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क्यों डेट फ़ंड सिर्फ़ रिटायर्ड और बोरिंग लोगों के लिए नहीं है? जानें 3 वजह

ये भी समझिए, 30 फ़ीसदी डेट एलोकेशन कैसे आपकी चिंता कम कर सकता है और आपको अपने गोल्स तक पहुंचने में मदद कर सकता है

3 कारण जिनके चलते डेट फंड केवल रिटायर और बोरिंग लोगों के लिए नहीं हैंAI-generated image

ये विचार थोड़ा ग़लत है कि आपके पोर्टफ़ोलियो को केवल ऊंचे रिटर्न पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. हां, ऊंचा रिटर्न अर्जित करना महत्वपूर्ण है - शायद सबसे महत्वपूर्ण भी - लेकिन ये एकमात्र चीज़ नहीं है जो मायने रखती है.

ख़ासकर जब बाज़ार में मंदी हो, तो अपने पोर्टफ़ोलियो की सुरक्षा करना भी अहम हो जाता है. जब सब कुछ ठीक चल रहा हो तो इक्विटी फ़ंड में अपना सारा पैसा लगाने से ऊंचा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन मंदी के बाज़ार में ये रणनीति शायद कारगर न हो.

इसलिए आपको डेट फ़ंड में निवेश करने की ज़रूरत है.

उन्हें अपने पोर्टफ़ोलियो के शॉक एब्जॉर्बर यानि झटका सहने वाले विकल्प के तौर पर लीजिए. जब इक्विटी मार्केट पर दबाव होता है तो डेट इंस्ट्रूमेंट अक्सर बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

भले ही, डेट फ़ंड उतना शानदार रिटर्न नहीं देते जिसकी हम सभी को चाहत होती है, लेकिन वे बहुत ज़रूरी स्थिरता प्रदान करते हैं और जब बाज़ार में मंदी होती है और निवेशकों के पास कोई विकल्प नहीं होता है तो आपके पैसे की सुरक्षा करने में मदद करते हैं. इस तरह, ये फ़ंड केवल रिटायर्ड और बोरिंग लोगों के लिए नहीं हैं - ये हर स्मार्ट निवेशक के लिए हैं.

क्या आप ये समझने के लिए तैयार हैं कि डेट क्यों महत्वपूर्ण है? आइए इसे समझते हैं.

कारण 1: बाज़ार में गिरावट के दौरान डेट आपके पोर्टफ़ोलियो को सहारा देता है

आइए, इस पर विचार करते हैं कि अतीत में बाज़ार में आई गिरावटों के दौरान 100 फ़ीसदी इक्विटी पोर्टफ़ोलियो की तुलना में 70-30 इक्विटी-डेट पोर्टफ़ोलियो ने कैसा प्रदर्शन किया.

अक्तूबर 2008 में भारी गिरावट के दौरान, 100 फ़ीसदी इक्विटी पोर्टफ़ोलियो (फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड) में 22.7 फ़ीसदी की गिरावट आई, जबकि शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़िक्स्ड इनकम फ़ंड के साथ 70:30 के मिश्रण में केवल 15.7 फ़ीसदी की गिरावट आई.

मार्च 2020 में कोविड के कारण आई गिरावट में, इक्विटी में 23.4 फ़ीसदी की गिरावट आई. इसकी तुलना में, मिश्रित पोर्टफ़ोलियो में 16.4 फ़ीसदी की मामूली गिरावट आई.

जनवरी 2008 या जून 2008 जैसी छोटी गिरावटों के दौरान भी, फ़िक्स्ड इनकम एलोकेशन ने लगातार 5 फ़ीसदी अंकों की गिरावट को कम किया.

निश्चित तौर पर, फ़िक्स्ड इनकम के लिए एक छोटा एलोकेशन न केवल घाटे को सीमित करता है, बल्कि ये सबसे ख़राब समय पर आपके निवेश से बाहर निकलने के भावनात्मक दबाव को भी कम करता है. ये आपको अपने प्लान पर बने रहने और सुधार का फ़ायदा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है.

