बचत और निवेश पर एक ग्रुप में चर्चा हो रही थी. इस बातचीत के दौरान मैंने किसी को ये पूछते सुना कि क्या निवेश की शुरुआत करने के बाद से ग्रुप के दूसरे लोग भी पहले से ज़्यादा पैसे बचाने लगे हैं?
जवाब में दूसरे शख्स ने कहा कि जब उन्होंने निवेश की शुरुआत नहीं की थी, तब वो छोटी-छोटी ग़ैर ज़रूरी चीज़ों पर काफ़ी पैसा ख़र्च करता था, मगर इस आदत से बचा जा सकता था. पर हुआ ये कि उसने एक म्यूचुअल फ़ंड (Mutual Fund) में लगातार निवेश करना शुरू किया और केवल इसी निवेश के प्रदर्शन पर नज़र रखने और इसे बढ़ता देखने से ही वो अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर काफ़ी सजग हो गया.
इसका नतीजा ये हुआ कि उसने ग़ैरज़रूरी चीज़ों पर ख़र्च करना बंद कर दिया और पहले से ज़्यादा पैसे बचाने लगा. दिलचस्प ये है कि इस चर्चा में कई और लोगों ने भी यही बात कही.
मेरा मानना है कि असल में ये काफ़ी सामान्य सा अनुभव है. मैंने वैल्यू रिसर्च के अपने कई युवा साथियों में इसे देखा है. शुरुआती स्तर पर, ज़्यादातर आप अगला मोबाइल फ़ोन ख़रीदने या अपनी पहली कार लेने का प्लान बनाते हैं और उसी के लिए पैसे बचाना शुरू करते हैं.
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फिर इसके बाद, बारी आती है टैक्स बचाने के लिए ELSS फ़ंड्स में निवेश करने की. इसके बाद लोग पैसे को एक अलग नज़रिए से देखने लगते हैं. उनके पास ख़र्च करने के लिए कम पैसा होता है, तो वो ज़्यादा सतर्क होकर ख़र्च करते हैं. जब वो ख़र्च नहीं कर रहे होते, तो अपने आप से कहते हैं कि ये ज़्यादा अच्छा है क्योंकि निवेश में उनका पैसा बढ़ रहा है. और इस तरह, वो पहले से ज़्यादा बचत करना चाहते हैं.
छोटी बचत से होती है शुरुआत
अब तो मैं गिनती ही भूल चुका हूं कि कितने युवाओं को मैंने ऐसा करते देखा है. वो एक छोटी बचत से शुरुआत करते हैं, आमतौर पर केवल टैक्स बचाने (Tax Savings) के लिए. और फिर कुछ ही समय में वे ज़्यादा पैसे बचाना शुरू कर देते हैं.
लेकिन ऐसा उन लोगों के साथ नहीं होता, जो PPF या किसी दूसरे टैक्स सेविंग डिपॉज़िट में हर साल पैसे जमा करते हैं. हालांकि, 15 साल का लॉक-इन पीरियड होने, और किसी भी अचानक मिलने वाले फ़ायदे की कमी का मतलब है कि बचतकर्ता निवेशक नहीं बन पाते. निवेशक बनने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना ज़रूरी होता है.
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क्या है निवेशक बनने की पहली शर्त
निवेशक बनने के लिए पहली शर्त है कि लगातार अनुशासन के साथ निवेश किया जाए, जैसे SIP के ज़रिए हर महीने का निवेश. दूसरी शर्त है, ऐसी जगह निवेश किया जाए जो अचानक फ़ायदा दे सकती हो. और तीसरी शर्त है कि निवेश का लॉक-इन पीरियड कम होना चाहिए, जिससे युवा निवेशक ये समझ सकें कि अगर वो निवेश को बनाए रखते हैं तो उन्हें ज़्यादा फ़ायदा होगा.
ये तीन शर्तें ही लोगों को छोटी बचत के साथ शुरुआत करने के बाद, ज़्यादा निवेश की प्रेरणा देती हैं. अगर आप हर रोज़ मीडिया में दिखाई जाने वाली बातों को देखेंगे, तो उसे एक ही शब्द में परिभाषित किया जा सकता है, 'ख़र्च'. मगर आपको 'बचत' के लिए इक्का-दुक्का संदेश ही नज़र आएंगे. और निवेश को लेकर जो भी प्रकाशित किया जाता है, अगर आप उसको देखेंगे तो लगेगा कि निवेश से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है कि निवेश कहां किया जाए. हालांकि, ये पहली नहीं, बल्कि दूसरी समस्या है.
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निवेश की सबसे बड़ी समस्या
ज़्यादातर लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या ये है कि या तो वे बचत करते ही नहीं हैं या फिर उतनी बचत नहीं करते, जितनी उन्हें करनी चाहिए. जो लोग बचत करते भी हैं, वो भविष्य की अपनी ज़रूरतों के बारे में सोचे-समझे बिना ऐसा करते हैं. इससे वो अपने पैसे को समय के साथ और ज़रूरत के मुताबिक़ बढ़ा नहीं पाते.
असल में, निवेश के मामले में हम सभी दोषी हैं क्योंकि हम इस बात पर ज़ोर देते हैं कि निवेश कहां करना है. इसमें एक संदेश छिपा होता है कि अगर आपकी बचत उस स्तर तक नहीं बढ़ रही है जितना आप चाहते हैं, तो इसे हल करने का तरीक़ा बेहतर निवेश के विकल्प खोजना है.
बचत करने वाले जब निवेश के बारे में सवाल पूछते हैं, तो इन्वेस्टमेंट मीडिया से जुड़े लोग भी उनको यही बताते हैं. हालांकि, बचत करने वालों के सवालों का सबसे सही जवाब है कि ज़्यादातर बचत करने वाले उतनी बचत नहीं करते जितनी उन्हें करनी चाहिए. और ज़्यादा बचत करने का असरदार तरीक़ा ये है कि आप SIP के जरिए व्यवस्थित रूप से निवेश करना शुरू करें.
देखिए ये वीडियो- SIP के लिए सबसे सही तारीख़ कौन सी?
ये लेख पहली बार जून 20, 2023 को पब्लिश हुआ.