ये दौर है, हर क़ीमत पर ग्रोथ पाने का। ऐसा कम ही होता है कि कोई वैल्यू इन्वेस्टर, एक भीड़ अपनी ओर आकर्षित कर पाए। लेकिन, पबराय इन्वेस्टमेंट फ़ंड्स (Pabrai Investment Funds) और धंधो फ़ंड्स (Dhandho Funds) के सीईओ मोहनीश पबराय जब कुछ कहते हैं, तो लोग उन्हें ध्यान से सुनते हैं।
दिसंबर 2020 में पबराय, पीकिंग यूनीवर्सिटी में एक सेमीनार में छात्रों के साथ 1 घंटे तक रहे। यूं तो पूरा सत्र हर एक इन्वेस्टर के लिए शानदार दावत रहा, पर द धंधो इन्वेस्टर (The Dhandho Investor) क़िताब के लेखक से जब मौजूदा मार्केट पर उनकी राय और मार्केट में 30 साल के दौरान मिली सीख के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने खुल कर अपनी बातें रखीं।
यहां, इसी सेमिनार की कुछ ख़ास बातें हम आपके साथ बांट रहे हैं:
हमेशा ऐसा नहीं होता कि अच्छे बिज़नेस, अच्छे इन्वेस्टमेंट भी हों
जब स्टेज पर कोई अनुभवी इन्वेस्टर हो, तो सामान्य है कि भीड़ अच्छे निवेश या विनर को पहचाने के तरीक़े जानना चाहें। हालांकि पबराय के जवाबों ने कुछ लोगों को चौंका दिया।
जब पबराय से पूछा गया कि कौन सी बातें एक बिज़नस को अच्छा इन्वेस्टमेंट बनाती हैं, तो उन्होंने कहा "ये बात अच्छे बिजनेस की नहीं है, ये बात शानदार इन्वेस्टमेंट की है। कोई एक कंपनी बहुत अच्छी हो सकती है लेकिन हो सकता है वो एक अच्छा इन्वेस्टमेंट नहीं हो। वहीं हो सकता है एक कंपनी बहुत अच्छी नहीं हो, लेकिन वो एक शानदार इन्वेस्टमेंट हो सकती है। आमतौर पर, अच्छी सुरक्षा-खाई (companies with a moat) वाली बहुत अच्छी कंपनियां, कोई बढ़िया इन्वेस्टमेंट नहीं होंगी क्योंकि उनके बारे में हर कोई जानता है, और ये चीज़ उनके स्टॉक की क़ीमतों में पहले ही शामिल हो चुकी होती है।
आपको हमेशा सही नहीं होना, बस ग़लतियां कम करनी हैं
एक आम सोच है कि निवेश में ग़लतियों की गुंजाइश नहीं होती। लेकिन अगर आप ऐसे निवेशकों से पूछेंगे जिन्होंने मार्केट के उतार-चढ़ाव बड़े पैमाने पर अनुभव किए हैं, तो वे एक अलग ही कहानी बताएंगे
ऐसे में जब पबराय से सफल निवेश का राज़ पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "आप इन्वेस्टिंग में 40 प्रतिशत ग़लत हो सकते हैं, पर तब भी आप पैसा बना लेंगे"।
अच्छा मैनेजर हमेशा बचत करता है, ज़िंदगी और इन्वेस्टमेंट दोनों में
ये मायने नहीं रखता है कि बिज़नस मॉडल कितना मज़बूत है, कुशल-प्रबंधन के बिना ये ढह जाएगा। लेकिन सवाल है कि ये पता कैसे करें कि मैनेजमेंट सक्षम है या नहीं।
पबराय का कहना है कि मैनेजमेंट की हिस्टॉरिकल परफ़ॉर्मेंस देखने करने के अलावा, निवेशकों को ये भी देखना चाहिए कि मैनेजमेंट के स्वभाव में बचत है या नहीं।
कंपनी छोटी हो तब दांव लगाएं
इसकी कुछ वजह है कि छोटे निवेशक काफ़ी जोख़िम ज़्यादा होने के बावजूद छोटी कंपनियों की ओर खिंचे चले आते हैं। ग्रोथ सबको चाहिए। छोटी कंपनियों में ग्रोथ की गुंजाइश काफ़ी ज़्यादा होती है। सवाल है कि स्माल-कैप बास्केट से जोख़िम कम कैसे किया जाए, या सबसे कम जोख़िम वाले स्टॉक की पहचान कैसे होगी। पबराय मानते हैं कि जब छोटी कंपनियों की बात आती है तो मैनेजमेंट काफ़ी बड़ा रोल निभाता है। बड़ी कंपनियों के पास आज़माए हुए और अच्छा वर्क-कल्चर लागू करने के लिए काफ़ी समय होता है, लेकिन छोटी कंपनियों के मामले में टॉप मैनेजमेंट का कल्चर ही पूरी कंपनी का कल्चर होता है।
हर छोटी कंपनी बड़ी नहीं बनती
पबराय को ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति के तौर पर जाना जाता रहा है, जो 1 डॉलर वाली कंपनी को 40 सेंट में ले सकता है, यानि आपके पैसे को दोगुना या तीन गुना करने की संभावना वाली कंपनी की आसानी से पहचान कर सकता है।
हालांकि, इस स्ट्रैटेजी का सबसे बड़ा जोख़िम है कि अगर आप सही हैं, तो आपका रिटर्न आसमान छू सकता है और अगर ग़लत हुए नुक़सान भी उतना ही बड़ा होता है।
छोटी कंपनियों में जोख़िम पर पूछे जाने पर पबराय का जवाब था "पूंजीवाद की एक चीज़ ये है कि बहुत सारी छोटी कंपनियां कभी बड़ी नहीं बन पाएंगी। ये हमेश छोटी ही रहेंगी। बहुत छोटी संख्या में कंपनियों के पास कुछ ऐसा असामान्य होगा, जो उनको बड़े होने में मदद करेगा क्योंकि पूंजीवाद बहुत भयानक होता है।
ये लेख पहली बार दिसंबर 29, 2022 को पब्लिश हुआ.