क़रीब एक महीने पहले HSBC mutual fund ने
ऐसे में निवेशकों के लिए ये जानना जरूरी है कि उनके निवेश की वैल्यू और नेट एसेट वैल्यू, यानी NAV पर इसका क्या असर होगा?
जब दो म्यूचुअल फ़ंड स्कीमों का विलय होता है तो आपके मौजूदा निवेश की कुल मार्केट वैल्यू आंकी जाती है और नई स्कीम की यूनिट इसी अनुपात में अलॉट की जाती है और निवेश की वैल्यू वही रहती है।
उदाहरण से समझते हैं
मान लेते हैं कि दो फ़ंड हैं- फ़ंड A और फ़ंड B, फ़ंड A का विलय फ़ंड B में हो रहा है। आपने कुछ महीने पहले ₹1.5 लाख का निवेश फ़ंड A में किया था। निवेश ₹100 के NAV पर किया गया था। तो इस तरह से आपको 1,500 यूनिट (₹1.5 लाख को ₹100 से भाग देने पर) मिले थे। अब फ़ंड का NAV बढ़ कर ₹160 हो गया है और निवेश की वैल्यू ₹2 लाख हो गई है।
इसी तरह से, मान लेते हैं कि फ़ंड B की NAV ₹170 है। तो आपको 1,176.47 यूनिट (₹2 लाख को ₹170 से भाग देने पर) अलॉट की जाएंगी। आपके निवेश की वैल्यू ₹2 लाख ही रहेगी। सिर्फ़ जो यूनिट आप अपने पास रखेंगे उसकी संख्या बदल जाएगी।
ये बस सांकेतिक बदलाव है और एक निवेशक को इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। जब भी आप अपने निवेश को भुनाने का फैसला करते हैं तो कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेट करने के लिए भी ओरिजनल परचेज़ प्राइस और निवेश की डेट ही ली जाएगी।
हालांकि, इस समय ये चेक करना जरूरी है कि क्या सरवाइविंग या ट्रांसफर होने वाली स्कीम आपकी निवेश जरूरतों के हिसाब से सही है। अगर ऐसा है, तो स्कीम के साथ बने रहें और अगर ऐसा नहीं है, तो स्कीम से बाहर निकल सकते हैं।
ये लेख पहली बार नवंबर 15, 2022 को पब्लिश हुआ.