म्यूचुअल फंड सही है

इतना सन्‍नाटा क्‍यों है?

100 रु की सालाना बचत में से 7 रु से भी कम म्‍यूचुअल फंड के हिस्‍से में आते हैं

इतना सन्‍नाटा क्‍यों है?

देश भर के लोग अगर हर साल ₹100 बचाते हैं, तो इसमें से क़रीब ₹7 रुपए ही म्‍यूचुअल फ़ंड में लगाए जाते हैं। यानी कुल बचत में से म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश की जाने वाली रक़म 7 फ़ीसदी से भी कम है। यह बात हम नहीं रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट कह रही है। और ये आंकड़े ऐसे दौर के हैं, जब देश में SIP अकाउंट की संख्‍या 5 करोड़ पार कर गई है। सचिन तेंदुलकर भी टीवी के विज्ञापनों में कह रहे हैं 'म्‍यूचुअल फ़ंड सही है’। आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि कोरोना काल की मुश्किलों से उबर रहे लोग, अब बचत और निवेश को लेकर ज्यादा संजीदा दिख रहे हैं।

कितना बदल गया जमाना

अगर एक दशक पहले से तुलना करें, तो आज हालात काफ़ी बेहतर नजर आएंगे। लेकिन पिछले एक दशक में लोगों के जीवन में जो बदलाव आए हैं, उसकी तुलना अगर बचत और निवेश की दुनिया से करें, तो साफ दिखता है कि यहां बदलाव बहुत मंथर गति से हो रहा है। आज से एक दशक पहले इंटरनेट की 2G स्‍पीड भी लग्‍ज़री थी। बहुत कम लोग ही अफ़ोर्ड कर पाते थे। आज गांव-गांव में लड़के 4G स्‍पीड पर सवार होकर, पूरी दुनिया झांक लेते हैं। एक दशक पहले, सरकारी स्‍कीमों की रक़म सीधे लाभार्थी के बैंक अकाउंट में देने की बात हो रही थी। आज ये हक़ीक़त है, और 10 करोड़ से ज़्यादा परिवार इसका फ़ायदा उठा रहे हैं।

एक दशक पहले मोबाइल पर मिनटों में ओला-उबर बुक करने का दौर शुरू नहीं हुआ था। और आज लोग ओला-उबर का भी विकल्‍प तलाशने लगे हैं।

अब भी बचत पर FD-RD का कब्‍जा

कुल मिला कर, आज का भारत एक दशक पहले के भारत से कई मायनों में अलग दिखता है। हालांकि ये बदलाव अच्‍छा है या बुरा, इस पर सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है। लेकिन बचत और निवेश की बात करें, तो देश अब भी FD और RD के कब्‍ज़े में है। कुल बचत का 50 फ़ीसदी से भी अधिक पैसा बैंकों और पोस्‍ट ऑफ़िस में जमा हो रहा है।

क्‍या अमीरों का शगल है फ़ंड में निवेश

अब सवाल है कि ऐसा क्‍यों है? ख़ास कर तब, जब म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है। इसका क़ारोबार, सरकारी नियम-क़ानूनों के तहत हो रहा है और रिटर्न भी शानदार हैं। साथ ही ज़रूरत पड़ने पर पैसा कभी भी निकाला जा सकता है। ऐसा लगता है कि लोगों को निवेश के इस फ़ायदे से दो ही चीज़ें रोक रही हैं, पहला है जानकारी का अभाव और दूसरा है भरोसे का संकट।

भरोसे का संकट है बड़ा

लोगों तक मार्केट और म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश पर जानकारी पहुंच रही है? वे निवेश करना भी चाहते हैं लेकिन भरोसा नहीं है कि ये जानकारी कितनी सही है या कितनी कारगर है। और फिर सौ बातों की एक बात कि मुफ्त की मेहरबानी क्‍यों?

Value Research भी यही काम बहुत लंबे अरसे से कर रहा है। लगभग तीन दशक से। पर्सनल फाइनेंस पर सलाह और जानकारी देने वाले तमाम प्‍लेटफॉर्म के बीच Value Research इस मायने में अलग है कि इसके साथ भरोसे का संकट कभी नहीं रहा। आप खुद आजमा सकते हैं। बस एक क्लिक दूर है valueresearchonline.com.

ये लेख पहली बार जून 02, 2022 को पब्लिश हुआ.

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