फंड बेसिक

म्यूचुअल फ़ंड क्या हैं?

फ़ंड में निवेश से पहले हर किसी के लिए ये सवाल अहम है. यहां हम बता रहे हैं म्यूचुअल फ़ंड निवेश की हर बात.

म्यूचुअल फ़ंड क्या हैं?

Mutual Fund Meaning: म्‍यूचुअल फंड्स बहुत से लोगों से इकट्ठा किए पैसों का वो पूल होता है जिसे प्रोफ़ेशनल फ़ंड मैनेजर मैनेज करते हैं. ये एक तरह का ट्रस्‍ट है, जो बहुत से निवेशकों का पैसा सामूहिक तौर पर निवेश करता है. फ़ंड, निवेशकों का पैसा ले कर इक्विटी, बॉन्‍ड, मनी मार्केट इंस्‍ट्रुमेंट और दूसरी सिक्‍योरिटीज़ में निवेश करते हैं. सामूहिक निवेश से होने वाले मुनाफ़े (या नुक़सान) को निवेश के अनुपात में हर निवेशक के बीच बांटा जाता है. निवेशकों में मुनाफ़ा बांटने से पहले फ़ंड, अपनी स्‍कीम की नेट एसेट वैल्‍यू कैलकुलेट करता है और निवेश का पहले से तय ख़र्च काट लेता है. निवेश के ख़र्च या एक्सपेंस को ही एक्‍सपेंस रेशियो कहा जाता है. आसान शब्‍दों में कहें, तो बड़ी संख्‍या में निवेशकों द्वारा इकठ्ठा किया पैसा ही म्‍यूचुअल फ़ंड (Mutual Fund Definition) बनाता है.

'म्‍यूचुअल फ़ंड यूनिट' क्या होती है?
Mutual Fund Kya Hai: मान लेते हैं कि चॉकलेट के 12 बॉक्‍स हैं जिनकी क़ीमत ₹40 है. चार दोस्‍त, इस बॉक्‍स को ख़रीदने का फ़ैसला करते हैं. लेकिन हर एक के पास ₹10 ही हैं और दुकानदार खुले चॉकलेट नहीं बल्कि केवल बॉक्‍स ही बेचता है. अब, चारों दोस्‍त 10-10 रुपये इकट्ठा करते हैं और 12 चाकलेट का एक बॉक्‍स ख़रीद लेते हैं. म्‍यूचुअल फ़ंड की नज़र से देखें, तो अपने हिस्से के मुताबिक़ हर एक दोस्‍त को 3 चॉकलेट या 3 यूनिट मिलेंगी.

अब आप एक यूनिट का ख़र्च (या एक्सपेंस) कैसे कैलकुलेट करेंगे? ये करना काफ़ी आसान है. आपको कुल रक़म से चाकलेट की कुल संख्‍या का भाग देना होगा: यानी 40/12= 3.33

अब आप यूनिट की संख्‍या 3 को प्रति यूनिट ख़र्च को 3.33 से गुणा करते हैं, तो आपको अपना शुरुआती निवेश यानी ₹10 मिल जाएंगे.

इस तरह से हरेक दोस्‍त, चॉकलेट के बॉक्‍स का यूनिट होल्‍डर है यानी बॉक्‍स सामूहिक तौर पर चारों दोस्‍तों का है, और हरेक दोस्‍त के पास चाकलेट बॉक्‍स का एक हिस्‍सा है.

क्या होता है NAV या नेट एसेट वैल्‍यू?
अब बात करते हैं नेट एसेट वैल्‍यू (NAV) की. जिस तरह से एक इक्विटी शेयर का ट्रेड किया जाने वाला प्राइस होता है, तो उसी तरह से एक म्‍यूचुअल फ़ंड की प्रति यूनिट नेट एसेट वैल्‍यू होती है. ये NAV, उन सभी शेयर, बॉन्‍ड और सिक्‍योरिटीज़ की मिली-जुली वैल्‍यू है, जिनमें उस फ़ंड का निवेश होता है.

