हालांकि कुछ लोग पैनडेमिक के अंत की भविष्यवाणियां कर रहे हैं, मगर पैनडेमिक से पहले की दुनिया में वापस लौटने के आसार कम ही नज़र आते हैं। ये तो वक़्त ही बताएगा कि कोविड-19 ख़त्म होता है या हमें इसके साथ ही रहना सीखना होगा। सच तो ये हैं कि जब आप ये पढ़ रहे हैं, तो एक नया वेरिएंट, ओमीक्रॉन दुनिया भर में फ़ैल चुका है।
इस पैनडेमिक ने बिज़नस की दुनिया में कई तरह के बदलाव ला दिए हैं। अब ज़्यादा काम ऑफ़िस के बाहर से होने लगा है, और कंपनियां अपने कर्मचारियों की सेहत पर ज़्यादा ध्यान दे रही हैं। इस उलटफेर के दौरान बहुत सी कंपनियां डिजिटल बिज़नस मॉडल को अपना रही हैं। इस बदलाव ने कई सेक्टरों में डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन को तेज़ कर दिया है। अब संस्थाओं के लिए ये अहम हो गया है कि वो लीडरशिप की क्षमताओं पर ध्यान दें और अपने यहां कौशल और कुशलता, दोनों बढ़ाएं, ताकि बदले हुए माहौल में वो अपनी प्रासंगिकता बनाए रखें।
जहां इस ‘सॉफ़्ट’ कही जाने वाली डिजिटल स्किल को अपनाने पर हर जगह ज़ोर दिया जा रहा है, वहीं ये बदलाव उन कंपनियों के लिए और भी ज़रूरी हो गया है जिन्हें पैनडैमिक में बड़ा नुक्सान हुआ है। फिर भी, इस स्थिति ने बड़ी और सक्षम कंपनियों के लिए अपना मार्केट शेयर बढ़ाने का रास्ता साफ़ कर दिया है। इन सब बदलावों ने ये भी पुख्ता कर दिया है कि कंपनी की सफलता, कमोबेश उसकी ज़रूरत के मुताबिक़ ढ़लने की क्षमता पर निर्भर करती है।
भारत की सबसे बड़ी फ़ूड-सर्विस कंपनी, जुबिलेंट फ़ूडवर्क्स के पास, डॉमिनोज़ पीज़्ज़ा ब्रांड के एक्सक्लूसिव अधिकार हैं। सिर्फ़ कंपनी ही डॉमिनोज़ को भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में डवलप और ऑपरेट कर सकती है। कंपनी के पास भारत में डंकिन डोनट्स ब्रांड का एकाधिकार भी है। और जुबिलेंट ‘हौंग्स किचन’ के ज़रिए चाईनीज़ खाने के सेग्मेंट में मौजूद है। इसके अलावा, हाल ही में इन्होंने ‘एकदम!’ ब्रांड के साथ, बिरयानी को भी अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल कर लिया है। सितंबर 2021 तक, कंपनी 1,435 डोमिनोज़ पीज़्ज़ा के 307 रेस्टोरेंट भारत के शहरों में मौजूद हैं।
जुबिलेंट का इरादा फ़ूड-टेक का पावरहाऊस बनने का है, जो उनके वित्त-वर्ष-21 के एनालेटिक्स और इनसाईट डिविज़न के लॉंच से ज़ाहिर होता है। इस डिविज़न का काम कंपनी की डिजिटल क्षमता को प्रॉडक्ट और इंजिनियरिंग टीम के साथ मिल कर मज़बूती देना है। इसके अलावा, ये इस पर भी ध्यान दे रहे हैं कि टेक्नोलॉजी में निवेश के ज़रिए, कस्टमर और कर्मचारियों के अनुभवों को बेहतर बनाया जाए और सप्लाई चेन तथा स्टोर ऑपरेशन की कमज़ोरियों को दूर किया जाए। क्योंकि कंपनी एक बड़े स्केल पर ऑपरेट करती है, इसलिए मौजूदा डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन इसे और भी सुरक्षित बिज़नस बना देगा। इसके अलावा, कैश-रिच कंपनी होने के कारण, इसने अपने बिज़नस को कई मिलते-जुलते कामों में डाईवर्सिफ़ाई कर लिया है जिसका मक़सद इसकी ग्रोथ को तेज़ करना है।
इस क्षेत्र में कई नए एग्रीगेटरों के आ जाने के बावजूद, ज़्यादातर ऑनलाईन सेल इसके अपने प्लेटफॉर्म से होती हैं, जिसके लिए इसकी एप के डाऊनलोड किए जाने का रेट काफ़ी ज़्यादा है। अपनी एप के इस्तेमाल से कंपनी को कस्टमर्स के व्यवहार और पसंद-नापसंद के बारे में बेहतर जानकारी मिलती है, जो निर्णय लेने की क्षमता को और बेहतर बनाता है। इसके अलावा, डॉमिनोज़ का लॉयल्टी प्रोग्राम, जो फ़िलहाल कुछ चुने हुए मार्केट्स में पायलट के तौर पर चल रहा है, कंपनी के लिए एक और सकारात्मक बात है। हालांकि, पैनडैमिक के दौरान इन्हें बड़ा नुक्सान हुआ था, मगर उसके बाद और मज़ूबत बन कर उभरने का रास्ता कंपनी ने पा लिया है।