगर है. डायवर्सिफ़िकेशन का फ़ायदा मिलता है. एक्टिवली मैनेज्ड फ़ंड से कम एक्सपेंस रेशियो होता है.
इसका एक फ़ायदा ये भी है कि आपको स्मार्ट बीटा फ़ंड की सीमाएं मालूम होती हैं आपको मालूम होता है कि ये कहां निवेश करेंगे या कहां पर नहीं.
नुक़सान ये है कि ये न तो एक्टिवली मैनेज्ड रहे, न ही इंडेक्स फ़ंड रहे. हो सकता है कि कभी ऐसा दौर आए जब ये इंडेक्स फ़ंड को बीट न कर पाए, जिससे निवेशकों को मुश्किल हो सकती है.
स्मार्ट बीटा फ़ंड को सामान्य इक्विटी फ़ंड के तौर पर देखें. आपको इसकी ख़ूबियां समझ में आ रही हैं तो निवेश करें. इसके पोर्टफ़ोलियो समझें. अच्छी बात ये है कि ये अनुशासित तरीक़े से काम करता हैं.
अलग-अलग मार्केट कैप में फ़ंड के डायवर्सिफ़िकेशन को देखें और उसके निवेश के स्टाइल को समझें. ग्रोथ, वैल्यू में डायवर्सिटी चेक करें. मूमेंटम, लो वॉलेटिलिटी जैसे रिस्क को समझें.
इस लेख का उद्देश्य फ़ंड निवेश की जानकारियां देना है. इसे निवेश की सलाह न समझें.