म्‍यूचुअल फ़ंड (Mutual Funds) निवेश उन निवेशकों के लिए अच्छा होता है जिनके पास निवेश के लिए बड़ी रक़म नहीं है और मार्केट की रिसर्च में न तो उनकी दिलचस्‍पी है और न ही समय, मगर वो मार्केट में निवेश से बड़ी पूंजी बनाना चाहते हैं. म्‍यूचुअल फ़ंड में इकट्ठा की गई रक़म को प्रोफ़ेशनल फ़ंड मैनेजर मैनेज करते हैं.

एक्सपेंस रेशियो या निवेश का ख़र्च क्या होता है?
कई तरह के फ़ंड होते हैं जिनमें फ़ंड मैनेजर अलग-अलग तरह से निवेश करते हैं. निवेश के हर तरीक़े का अपना एक लक्ष्‍य होता जिसे फ़ंड के डाक्‍यूमेंट में बताया जाता है. फ़ंड मैनेजर इसी लक्ष्‍य (mandate) के हिसाब से पैसे मैनेज करते हैं. निवेशकों का पैसा मैनेज करने के बदले में फ़ंड हाउस एक छोटी फ़ीस चार्ज करता है. इसी को एक्‍सपेंस रेशियो या निवेश का ख़र्च कहते हैं. म्‍यूचुअल फ़ंड कितनी फ़ीस चार्ज कर सकता है ये सेबी के नियम के हिसाब से तय होता है. सेबी ने इसकी एक सीमा तय की हुई है.

भारत की बचत दर, दुनिया के तमाम देशों में सबसे ज़्यादा है. बचत करने और पूंजी बनाने की चाहत को पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि भारतीय पारंपरिक निवेश के विकल्‍पों जैसे बैंक FD और गोल्‍ड में निवेश से हट कर म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश किया जाए. लेकिन जानकारी की कमी की वजह से देश की बड़ी आबादी में म्‍यूचुअल फ़ंड अब भी ज़्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाए हैं. हालांकि पिछले कुछ साल में फ़ंड निवेश करने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है.

इसे भी पढि़ए-Debt Funds किसके लिए सही हैं?

कितनी तरह के म्‍यूचुअल फ़ंड होते हैं?
मोटे तौर पर म्‍यूचुअल फ़ंड के तीन तरह हैं. इ‍क्विटी म्‍यूचुअल फ़ंड, डेट म्‍यूचुअल फ़ंड और हाइब्रिड म्‍यूचुअल फ़ंड. यहां हम इसके बारे में संक्षेप में जानकारी दे रहे हैं. किसी भी एक तरह के फ़ंड (fund) में निवेश करने वाले निवेशकों का मक़सद एक सा होता है.

इक्विटी म्‍यूचुअल फ़ंड क्या है?
ये ऐसी म्‍यूचुअल फ़ंड स्‍कीमें हैं, जो अपनी रक़म का बड़ा हिस्‍सा तमाम कंपनियों की इक्विटी या इक्विटी से जुड़ी सिक्‍योरिटीज में निवेश करती हैं. इक्विटी का मतलब होता है हिस्सेदारी. इसे स्टॉक या शेयर में निवेश भी कहते हैं. हालांकि किसी कंपनी के शेयरों में सीधे-सीधे निवेश करना काफ़ी सोचने समझने वाला काम होता है, पर म्यूचुअल फ़ंड के ज़रिए जो निवेश शेयरों में किया जाता है वो शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव का जोख़िम कहीं कम कर देता है. ऐसा इसलिए क्योंकि फ़ंड निवेशकों के पैसे को एक्सपर्ट मैनेज करते हैं. वैसे, स्‍टॉक्‍स इन्वेस्टमेंट, निवेश के पारंपरिक विकल्‍पों जैसे बॉन्ड, फ़िक्‍स्ड डिपॉज़िट की तुलना में ज़्यादा जोख़िम वाला होता ही है.

डेट म्‍यूचुअल फ़ंड क्या होते हैं?
डेट फ़ंड (debt fund) की स्‍कीमें मुख्य रूप से फ़िक्‍स्ड इनकम देने वाली डेट सिक्‍योरिटीज में निवेश करती हैं. डेट फ़ंड का सबसे बड़ा मक़सद कम समय में स्थिरता के साथ मुनाफ़ा देना होता है. क्योंकि इन फ़ंड्स में पूंजी को सुरक्षित रखने पर ज़्यादा ज़ोर होता है इसलिए इनमें फ़ंड निवेशक को सुरक्षा तो मिलती है पर मुनाफ़ा भी इक्विटी की अपेक्षा कम ही मिलता है.

