स्टॉक वायर

KFC के इन दोनों दिग्गजों के मुनाफ़े में इतना फ़र्क़ क्यों?

हम दो एक-तरह के QSRs के परफ़ॉर्मेंस में फ़र्क़ की वजह तलाश रहे हैं

KFC के इन दोनों दिग्गजों के मुनाफ़े में इतना फ़र्क़ क्यों?

देवयानी इंटरनेशनल लिमिटेड (DIL) और सफ़ायर फूड्स इंडिया लिमिटेड (SFL) भारतीय QSR (क्विक सर्विस रेस्टोरेंट) मार्केट में दो बड़े खिलाड़ी हैं. दोनों, देश भर में Pizza Hut और KFC स्टोर चलाते हैं.

इसके बावजूद, दोनों कंपनियों के वैल्यूएशन में काफ़ी अंतर है, जिसमें देवयानी का वैल्यूएशन सफ़ायर से ज़्यादा है. आइए जानें क्यों.

अलग-अलग वैल्यूएशन की कहानी
पहली चीज़ जो हमने जांची, वो ये थी कि हरेक कंपनी अपनी इक्विटी पर कितना मुनाफ़ा कमाती है. इस मामले में देवयानी इंटरनेशनल काफ़ी बड़े मार्जिन से सफ़ायर फ़ूड्स से आगे है.

हमने जब इन कंपनियों के रिटर्न पर क़रीब से नज़र डाली तो पाया कि EBITDA (अर्निंग बिफ़ोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन एंड एमॉर्टाइज़ेशन) स्तर तक देवयानी और सफ़ायर के परफ़ॉर्मेंस के बीच थोड़ा बहुत ही अंतर है.

हालांकि, जैसे-जैसे हमने आगे की जांच-पड़ताल शुरू की तो हमें कई फ़र्क़ साफ़ नज़र आए. देवयानी की तुलना में सफ़ायर के पास बड़ा इक्विटी बेस है, जिसका ज़्यादातर हिस्सा मुख्य रूप से कैश और फ़िक्स्ड एसेट्स (विशेष रूप से प्लांट और मशीनरी और लीज़होल्ड इम्प्रूवमेन्ट्स) के रूप में है.

इसके अलावा, सफ़ायर के स्टोर्स की संख्या तो देवयानी के स्टोर्स की तुलना में कम है पर इसके स्टोर-संबंधित एसेट्स का स्तर देवयानी के बराबर है. नतीजतन, सफ़ायर के ज़्यादा वैल्यू वाले फ़िक्स्ड एसेट्स की वजह से डेप्रिसिएशन ख़र्च में बढ़ोतरी हुई है, जिससे इसके रिटर्न रेशियो पर असर पड़ा है.

ये भी पढ़िए- SIP पॉज़ करना चाहते हैं? यहां जानिए पूरा प्रोसेस

देवयानी और सफ़ायर के फ़ाइनेंशियल्स की तुलना (9M FY24)

सफ़ायर के पुराने स्टोर्स से जुड़ी समस्याएं इसके मुनाफ़े पर दबाव बढ़ा रही हैं

मीट्रिक SFL DIL
कुल स्टोर संख्या 850 1452
रेवेन्यू (करोड़ ₹) 1963 2509
EBITDA मार्जिन (%) 18.3 18.9
डेप्रिसिएशन (करोड़ ₹) 237 259
ब्याज़ ख़र्च (करोड़ ₹) 73 130
प्रॉफ़िट बिफ़ोर टैक्स (करोड़ ₹) (1) 54 85
शेयरहोल्डर इक्विटी (करोड़ ₹) (2) 1313 1023
(1) / (2) (%) 5.4 11.1
कैश और कैश इक्विवैलेन्ट (करोड़ ₹) 216 30
प्रॉपर्टी, प्लांट एंड इक्विपमेंट (करोड़ ₹) 871 1028
नोट: दिसंबर 2023 तक का P&L डेटा; सितंबर 2023 तक का बैलेंस शीट डेटा

ये फ़र्क़ क्यों?
ये समझने के लिए कि कम स्टोर होने के बावजूद सफ़ायर के फ़िक्स्ड एसेट्स देवयानी के बराबर क्यों है, हमें वक़्त में कुछ पीछे जाना होगा.

सफ़ायर फ़ूड्स के वजूद में आने से पहले, Yum! Brands (Pizza Hut और KFC की पेरेंट कंपनी) ने अलग-अलग छोटे ऑपरेटरों और एक बड़े ऑपरेटर (देवयानी इंटरनेशनल) को फ्रेंचाइज़ी देकर अपने स्टोर चलाए. हालांकि, छोटे ऑपरेटर उतने कुशल और सफल साबित नहीं हुए. इसलिए, Yum! Brands ने सभी छोटे ऑपरेटरों को एक-साथ जोड़ा और प्राइवेट इक्विटी प्लेयर्स के एक ग्रुप से संपर्क किया, जिन्होंने साल 2015 में सफ़ायर फ़ूड्स की स्थापना की.

