फ़र्स्ट पेज

इक दूजे के लिए

अगर लगातार SIP चलती रहें तो काफ़ी पैसा बन सकता है, लेकिन हममें से कई लोग स्वभाव से ही जुआ खेलना पसंद करते हैं, और इक्विटी निवेश में उनके उतरने की वजह भी यही होती है

इक दूजे के लिए

आमतौर पर मैं इस बारे में बात नहीं करता, लेकिन कई लोगों में इक्विटी निवेश को लेकर उत्साह की एक बड़ी वजह होती है. ये, एक तरह के 'शिकार का रोमांच' होता है. ये कुछ ऐसा है, जो बहुत से लोगों को इक्विटी में उतरने के लिए प्रेरित करता है. अगर हम लंबे अर्से तक SIP के ज़रिए लगातार निवेश करते रहें तब भी बहुत सा पैसा बना सकते हैं. लेकिन, कई लोगों के स्वभाव में ही जुआ खेलने की चाहत होती है, और इन लोगों में इक्विटी निवेश के प्रति आकर्षण का कारण भी यही होता है.

हालांकि, कई निवेशकों को इस रोमांच की ज़रूरत नहीं होती (व्यक्तिगत तौर पर मुझे इसकी ज़रूरत नहीं), लेकिन, जैसा कि मैंने पहले कहा, जिन निवेशकों का स्वभाव ऐसा है, उनके लिए 'मौज-मज़े के पैसे' का कुछ अलग से इंतज़ाम होना ज़रूरी होता है.

ये वो रक़म है जिसे स्टॉक में निवेश किया जा सकता है. ऐसा निवेश जिसे करने का कोई आधार हो, लेकिन ये समझते हुए कि कमोबेश ये एक जुआ ही होगा. अब आप अपने निवेश का कितना हिस्सा मौज-मज़े वाले पैसे के तौर पर रिस्क में डालेंगे, ये आप पर है. मुझे लगता है कि इस बात को जान लेना कि कुछ पैसे निवेश में मौज-मज़े के लिए हैं जबकि बाक़ी गंभीर पैसा है, जुआ खेलने वाले पैसे को किसी हद तक सीमित रखेगा, और ज़्यादातर निवेश सीधे और सही रास्ते पर रहेगा.

हालांकि, 'मौज-मज़े के पैसे' से एक क़दम पीछे मगर सुरक्षित निवेश से कुछ आगे की बात होगी स्मॉल-कैप में निवेश करना. ये ऐसी चीज़ है जिसमें शिकार का रोमांच सबसे तीखा होता है. कौन आयशर मोटर्स, अजंता फ़ार्मा या सिम्फ़नी को ख़रीदना नहीं पसंद करता जब वो स्मॉल कैप हुआ करते थे? हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहूं तो इक्विटी निवेश का सबसे शुद्ध अनुभव यही है. मेरा मतलब ये नहीं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ या इंफ़ोसिस में निवेश करना इक्विटी निवेश नहीं है.

मैं तो ये कह रहा हूं कि अगर स्टॉक ख़रीदने का अनुभव किसी व्यवसाय के मालिक होने और उसके साथ अमीर होना होता है, तो असल में इसे अनुभव करने का तरीक़ा एक स्मॉल-कैप ख़रीदना और फिर उसे मिड-कैप और फिर एक बड़े बिज़नस में बदलते हुआ देखना है.

हालांकि, ये तरीक़ा ज़्यादातर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए नहीं बना. अगर स्मॉल-कैप इक्विटी निवेश को एक जुए के बजाय समझदारी से करना है, तो एक आम निवेशक को इसे स्मॉल-कैप फंड्स के ज़रिए करना चाहिए.

पिछले एक दशक से ज़्यादा समय में, एक अच्छी तरह से चुने गए स्मॉल-कैप फ़ंड ने आपको सबसे ज़्यादा मुनाफ़े वाले निवेश का अनुभव दिया होता. हालांकि, स्मॉल-कैप निवेश के उतार-चढ़ाव वाले बुनियादी स्वभाव को ध्यान में रखना चाहिए. जब ​​कोई निवेश अच्छा चल रहा होता है, तो हौसले और जोश को बनाए रखना स्वाभाविक होता है कि आप किसी भी उतार-चढ़ाव को झेल सकते हैं. ऐसे में इक्विटी निवेश दुनिया का सबसे आसान काम लगता है, और जो लोग रिस्क और उतार-चढ़ाव की बात करते हैं, वो जल्दी घबराने वाले कमज़ोर दिल के लोग लगते हैं. मगर, जब बाज़ार में गिरावट शुरू होती है और आपके निवेश की वैल्यू हर दिन कम होने लगती है, तो रिस्क लेने के सवाल का जवाब बदल जाता है.

ये भी पढ़िए - बाज़ार में पहला झटका अहम

जब ऐसा होता है, तो निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या उन्हें छोड़कर भाग जाना चाहिए (शायद अपने निवेश को लार्ज-कैप फ़ंड में डाल देना चाहिए), या उन्हें इसमें बने रहना चाहिए? कुछ निवेशक, जिन्हें लगता है कि वे उतार-चढ़ाव बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो उनके लिए इसका जवाब होगा कि उन्हें स्मॉल-कैप फ़ंड में निवेश नहीं करना चाहिए. हालांकि, इस पूरे मामले को देखने का सही तरीक़ा थोड़ा अलग है. पहला सिद्धांत ही सबसे पुराना भी है: डाइवर्सिफ़िकेशन या विविधता. और ​​दूसरा सिद्धांत, जो कम अहम नहीं है, ये समझना है कि अगर आप म्यूचुअल फ़ंड के ज़रिए स्मॉल-कैप में निवेश कर रहे हैं तो उतार-चढ़ाव असल में आपका दोस्त है.

SIP निवेश और स्मॉल-कैप फ़ंड अच्छा रिटर्न पाने के लिए बढ़िया हैं. SIP मूल रूप से आपके रिटर्न को बढ़ाने के लिए उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाने का एक तरीक़ा है, और स्मॉल-कैप फ़ंड दूसरी तरह के इक्विटी फ़ंड्स की तुलना में ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाले होते हैं. ये इक दूजे के लिए स्वर्ग में बनी जोड़ी है.

ये भी पढ़िए - सच्ची इक्विटी इन्वेस्टिंग

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

NPS के इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन से क्या इस साल टैक्स बच सकता है?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

जिस दिन इन्फ़ोसिस को बेच देना चाहिए था: वैल्यूएशन से जुड़ा एक मुश्किल सबक़

पढ़ने का समय 5 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

सोना: क्या आपके पोर्टफ़ोलियो में सोने को जगह मिलनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार down-arrow-icon

धैर्य का फ़ायदा: लॉन्ग-टर्म निवेश कैसे दिखाता है अपना जादू

पढ़ने का समय 4 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

20 साल तक डिविडेंड देने वाले 5 स्टॉक्स जो बाज़ार से बेहतर प्रदर्शन करते हैं

पढ़ने का समय 6 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

कुछ न करके जीतना

टैरिफ़ वॉर से मची मार्केट की उठा-पटक कैसे निवेशक के मनोविज्ञान समझने का एक ज़बरदस्त तरीक़ा हो सकती है.

दूसरी कैटेगरी