जब हम किसी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने की बात सोचते हैं, तो हम उसके पिछले प्रदर्शन की जांच करते हैं. इसके लिए हमारे पास दो तरीक़े हैं: पहला है ट्रेलिंग रिटर्न (trailing return) और दूसरा है रोलिंग रिटर्न (rolling return). ये हमें, फ़ंड के प्रदर्शन को समझने से साथ-साथ बेंचमार्क और उसके साथियों से तुलना करने में मदद करते हैं. आइए इन दोनों को विस्तार से समझते हैं.
ट्रेलिंग रिटर्न दो तारीख़ों के बीच रिटर्न कैलकुलेट करता है. इसे पॉइंट-टू-पॉइंट रिटर्न (point-to-point return) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें आप शुरुआत की तारीख़ और आख़िरी तारीख़ के बीच का प्रदर्शन देखते हैं. ये एक ख़ास अवधि में म्यूचुअल फ़ंड का एक लेखा-जोखा दिखाता है. इसका इस्तेमाल ईयर-टु-डेट (YTD), एक साल, तीन साल आदि का रिटर्न कैलकुलेट करने के लिए किया जा सकता है. ट्रेलिंग रिटर्न का कैलकुलेशन फ़ंड के वजूद में आने से लेकर मौजूदा समय तक किया जा सकती है.

अगर हम फ़ॉर्मूला देखें, तो ट्रेलिंग रिटर्न दो प्राइज़ पॉइंट्स - आज का NAV और पहले का NAV - पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, पांच साल का ट्रेलिंग रिटर्न आज के NAV और पांच साल पहले के NAV के बीच सालाना आधार पर अंतर दिखाता है. मान लीजिए कि आपके फ़ंड का NAV 28 जून 2017 को ₹120 था और 28 जून 2022 को ये ₹250 है. तो, ट्रेलिंग रिटर्न 15.81 फ़ीसदी होगा.
ये म्यूचुअल फ़ंड का मूल्यांकन करने का काफ़ी आसान तरीक़ा है क्योंकि इसमें आप पहले ही हो चुके प्राइज़ के उतार-चढ़ाव को मापते हैं. आप इस तरीक़े को धनक पर किसी भी फ़ंड के पेज़ पर 'ट्रेलिंग रिटर्न (%)' टैब तक स्क्रॉल करके आसानी से पा सकते हैं. ये इस तरह दिखेगा:
ट्रेलिंग रिटर्न (%)

दूसरी ओर, रोलिंग रिटर्न एक विशेष अवधि का औसत सालाना रिटर्न होता है. ये और कुछ नहीं, एक तरह से दैनिक, साप्ताहिक या मासिक जैसे अंतराल पर कैलकुलेट किया गया ट्रेलिंग रिटर्न होता है. ये तरीक़ा पिछले रिटर्न की तुलना में फ़ंड के प्रदर्शन की एक व्यापक तस्वीर दिखाता है. इससे हमें अलग-अलग समय पर फ़ंड के प्रदर्शन को साफ़ तौर से कैलकुलेट करने में मदद मिलती है और ये फ़ंड के वास्तविक प्रदर्शन को ज़्यादा अच्छे से दिखाता है. चूंकि ये अलग-अलग अवधि पर आधारित होता है, इसलिए इसमें किसी ख़ास अवधि के दौरान फ़ंड के लगातार रिटर्न देने की क्षमता का विश्लेषण किया जा सकता है क्योंकि ये मार्केट के अपट्रेंड और डाउनट्रेंड दोनों को ध्यान में रखता है.
तारीख़ | NAV | रिटर्न |
---|---|---|
14 मार्च 2019 | ₹119 | |
15 मार्च 2019 | ₹122 | |
16 मार्च 2019 | ₹125 | |
17 मार्च 2019 | ₹121 | |
18 मार्च 2019 | ₹120 | |
14 मार्च 2024 | ₹248 | 15.82% |
15 मार्च 2024 | ₹247 | 15.15% |
16 मार्च 2024 | ₹245 | 15.41% |
17 मार्च 2024 | ₹249 | 15.53% |
18 मार्च 2024 | ₹250 | 15.81% |
ट्रेलिंग रिटर्न के एक उदाहरण के आधार पर रोलिंग रिटर्न पता लगाना - मान लीजिए, हम पिछले पांच साल की एक अवधि के NAV की वैल्यू लेते हैं और 14 मार्च 2019 से 18 मार्च 2024 के बीच की तारीख़ों के लिए पांच साल के ट्रेलिंग रिटर्न कैलकुलेट करते हैं; और फिर ट्रेलिंग रिटर्न को एक के बाद एक रखते हैं, तो हमें रोलिंग रिटर्न मिल जाएगा. जैसा कि हम इस उदाहरण में देख सकते हैं, रिटर्न काफ़ी एक जैसे प्रदर्शन वाला दिख रहा है.
रोलिंग रिटर्न एक प्रीमियम फ़ीचर है और धनक प्रीमियम के प्रीमियम सब्सक्राइबर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. आप किसी भी फ़ंड के पेज़ पर 'परफ़ॉरमेंस' टैब के तहत 'रोलिंग रिटर्न' चुन कर, इसे देख सकते हैं. निवेशक कस्टम तारीख़ें जोड़ सकते हैं और रोलिंग रिटर्न वाला साल बदल सकते हैं. ये इस तरह दिखेगा:

ट्रेलिंग रिटर्न का नुक़सान ये है कि ये पूरी तस्वीर नहीं दिखाता. अगर आपने चुनिंदा रूप से सबसे कम NAV वाली शुरुआती तारीख़ और सबसे ज़्यादा NAV वाली आख़िरी तारीख़ ली है, तो ये एक अच्छा रिटर्न दिखाता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि फ़ंड ने बाक़ी दिनों में भी अच्छा प्रदर्शन किया हो. किसी निवेशक के लिए ऐसे दिनों का चुनाव बहुत मुश्किल होता है और इनके बीच भारी अंतर भी हो सकता है. रोलिंग रिटर्न इस समस्या को हल करता है और ये साफ़ तस्वीर दिखाता है कि आपके फ़ंड ने समान अवधि में निरंतर कितना रिटर्न दिया है.
ये लेख पहली बार अप्रैल 19, 2024 को पब्लिश हुआ.