financial health: बचत और निवेश एक सिक्के के दो पहलू हैं, लेकिन दोनों में काफ़ी अंतर है. जब आप अपनी बचत को निवेश करते हैं तो शुरुआत में कुछ गलतियां भी करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही पांच गलतियों के बारे में बता रहे हैं जिनसे बचना चाहिए.
1. कहां करें निवेश
आजकल निवेश के लिए बहुत से विकल्प मौजूद हैं, लेकिन लोग ये फ़ैसला नहीं कर पाते हैं कि वो अपनी बचत को कहां और कैसे निवेश करें, जिससे उनको बेहतर रिटर्न मिल सके. ऐसे में उनका पैसा सेविंग अकाउंट में पड़ा रहता है. वैसे, सेविंग अकाउंट में जो ब्याज़ मिलता है इसकी तुलना में लिक्विड फ़ंड लगभग दो गुना रिटर्न दे सकते हैं. लिक्विड फ़ंड शार्ट टर्म डेट फ़ंड हैं. ये आम तौर पर किसी भी बैंक FD के मुक़ाबले ज़्यादा रिटर्न देता है.
2. ज़रूरत से ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन
अक्सर निवेशक जोख़िम कम करने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा डायवर्सिफ़िकेशन करते हैं. मतलब, बिना किसी प्लान के रक़म कई एसेट्स में लगा देते हैं. जब आप बिना किसी प्लान के ज़रूरत से ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन करते हैं तो एक ही तरह के फ़ंड में निवेश की ज़्यादा संभावना होती है. उदाहरण के तौर पर, अगर आप बिना किसी गोल के कई लार्ज कैप या मल्टी कैप स्कीम में निवेश करते हैं, तो ज़्यादा संभावना इस बात की होती है कि इनमें कुछ फ़ंड एक ही तरह के होंगे. निवेश में डाइवर्सिफ़िकेशन ज़रूरी है लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन फ़ायदा देने के बजाए भारी नुक़सान कर सकता है.
3. बिना गोल के निवेश करना
बिना किसी गोल के अगर आप निवेश करते हैं तो आपको आगे चल कर इसका भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है. मान लीजिए कि आपने अपना सारा पैसा इक्विटी में निवेश किया है और कुछ समय बाद किसी ख़ास काम के लिए आपको पैसों की ज़रूरत पड़ती है. और ठीक उसी समय बाज़ार में बड़ी गिरावट आ जाए तो आपके निवेश की वैल्यू कम हो जाएगी.
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ऐसे में अगर आप पैसा निकालते हैं तो आपको भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है. अगर आप पहले से निवेश प्लान करते हैं यानी कि 10 साल बाद आपको इतनी रक़म की ज़रूरत पड़ सकती है और आपने इक्विटी में निवेश करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है तो आप लक्ष्य के करीब पहुंच कर उतनी रक़म को डेट में लगा सकते हैं. इस तरह से अगर आप बाज़ार गिरने पर पैसा निकालेंगे तो आपका ज़्यादा नुक़सान नहीं होगा. डेट फ़ंड में कम समय में ज़्यादा उतार चढ़ाव नहीं होता है.
4. इमरजेंसी फ़ंड न बनाना
बहुत से लोग निवेश तो शुरू कर देते हैं लेकिन आपात स्थिति में ज़रूरतों को पूरा करने के लायक इमरजेंसी फ़ंड नहीं बनाते हैं. ऐसे में लंबे समय के लिए की जा रही बचत हमेशा खतरे में रहती है. मान लेते हैं कि आप रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिए बचत और निवेश कर रहे हैं और आपको अचानक से बड़ी रक़म की ज़रूरत पड़ जाती है और आपके पास कोई इमरजेंसी फ़ंड तैयार नहीं कर रखा है. तो आप क्या करेंगे? ज़्यादा संभावना इस बात की है कि आप रिटायरमेंट के लिए की जा रही बचत से ही पैसा निकलेंगे. अगर आप ऐसा करते हैं तो रिटायरमेंट से जुड़े फ़ाइनेंशियल गोल पर इसका असर पड़ सकता है. साथ ही, के बाद आपको पैसों की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.
5. पोर्टफ़ोलियो या स्ट्रैटज़ी की जांच न करना
आपको अपने पोर्टफ़ोलियो और अपने गोल की साल में कम से कम दो बार जांच ज़रूर करनी चाहिए. इससे आपको पता चलेगा कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा और आपकी निवेश की स्ट्रेटज़ी में किसी तरह के बदलाव की ज़रूरत तो नहीं है. इसी तरह से आपको उम्र बढ़ने के साथ नए गोल भी तय करने चाहिए. मान लेते हैं कि जब आपने रिटायरमेंट के लिए निवेश की शुरुआत की थी तब आपके बच्चे नहीं थे. तो पिता बनने पर आपको बच्चे की पढ़ाई के लिए अलग से एजुकेशन फ़ंड बनाने के लिए निवेश शुरू करना चाहिए. और समय-समय पर अपने पोर्टफ़ोलियो और स्ट्रैटज़ी की जांच करना बेहतर होता है.
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ये लेख पहली बार दिसंबर 09, 2019 को पब्लिश हुआ, और मई 20, 2024 को अपडेट किया गया.