हाइब्रिड म्यूचुअल फ़ंड क्या होते हैं?
हाइ‍ब्रिड म्‍यूचुअल फ़ंड स्‍कीमें इक्विटी और डेट में मिलाजुला निवेश करती हैं. इनमें इक्विटी और डेट दोनों का ही फ़ायदा उठाने की लक्ष्य होता है. इन फ़ंड्स की कोशिश होती है कि इक्विटी में निवेश से ऊंचा रिटर्न भी लिया जाए और डेट में निवेश करके फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो का रिस्क कम किया जाए और स्थिरता भी बनाए रखी जाए.

इसे भी पढिए- हाइब्रिड फ़ंड के क्या फ़ायदे हैं? किसके लिए सही है?

आप अपने लिए म्‍यूचुअल फ़ंड कैसे चुनें?
म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करने से पहले आपको ये पता करना चाहिए कि आप अपना पैसा क्यों जोड़ रहे हैं या निवेश करने जा रहे हैं. इसे आप अपना फ़ाइनेंशियल गोल कह सकते हैं. साथ ही आपको ये भी देखना चाहिए कि आप अपनी आमदनी का कुल कितना पैसा निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा, म्‍यूचुअल फ़ंड चुनते हुए आपको दूसरे कई फ़ैक्‍टर्स पर भी सोचना होगा. इन्हीं बातों की एक लिस्ट हम आपको दे रहे हैं जिसके आधार पर आपको अपने लिए सही म्‍यूचुअल फ़ंड चुनना चाहिए.

1. फ़ाइनेंशियल गोल
म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करने के लिए अपनी पैसों की ज़रूरतों को ध्‍यान में रखना चाहिए. अगर आप रिटायरमेंट, बच्‍चों की पढ़ाई या दूसरे ख़र्च के लिए बड़ी रक़म इकट्ठा करना चाहते हैं, तो आप निवेश के लिए स्‍मॉल-कैप या मिड-कैप इक्विटी म्‍यूचुअल फ़ंड पर विचार कर सकते हैं. कम समय के लिए निवेश करने के लिहाज़ से ये फ़ंड रिस्‍की होते हैं, क्योंकि इनमें लगातार उतार-चढ़ाव आता रहता है, लेकिन लंबे समय में ये फ़ंड ऊंचा रिटर्न देते हैं.

अगर आप कम समय के निवेश के लिए इन्‍वेस्‍टमेंट का सही ऑप्‍शन तलाश कर रहे हैं, तो आप डेट-फ़ंड (debt fund) चुन सकते हैं, ये अपेक्षाकृत कम रिस्‍क वाले होते हैं और लिक्विडिटी के मोर्चे पर भी बेहतर हैं.

2. फ़ंड का बीते वर्षों का प्रदर्शन
अपने फ़ाइनेंशियल गोल पर विचार करने और उसके हिसाब से सही म्‍यूचुअल फ़ंड कैटेगरी चुनने के बाद आपको उस कैटेगरी में टॉप परफॉर्मिंग म्‍यूचुअल फ़ंड चुनना होगा. भविष्‍य के रिटर्न का अनुमान लगाने के लिए आपको फ़ंड का बीते वर्षों का रिटर्न देखना होगा. अगर फ़ंड का 5 साल का सालाना रिटर्न उसके जैसे दूसरे फ़ंड्स और बेंचमार्क रिटर्न की तुलना में बेहतर है तो इसे निवेश के लिए अच्‍छी पसंद माना जाएगा.

3. एसेट अंडर मैनेजमेंट AUM
किसी फ़ंड के कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट की वैल्‍यू जितनी अधिक होगी, लंबे समय में ऊंचा रिटर्न देने की संभावना भी उतनी होगी. AUM का बड़ा साइज बताता है कि निवेशक फ़ंड पर भरोसा करते हैं. और इससे फ़ंड मैनेजर फ़ंड से एसेट बाहर जाने के डर के बिना तार्किक फ़ैसले ले पाते हैं.

