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जाकी रही भावना जैसी - सबका निवेश पोर्टफ़ोलियो एक जैसा क्यों नहीं हो सकता?

आपके पैसे, संपत्ति और निवेश का जितना गहरा ताल्लुक आपके मनोविज्ञान से है उतना और किसी चीज़ से नहीं

जाकी रही भावना जैसी - सबका निवेश पोर्टफ़ोलियो एक जैसा क्यों नहीं हो सकता?

निवेश की कला बहुत मुश्किल लगती है, क्योंकि लोग निवेश को जटिल विषय समझते हैं. उन्हें लगता है कि इसके लिए हिसाब-क़िताब और गणित में बहुत होशियार होने की ज़रूरत होती है. बहुत से लोग किसी जानने वाले से निवेश के तरीक़े सीख लेते हैं और फिर उसी की तरह निवेश करने की कोशिश करते हैं. और कई बार तो इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट भी अपने सभी निवेशकों को एक ही जैसा निवेश करवा देते हैं.

नतीजा? वही होता है जिसका डर होता है - कई बार निवेश डूब जाता है, या पूंजी उम्मीद से कहीं कम बढ़ती है, ज़रूरत पड़ने पर पैसा नहीं मिल पाता, और ऐसी कई मुश्किलें पेश आती हैं. ऐसे में निवेशक, ख़ासतौर पर, नए निवेशक डर जाते हैं और ये स्वाभाविक ही है.

तो क्या किया जाए? यहां हम यही कहेंगे कि अगर आप अपनी पूंजी वाक़ई बढ़ाना चाहते हैं, तो सबसे पहले खुद को समझें, और अपनी ज़रूरतें समझें. ये समझें कि पैसा मनोविज्ञान का खेल है. इसमें वक़्त ज़रा ज़्यादा लग सकता है, पर इसके नतीजे में आपकी पूंजी का और आपकी संतुष्टि का स्तर, दोनों ही कहीं ज़्यादा बेहतर होंगे.

पैसे को लेकर, हर व्यक्ति का नज़रिया अलग होता है. हर कोई जानता है कि उसे बचत करनी चाहिए, निवेश करना चाहिए, अपना पैसा बढ़ाना चाहिए. लेकिन ये समझना ज़रूरी है कि क्यों कुछ लोगों के हाथ में पैसे टिकते हैं, और वहीं कुछ दूसरों के हाथ से फिसल जाते हैं. क्यों कुछ लोग पैसा निवेश करने से घबराते हैं, और कुछ नहीं? क्यों कुछ लोग पैसे से पैसा बनाकर करोड़पति बन जाते हैं और कुछ पैसा गंवाकर कंगाल हो जाते हैं?

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यहां मैं आपको एक क़िताब के बारे में बताना चाहती हूं, मॉर्गन हाउज़ल (Morgan Housel) की लिखी, साइकोलॉजी ऑफ़ मनी (Psychology of Money) के मुताबिक़ धन, संपत्ति, और निवेश का, जितना नाता हमारी सोच और समझ से है उतना निवेश की किसी तकनीक से नहीं है.

मॉर्गन के मुताबिक़ - लोगों के अनुभव, उनकी परवरिश, उनका जीवन (ख़ासतौर पर बचपन और जवानी के शुरुआती साल), ये तय करता है कि पैसों को लेकर उनकी समझ कैसी होगी. ऐसे लोग, जिन्हें बचपन में कोई सुविधा नहीं मिलती, उनकी इच्छा अगर उतार-चढ़ाव वाले बाजार में जोख़िम न उठाने की हो, तो उन्हें कैसे दोष दिया जा सकता है?

इसे समझने के लिए मॉर्गन अमेरिकी लोगों की एक मिसाल देते हैं. लेकिन यही बात भारत के हमारे परिपेक्ष्य में भी लागू होती है. नए-नए आज़ाद भारत के सरकारी मुलाज़िमों के लिए पोस्ट ऑफ़िस का बचत खाता ही पैसे बचाने का सबसे सामान्य तरीक़ा था. उसके बाद बैंक आये, फिर निजी बैंक आये, फ़िक्स्ड डिपॉज़िट और रेकरिंग डिपॉज़िट, जिनका आज भी लाखों लोग अपनी बचत के लिए इस्तेमाल करते हैं.