फ़र्क़ समझने के लिए ये पहली ज़रूरी बात थी. दूसरी बात ये है:

FY24 की शुरुआत में सफ़ायर के मैनेजमेंट ने कहा कि कंपनी के ज़रूरत से ज़्यादा कैपेक्स (capex) की वजह पुराने स्टोर्स (जो पहले छोटे ऑपरेटरों द्वारा चलाए जाते थे) का रेनोवेशन होना है. मैनेजमेंट को उम्मीद है कि एक या दो साल में ये कैपेक्स स्थिर हो जाएगा.

इसलिए, हमने देवयानी की 'संख्या' के आधार पर सफ़ायर की इक्विटी और डेप्रिसिएशन को अडजस्ट करने का फ़ैसला किया ताकि ये पता लगाया जा सके क्या सफ़ायर के मैनेजमेंट का कहना सही है और ये भी कि इस हिसाब से कंपनी का रिटर्न रेशियो क्या होता.

एडजस्ट किया गया डेटा

अब तस्वीर काफ़ी अलग दिख रही है

मीट्रिक (करोड़ ₹ में ) सफायर देवयानी
EBITDA 358 474
adj. डेप्रिसिएशन 152 259
ब्याज़ ख़र्च 73 130
एडजस्टेड प्रॉफ़िट बिफ़ोर टैक्स (1) 133 85
एडजस्टेड प्रॉपर्टी, प्लांट एंड इक्विपमेंट 616 1028
एडजस्टेड शेयरहोल्डर इक्विटी (2) 872 1023
(1) / (2) (%) 20.4 11.1
नोट: शेयरहोल्डर इक्विटी को एक्स्ट्रा कैश और फ़िक्स्ड एसेट्स के साथ एडजस्ट किया गया

ध्यान दें कि ऊपर दिए गए डेटा का कैलकुलेशन सिर्फ़ अनुमान पर आधारित है क्योंकि सभी फ़ैक्टर को शामिल नहीं किया गया है. मिसाल के तौर पर, देवयानी अपने स्टोर्स की संख्या को बढ़ाने और अपने ब्रांड पोर्टफ़ोलियो (Costa Coffee, Vango, और The Food Street) के डायवर्सिफ़िकेशन को लेकर काफ़ी एग्रेसिव है. ये सभी ब्रांड अपने शुरूआती दौर में हैं और इन्हें बड़े स्तर पर पहुंचने में अभी और समय लगेगा.

लेकिन एक बात साफ़ है: एक बार जब सफ़ायर का कैपेक्स स्थिर हो जाएगा, तो इसका मुनाफ़ा भी बढ़ सकता है, और इस तरह इसके और देवयानी के वैल्यूएशन का अंतर कम होने की संभावना है.

हमारा मानना
इस समय, वैल्यूएशन में अंतर को सफ़ायर के कम मुनाफ़े के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है, पर भविष्य में इसके वैल्यूएशन का स्तर देवयानी के बराबर होने की संभावना है.

क्या इसका मतलब ये है कि सफ़ायर में निवेश करना एक अच्छा विकल्प साबित होगा? ये तो कोई नहीं जानता कि वैल्यूएशन का अंतर कितना कम हो सकता है. हो सकता है कि सफ़ायर के फ़ाइनेंशियल्स में कोई सुधार न हो और ये भी हो सकता है कि देवयानी को वैल्यूएशन में कमी का सामना करना पड़े.

इसके अलावा, भारतीय QSR कंपनियों को पिछले कुछ समय से मुश्किलों (महंगाई और लोकल प्लेयर्स से कड़ी टक्कर) का सामना करना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी ये कंपनियां काफ़ी ज़्यादा वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रही हैं.

इसलिए, समझदारी इसी में है कि स्टॉक ख़रीदने से पहले इंतजार करें और ये देखें कि आने वाले साल में सफ़ायर का प्रदर्शन कैसा रहता है.

ये भी पढ़िए- Mutual Fund बेचने से पहले ख़ुद से करें ये 6 सवाल


टॉप पिक

बाज़ार में उथल-पुथल है? आप गहरी सांस लीजिए

पढ़ने का समय 5 मिनटधीरेंद्र कुमार

म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को कैसे गिरावट से सुरक्षित करें?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

क्या चांदी निवेशकों का ‘नया सोना’ है?

पढ़ने का समय 3 मिनटKaran Jaiswal

35 फ़ंड जो करवाएंगे विदेश में निवेश

पढ़ने का समय 2 मिनटरिसर्च डेस्क

10 हाई क्वालिटी स्टॉक, जिनमें बने कमाई के मौक़े

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

दूसरी कैटेगरी