4. निवेशक की रिस्‍क लेने की क्षमता
निवेश के लिए सही म्‍यूचुअल फ़ंड कैटेगरी का चुनाव निवेश की रिस्‍क लेने की क्षमता पर भी निर्भर करता है. अगर आप कंजरवेटिव निवेशक हैं यानी रिस्‍क नहीं लेना चाहते हैं, तो बेहतर है कि आप लार्ज-कैप इक्विटी फ़ंड, डेट फ़ंड या कंजरवेटिव हाइब्रिड फ़ंड चुनें, हालांकि अगर आप रिस्‍क ले सकते हैं, तो शानदार रिटर्न हासिल करने के लिए आप स्‍मॉल-कैप इक्विटी फ़ंड, या अग्र‍ेसिव हाइब्रिड फ़ंड चुन सकते हैं.

इसे भी पढि़ए: म्‍यूचुअल फ़ंड में कितना सुरक्षित है आपका निवेश?

म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश का तरीक़ा क्या है?
निवेशक, म्‍यूचुअल फ़ंड में दो तरीक़ों से निवेश कर सकते हैं, एकमुश्‍त निवेश (lump sum) या सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के ज़रिए. जब कोई नया निवेशक म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश के बारे में सोचता है, तो सबसे पहले उसके मन में यही सवाल होता है कि उसे म्‍यूचुअल फ़ंड में एक ही बार में सारे पैसे निवेश करने चाहिए या SIP के ज़रिए हर महीने की क़िश्तों में निवेश करना ज़्यादा बेहतर होगा.

एकमुश्‍त निवेश
जब कोई निवेशक एक बार में बड़ी रक़म म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करता है, तो इसे एकमुश्‍त निवेश कहा जाता है. अगर आपके पास निवेश के लिए बड़ी रक़म है और आप रिस्‍क ले सकते हैं तो आप एकमुश्‍त निवेश कर सकते हैं. हालांकि, बेहतर होगा कि आप ये रक़म 12 से 36 महीनों के दौरान फैला कर निवेश करें. इससे ये फ़र्क़ नहीं पड़ेगा कि मार्केट ऊंचा है या नहीं, एक अवधि में फ़ैला कर निवेश करने से निवेश की लागत औसत पर आ जाती है और निवेश का रिस्‍क भी कम हो जाता है.

सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान
सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान या SIP, म्‍यूचुअल फ़ंड में किश्तों में निवेश का तरीक़ा है. इसके तहत आप हर महीने एक तय रक़म SIP के ज़रिए नियमित तौर पर म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि इससे निवेशक में लगाता पैसे बचाने का अनुशासन आता है और उसके लिए हर महीने अपनी आमदनी से एक तय रक़म निकाल कर निवेश करना आसान होता है. SIP के ज़रिए आप 500 से 1,000 रुपए जैसी छोटी रक़म से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इस तरह से निवेश करने पर निवेश की लागत औसत हो जाती है और आपको मार्केट गिरने या बढ़ने की चिंता भी नहीं करनी पड़ती.

ये भी पढ़िए-Small Cap Funds: देखन में छोटे लगें, कमाई करें गंभीर...

ये लेख पहली बार जून 07, 2023 को पब्लिश हुआ.

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

जानें कब और क्यों डेट फ़ंड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं?

पढ़ने का समय 5 मिनटआकार रस्तोगी

निफ़्टी नेक्स्ट 50 ने निफ़्टी 50 को ज़्यादातर हराया: क्या अब पाला बदलने का वक़्त है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAmeya Satyawadi

Stock Rating Update: Coal India सहित इन 5 फ़ाइव-स्टार स्टॉक्स में बने मौके!

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

IDFC फ़र्स्ट बैंक बार-बार क्यों मांग रहा है पैसा?

पढ़ने का समय 5 मिनटKunal Bansal

वैल्यू रिसर्च धनक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

जुआ खेलने की चाह

जब निवेश एक जुए में बदल जाता है और जुआघर को छोड़कर हर कोई हारता है

दूसरी कैटेगरी