फंड रिटर्न का कांसेप्ट बहुत सरल है। और रिटर्न का आइडिया भी उतना ही सरल है। अगर कोई चीज एक माह पहले 1,000 रुपए की थी और आज 1,100 रुपए की है तो इस अवधि में इसने 10 फीसदी रिटर्न दिया है। इस कांसेप्ट को किसी भी समय अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। हां, सालाना रिटर्न के कैलकुलेशन में थोड़ी जटिलता आती है। हम सिंपल रिटर्न सिर्फ एक साल तक की अवधि के लिए दिखाते हैं।
1 साल से अधिक अवधि के लिए हम सालाना रिटर्न दिखाते हैं। इसका मतलब है कि अगर फंड में निवेश दो साल की अवधि में 20 फीसदी तक बढ़ा तो हम कहेंगे कि इसका रिटर्न 9.55 फीसदी है। इसका मतबल है कि इन दो वर्षों में रकम प्रति वर्ष 9.55 फीसदी की दर से बढ़ी है। इससे दूसरे रेट ऑफ रिटर्न जैसे बैंक डिपॉजिट के साथ तुलना आसान हो जाती है।
ट्रेलिंग पीरियड रिटर्न
अलग अलग तरह के रिटर्न की बात करें तो हम ज्यादातर जगहों पर 'ट्रेलिंग पीरियड रिटर्न'प्रकाशित करते हैं। इसका मतलब है कि एक साल का रिटर्न कल खत्म हुए एक साल के लिए और दो साल के रिटर्न का मतलब कल खत्म हुए दो साल के लिए है। इससे आपको ताजा घटनाओं का पता चलता है और यह सबसे ज्यादा उपयोगी तुलना है।
कैलेंडर पीरियड रिटर्न
हम कैलेंडर पीरियड रिटर्न भी प्रकाशित करते हैं जो किसी एक साल या तिमाही के लिए है। जब हम इस बात की तुलना करते हैं कि ऐतिहासिक नजरिए से अलग अलग फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है तो कैलेंडर पीरियड की उपयोगित काफी अहम हो जाती है।
तुलना के लिए सही अवधि चुनन सबसे अहम है। इक्विटी फंड के लिए, अगर अवधि पांच साल से कम होगी तो तुलना की उपयोगिता सीमित होगी। क्योंकि इक्विटी में कम अवधि का तेज उतार-चढ़ाव आंकड़ों को प्रभावित करेगा। अवधि जितनी लंबी होगी तुलना उतनी ही फायदेमंद होगी। डेट फंड के लिए कम अवधि अहम होगी क्योंकि डेट फंड में आम तौर पर कम अवधि के लिए निवेश किया जाता है। अगर आप शार्ट टर्म फंड की तुलना कर रहे हैं, जहां निवेश अवधि दो या तीन माह होती है तो यहां तुलना काफी उपयोगी हो सकती है।
म्यूचुअल फंड के बारे में अहम बात यह है कि सिर्फ उसी तरह के फंड और समान अवधि की तुलना की जानी चाहिए।
फंड रिटर्न का कांसेप्ट बहुत सरल है। और रिटर्न का आइडिया भी उतना ही सरल है। अगर कोई चीज एक माह पहले 1,000 रुपए की थी और आज 1,100 रुपए की है तो इस अवधि में इसने 10 फीसदी रिटर्न दिया है। इस कांसेप्ट को किसी भी समय अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। हां, सालाना रिटर्न के कैलकुलेशन में थोड़ी जटिलता आती है। हम सिंपल रिटर्न सिर्फ एक साल तक की अवधि के लिए दिखाते हैं।
1 साल से अधिक अवधि के लिए हम सालाना रिटर्न दिखाते हैं। इसका मतलब है कि अगर फंड में निवेश दो साल की अवधि में 20 फीसदी तक बढ़ा तो हम कहेंगे कि इसका रिटर्न 9.55 फीसदी है। इसका मतबल है कि इन दो वर्षों में रकम प्रति वर्ष 9.55 फीसदी की दर से बढ़ी है। इससे दूसरे रेट ऑफ रिटर्न जैसे बैंक डिपॉजिट के साथ तुलना आसान हो जाती है।
ट्रेलिंग पीरियड रिटर्न
अलग अलग तरह के रिटर्न की बात करें तो हम ज्यादातर जगहों पर 'ट्रेलिंग पीरियड रिटर्न'प्रकाशित करते हैं। इसका मतलब है कि एक साल का रिटर्न कल खत्म हुए एक साल के लिए और दो साल के रिटर्न का मतलब कल खत्म हुए दो साल के लिए है। इससे आपको ताजा घटनाओं का पता चलता है और यह सबसे ज्यादा उपयोगी तुलना है।
कैलेंडर पीरियड रिटर्न
हम कैलेंडर पीरियड रिटर्न भी प्रकाशित करते हैं जो किसी एक साल या तिमाही के लिए है। जब हम इस बात की तुलना करते हैं कि ऐतिहासिक नजरिए से अलग अलग फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है तो कैलेंडर पीरियड की उपयोगित काफी अहम हो जाती है।
तुलना के लिए सही अवधि चुनन सबसे अहम है। इक्विटी फंड के लिए, अगर अवधि पांच साल से कम होगी तो तुलना की उपयोगिता सीमित होगी। क्योंकि इक्विटी में कम अवधि का तेज उतार-चढ़ाव आंकड़ों को प्रभावित करेगा। अवधि जितनी लंबी होगी तुलना उतनी ही फायदेमंद होगी। डेट फंड के लिए कम अवधि अहम होगी क्योंकि डेट फंड में आम तौर पर कम अवधि के लिए निवेश किया जाता है। अगर आप शार्ट टर्म फंड की तुलना कर रहे हैं, जहां निवेश अवधि दो या तीन माह होती है तो यहां तुलना काफी उपयोगी हो सकती है।
म्यूचुअल फंड के बारे में अहम बात यह है कि सिर्फ उसी तरह के फंड और समान अवधि की तुलना की जानी चाहिए।
ये लेख पहली बार दिसंबर 22, 2021 को पब्लिश हुआ.