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लेकिन इस पीढ़ी से ज़्यादातर लोग या तो सरकारी कर्मचारी थे, या मेहनतकश वर्ग के लोग थे. कुल मिलाकर सीमित संसाधनों और साधारण सपनों वाले लोग. एक मकान, बच्चों की पढ़ाई, लड़की की शादी, और वक़्त-बेवक़्त आने वाली मुसीबत के लिए थोड़ा पैसा बचाना - बस इतना ही मक़सद था.

लेकिन वक़्त के साथ-साथ जीवनशैली, नौकरियां, तनख्वाहें, बीमारियां, ख़र्च, महंगाई, सपने - सभी कुछ बदलता गया है. यही सबसे बड़ी वजह है कि पिछले 30 साल में लोगों का धन के प्रति नज़रिया भी बदला. इसका असर ये हुआ है कि लोगों के वित्तीय फ़ैसले भी बदले हैं.

ऐसे में, कुछ लोग जोख़िम उठाएंगे, कुछ नहीं उठाएंगे. कुछ बहुत सफल हो पाएंगे, और कुछ शायद डूब भी जायेंगे. ऐसे में किसी को भी ग़लत कैसे ठहराया जा सकता है?

अब आप पूछ सकते हैं कि इस 'ज्ञान' को जानने का क्या फ़ायदा अगर सब कुछ हमारे बचपन के अनुभवों का ही असर है? तो फ़ायदे वाली बात पर हम सिर्फ़ वही कहेंगे जो अरस्तु ने कहा था - "स्वयं को समझना बुद्धिमानी की शुरुआत है." और ये बुद्धिमानी के साथ-साथ बदलाव की शुरुआत भी है.

जब आप थोड़ा वक़्त निकालकर ये सोचने की और पहचानने की कोशिश करेंगे कि धन के साथ आपका अनुभव कैसा था, धन को लेकर आपके विचार क्या हैं, धन के बारे में आपके पूर्वाग्रह क्या हैं, तो आप ये भी समझ पाएंगे कि आपको अपनी पूंजी कहां और कैसे लगानी है? सही सवालों के साथ आप निवेश के सही विकल्प चुन पाएंगे. आपका पैसा आपके लिए काम करेगा, बजाय इसके कि आप पैसा कमाने के लिए लगातार खटते रहें.

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कुछ अहम बातें जो आपको याद रखनी चाहिए -
1. सबसे पहले, अपने आपको और अपनी आर्थिक ज़रूरतों को पहचानें
2. तय करें कि आपको किस चीज़ के लिए और कितना पैसा चाहिए
3. ख़ुद से पूछें कि आप कब तक लगातार निवेश कर सकते हैं
4. निवेश की अवधि के मुताबिक़ ही अपने निवेश का तरीक़ा चुनें
5. थोड़े समय में ज़रूरत पड़ने वाले पैसों के साथ रिस्क नहीं लें
6. बड़े फ़ायदे के लालच में न आएं और अपने निवेश के गोल पर नज़र बनाए रखें
7. ख़याल रखें कि आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो आपका व्यक्तिगत है, इसलिए कतई ज़रूरी नहीं कि वो आपके भाई, बहन, दोस्त, रिश्तेदार के पोर्टफोलियो जैसा हो
8. हर कुछ दिनों में बाज़ार के उतार-चढ़ाव और दूसरी घटनाओं से घबराएं नहीं
9. अपने गोल के मुताबिक़ अपना निवेश जारी रखें

ये सच है कि आपके धन का एक गणित है, मगर पैसों के प्रति आपका नज़रिया, आपका स्वभाव और आपका अनुशासन तय करेगा कि आपके धन के साथ क्या होता है.

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ये लेख पहली बार अप्रैल 26, 2023 को पब्लिश हुआ.

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