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निवेश पर मनीष गुणवानी के अहम सबक़

निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फ़ंड के सीईओ (इक्विटी निवेश), मनीष गुणवानी ने अपने करियर के बहुत से अनुभव हमसे शेयर किए। उनकी कही कुछ बातें हम आपके लिए इस आर्टिकल में लाए हैं। उनकी निवेश की समझ और अनुभव, आपको भी एक स्मार्ट निवेशक बनने में काफ़ी मदद कर सकते हैं।

निवेश पर मनीष गुणवानी के अहम सबक़

मैंने ज़िंदगी की ही तरह, निवेश में भी पाया है कि हैरी पॉटर के डंबलडोर की बातों से काफ़ी कुछ सीखा जा सकता है। मैं, यहां उनकी कही चार प्रभावशाली बातों पर अपनी राय आपके सामने रख रहा हूं जो निवेश की दुनिया के लिए भी सही हैं:

बजाए हमारी क़ाबिलियत के हमारे चुनाव के फ़ैसले, सही मायने में हमारी असलियत ज़ाहिर करते हैं
मेरे अनुभव में, सबसे बड़ी ग़लतियां तब नहीं होतीं जब हम ग़लत अनालेसिस करते हैं, पर तब होती हैं, जब भावानाओं और इन्सेंटिव जैसी चीज़ों का ‘दिमाग़ी शोर’ हम पर छाया होता है। दरअसल ये वो विकल्प होते हैं, जिन्हें हम लगातार चुन रहे होते हैं। मेरी सबसे बड़ी सीख मुझे 2007 में मिली। तब मैं रियल इस्टेट की सेल्स-साइड में काम करता था और उस वक़्त का सारा डेटा कह रहा था कि स्टॉक्स बहुत ज़्यादा ओवर-वैल्यूड हैं, मगर तब इतनी लीक्विडिटी और फ़ंड-रेज़िंग थे कि मैं उसमें बह गया और मार्केट के शिखर (Peak) को पहचान नहीं पाया।

एक वक़्त आएगा जब हमें ‘आसान’ और ‘सही’ के बीच किसी एक का चुनाव करना होगा
निवेश के अच्छे फ़ैसले करना आमतौर पर आसान नहीं होता क्योंकि ये आम सोच से हट कर किए जाने वाले फ़ैसले होते हैं। ये बात ज़्यादातर उन स्टॉक्स पर लागू होती है जो लोगों की नज़रों से छूटने की वजह से सस्ते बने रहते हैं, वहीं कई बार यही बात उन स्टॉक्स को ख़रीदने पर भी लागू होती है जो पारंपरिक मापदंडों पर मंहगे तो लगते हैं, मगर दूसरे नज़रिए से (मार्केट कैप, ईवी/सेल्स, आदि) काफ़ी आकर्षक भी होते हैं। मिसाल के तौर पर, 2010-11 में, ब्रिटैनिया का स्टॉक अर्निंग के लिहाज़ से मंहगा था, मगर कमोबेश उसकी एंटरप्राईज़ वैल्यू, सेल्स के बराबर ही थी। आगे चल कर ये मापदंड ज़्यादा सार्थक निकला और ये स्टॉक अगले कुछ ही साल में एक मल्टी-बैगर हो गया।

आप पाएंगे कि उन्हें मदद ज़रूर मिलती है जो मदद मांगते हैं
मेरा ख़याल है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं विकसित होती जाती हैं, स्टॉक मार्केट की जटिलता भी बढ़ती जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई नए-नए सेक्टर सामने आते रहते हैं और नज़र न आने वाले कई फ़ैक्टर्स (ब्रांड, रिसर्च और डवलपमेंट, आदि) का रोल ज़्यादा अहम होता जाता है। इसका मतलब ये है कि आपको इतना विनम्र होना चाहिए कि आप समझ सकें लिए सारी जानकारियों को अकेले समझना बेहद मुश्किल है और आपको अपने इर्द-गिर्द एक सपोर्ट सिस्टम खड़ा करने की ज़रूरत है। वक़्त के साथ-साथ ग्लोबल स्तर पर किसी सुपरस्टार फ़ंड मैनेजर के बजाए, टीमवर्क ज़्यादा महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

सपनों में जीना और जीवन को भूलना काम नहीं आता
मैं समझता हूं कि नतीजों के आप पर हावी हो जाने से महत्वपूर्ण है कि आपके निवेश का सफ़र ऐसा हो जिसका आप आनंद ले सकें और ये आपके जीवन को बेहतर बनाए। जिन सबसे ख़ुश निवेशकों से मैं मिला हूं वो ऐसे लोग हैं जो निवेश को कला को एक जुनून की तरह तो जीते हैं मगर असल में जो धन कमाया जाता है, उसके मोह से मुक्ति का भाव रखते हैं।
ये इंटरव्यू जून 2021 में लिया गया था


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