बीते कुछ साल में, म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में निवेश की कहानी का बड़ा हिस्सा सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का रहा है. लेकिन, क्या आपने सोचा है कि SIP के बाद क्या? यहां पर आ जाता है रिवर्स गियर! 2008 और 2020 के मार्केट क्रैश का उदाहरण लेते हैं, जहां अचानक भारी गिरावट देखने को मिली. क्या आपने कभी सोचा कि अगर आपको पैसे की ज़रूरत हो और बाज़ार डूब जाए, तो क्या करेंगे?
यहां पर हमें चाहिए एक 'रिवर्स गियर' यानि SWP (सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान) क्या? चलिए, इसे एक रेट्रो (उल्टा) मूव की तरह समझते हैं. SIP में आप निवेश करते हैं, और SWP में आप धीरे-धीरे बाहर निकलते हैं.
SWP क्या है?
SWP, यानि सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान, ये SIP का बिल्कुल उल्टा है. और यही है जो आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रखता है. SIP तो हर महीने आपको पैसा लगाने में मदद करता है, लेकिन SWP आपको इस पैसा को धीरे-धीरे निकालने में मदद करता है.
कल्पना करें, जब आपने सारा पैसा इकठ्ठा कर लिया, तो SWP आपको हर महीने एक तय हिस्से को बैंक में ट्रांसफ़र करने का मौक़ा देता है. यानि, आप एक ही बार में सबकुछ नहीं बेच रहे हैं, बल्कि धीरे-धीरे निकल रहे हैं, ताकि बाज़ार के नीचे गिरने पर नुक़सान कम हो. और अगर बाज़ार ऊपर उठता है तो भी ज़्यादा फ़ायदा नहीं होगा. ये पूरी तरह से 'मॉडरेशन' में विश्वास रखने वाला तरीक़ा है.
अब, एक सवाल: अगर आप सभी पैसा एक साथ निकालने का मन बनाते हैं तो याद रखें, बाज़ार की अनुमान कोई नहीं लगा सकता. इसमें सिर्फ़ दिमागी संतुलन ही आपकी मदद करेगा.
STP क्या है?
एक और तरीका है: सिस्टमैटिक ट्रांसफ़र प्लान (STP). यानि, आप अपनी इक्विटी से धीरे-धीरे पैसे निकालकर उन फ़ंड्स में डाल सकते हैं, जो ज़्यादा कंज़र्वेटिव होते हैं. जैसे कम-समय वाले डेट फ़ंड्स जो आपको आपके गोल्स तक पहुंचने में मदद करते हैं. तो, अगर आप सोच रहे हैं कि आप तुरंत अपनी इक्विटी को डेट फ़ंड्स में शिफ़्ट क्यों नहीं कर सकते, तो ये तरीक़ा आपको समय के साथ इसकी आदत डालने का मौक़ा देता है.
यहां पर आपका काम ये है कि आप ऐसे निवेश में क़दम रखें, जो स्मार्ट हो.
अपने गोल को सुरक्षित करें: प्लानिंग है ज़रूरी
जैसे अपनी SIP को सेट करने से पहले हम ध्यान देते हैं, वैसे ही SWP को भी एक साल पहले सेट करने की सलाह दी जाती है. ख़ासतौर से जब आपका गोल बड़ा हो, जैसे बच्चों की शिक्षा. इसलिए, एक अच्छा प्लान होना ज़रूरी है. और अगर आपको लगता है कि आपका निवेश पहले ही अपने टार्गेट अमाउंट तक पहुंच चुका है, तो इंतज़ार न करें. फ़टाफट अपनी इक्विटी को डेट स्कीम में शिफ़्ट कर दें.
ज़्यादा रिटर्न की लालच में ना पड़ें. 'ज़्यादा' कभी भी सही नहीं होता! क्या आप जानते हैं कि कभी भी ऊंचे दाम पर बेचना सही नहीं होता, क्योंकि हर निवेशक कभी न कभी इस चक्कर में फ़सता है. और आपको अपना निवेश सिर्फ़ अपने गोल तक पहुंचाने के लिए करना है. बेशक़ रिटर्न पर ध्यान रखें, लेकिन गोल सबसे अहम है.
आख़िरी बात!
SIP के अलावा SWP और STP को अपने निवेश की स्ट्रेटेजी में शामिल करें, ताकि आप बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बच सकें और अपने गोल् तक जल्दी पहुंच सकें. आख़िरकार, आपका निवेश जितना स्मार्ट होगा, उतना ही सुरक्षित रहेगा. आपकी मेहनत भी सफ़ल होगी, और निवेश का फ़ायदा भी मिलेगा.
म्यूचुअल फ़ंड निवेश के एक्सपर्ट कैसे बनें सीरीज़ के बाक़ी पार्ट्स यहां पढ़िए.
पार्ट 1 - म्यूचुअल फ़ंड के एक्सपर्ट निवेशक कैसे बनें?
पार्ट 2 - नतीजे की समझ के साथ शुरुआत करें
पार्ट 3 - निवेश को रीबैलेंस करना ज़रूरी है
पार्ट 4 - स्पीड-ब्रेकर से बचना सीखें!
पार्ट 6 - फ़ंड के चुनाव कैसे करना चाहिए?
पार्ट 7 - एक संत की तरह शांत रहें
ये लेख पहली बार दिसंबर 28, 2021 को पब्लिश हुआ, और जनवरी 09, 2025 को अपडेट किया गया.