एक पुरानी कहावत है। अगर आप किसी लकीर को छोटा करना चाहते हैं तो उसे मिटाने की जरूरत नहीं हैं। उस लकीर के बगल में बस आपको एक बड़ी लकीर खींचनी है और आपका काम हो गया। हमारी जिंदगी से जुड़ी तमाम दूसरी चीजों के अलावा महंगाई को लेकर भी यह बात काफी मौजू है।
कोराना के बाद की दुनिया में महंगाई का बोलबाला है। और ऐसा कोई संकेत नहीं मिल रहा है कि जल्दी ही इससे राहत मिलने वाली है। अब हमारे पास एक ही रास्ता बचता है कि हम इस बढ़ती महंगाई को मात देने का इंतजाम करें। कुछ ऐसा करें जिससे हमारी रकम महंगाई की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़े। यानी हम महंगाई की तुलना में बड़ी लकीर खींच दें। इस तरह से हम महंगाई के असर को बेअसर कर सकते हैं।
सवाल उठता है कि ऐसा कौन सा तरीका है जिससे हम अपनी रकम तेजी से बढ़ा सकें। इतनी तेजी से कि महंगाई की रफ्तार रकम बढ़ने की रफ्तार से काफी पीछे छूट जाए। यह तरीका है बचत और निवेश का। और सिर्फ एक ही असेट क्लॉस है, जो आपके लिए यह काम कर सकती है। यह है इक्विटी।
जी हां। इक्विटी लंबी अवधि में आपको महंगाई के असर को मात देने लायक रिटर्न दे सकती है। महंगाई के असर को मात देने लायक रिटर्न से मतलब है कि अगर महंगाई सालाना 7 फीसदी की दर से बढ़ रही है तो आपकी पूंजी 10-11 फीसदी की दर से बढ़नी चाहिए। यानी आपका रिटर्न सालाना 10-11 फीसदी होना चाहिए। अगर महंगाई के लिहाज से देखें तो यहां पर आपका निवेश 3-4 फीसदी रिटर्न देगा। इसे रियल रिटर्न कहते हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि अगर हमारा निवेश किसी ऐसी असेट में हैं, जहां हमें महंगाई दर के आस-पास ही रिटर्न मिल रहा है तो यह निवेश हमारा कुछ खास भला नहीं कर रहा है। यानी अगर हमें 7-8 फीसदी ही रिटर्न मिल रहा है और महंगाई दर भी 7-8 फीसदी है तो हम कुछ भी हासिल नहीं कर रहे हैं। हमारा निवेश जितना रिटर्न हासिल कर रहा है महंगाई उस रिटर्न को खा पीकर खत्म कर दे रही है। यानी हमारे लिए तो कुछ बच ही नहीं रहा है। यह बात रकम की परचेजिंग पॉवर के लिहाज से कही जा रही है।
इसे और बेहतर तरीके से ऐसे समझ सकते हैं। मान लेते हैं कि आज आपके पास 5 लाख रुपए हैं। और मौजूदा समय में आप 5 लाख रुपए में एक अच्छी कार खरीद सकते हैं। अब आप इस रकम को निवेश कर देते हैं और 10 साल बाद यह रकम बढ़ कर 10 लाख रुपए हो जाती है। तो आपको लगेगा कि 10 साल में मेरी रकम दोगुनी हो गई। लेकिन बहुत कम लोग ही इस बात पर गौर करेंगे कि 10 साल में कार की कीमत भी बढ़ कर 10 लाख रुपए हो गई है। यानी महंगाई भी दोगुनी हो गई। ऐसे में आपकी रकम तो बढ़ी लेकिन उस की परचेजिंग पॉवर नहीं बढ़ी। ऐसा महंगाई की वजह से हुआ है। अब आप समझ गए होंगे कि महंगाई के असर को मात देने के लिए निवेश पर 3-4 फीसदी रियल रिटर्न हासिल करना क्यों जरूरी है।
इक्विटी ने खुद को किया है साबित
पिछले 10 सालों के इक्विटी फ्लेक्सी कैप फंड के प्रदर्शन से साफ है कि इस कैटेगरी का रिटर्न महंगाई दर की तुलना में काफी अधिक रहा है। पिछले 10 वर्षों में सिर्फ एक बार 2013 में महंगाई दर दोहरे अंक में पहुंची है। बाकी वर्षों में यह यह 10 फीसदी से काफी कम रही है। वहीं फ्लेक्सी कैप फंड कैटेगरी का रिटर्न 12 फीसदी से ऊपर ही रहा है।
ये लेख पहली बार अक्तूबर 19, 2022 को पब्लिश हुआ.