कारण 2: डेट आपके ऐसे गोल्स को सुरक्षा देता है, जिन्हें टाला नहीं जा सकता

सभी गोल समान नहीं होते. कुछ गोल को टाला जा सकता है, जिनमें विदेश में छुट्टी मनाना, अपनी कार को अपग्रेड करना या अपनी रसोई को फिर से डिज़ाइन करना शामिल हैं. लेकिन दूसरे कई गोल्स को टाला नहीं जा सकता. आप अपने बच्चे के कॉलेज में एडमिशन को टाल नहीं कर सकते. आप उस दिन को नहीं टाल सकते, जब आप काम करना बंद कर देंगे और आपको अपनी रिटायरमेंट इनकम की ज़रूरत होगी.

ये समयबद्ध गोल उम्मीद की नहीं, बल्कि पूर्वानुमान की मांग करते हैं. उनकी फ़ंडिंग को पूरी तरह से इक्विटी मार्केट की सनक पर छोड़ देना खतरनाक हो सकता है.

मिसाल के तौर पर, एक माता-पिता की कल्पना करें जिन्हें अप्रैल 2020 में अपने बच्चे के कॉलेज में एडमिशन के लिए पैसे की ज़रूरत थी. उस वर्ष जनवरी में, बाज़ार स्थिर थे और थोड़ी देर के लिए इक्विटी में पूरी तरह से निवेश करना बुद्धिमानी लग सकती थी. लेकिन फिर कोविड के चलते गिरावट आ गई. जनवरी और मार्च 2020 के बीच, सेंसेक्स में 28.3 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई. जो कोई भी डेट जैसी सुरक्षित एसेट्स में जाने में देरी करता, उसे अपने कॉर्पस में भारी गिरावट देखने को मिलती - ठीक उसी समय जब उन्हें इसकी ज़रूरत होती. 2020 की शुरुआत में ₹25 लाख का कॉर्पस मार्च के अंत तक घटकर मात्र ₹17.92 लाख रह जाता.

हालांकि, ऐसे परिदृश्यों में डेट एक सुरक्षा के रूप में कार्य करता है. जैसे-जैसे आप किसी नहीं टलने वाले गोल को हासिल करने के क़रीब पहुंचते हैं, धीरे-धीरे अपने पोर्टफ़ोलियो के एक हिस्से को सुरक्षित, शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़ंड जैसे ज़्यादा स्थिर साधनों में स्थानांतरित करने से ये सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि आपकी प्लानिंग पटरी पर रहे, चाहे बाज़ार में कुछ भी हो रहा हो.

₹25 लाख वाले व्यक्ति के उपरोक्त उदाहरण को जारी रखते हुए, यदि आपने पिछले डेढ़ साल से हर महीने धीरे-धीरे ₹1 लाख डेट फ़ंड में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया होता, तो वही ₹25 लाख मार्च 2020 के अंत में घटकर सिर्फ़ ₹22.95 लाख रह जाते, जबकि ऐसा न करने पर ये ₹17.92 लाख रह जाते.

कारण 3: डेट से रिबैलेंस करने और कम क़ीमत पर ख़रीदने की सुविधा मिलती है

रिबैलेंसिंग निवेश की सबसे सरल लेकिन सबसे प्रभावी रणनीतियों में से एक है और निश्चित आय इसे संभव बनाती है.

मान लीजिए कि आपका टारगेट एलोकेशन 70 फ़ीसदी इक्विटी में और 30 फ़ीसदी डेट में है. अगर बाज़ार गिरता है और आपका इक्विटी एलोकेशन 60 फ़ीसदी तक कम हो जाता है, तो रिबैलेंगिंस का मतलब होगा कि आपको अपने मूल 70 फ़ीसदी एलोकेशन को बहाल करने के लिए डेट से इक्विटी में पैसा ट्रांसफर करना होगा. ऐसा करने पर, आप ऑटोमैटिक तरीक़े से इक्विटी ख़रीदते हैं जब ये नीचे होता है.

इसलिए, जब हर कोई डरा होता है, तो आपके डेट एलोकेशन की अहमियत बढ़ जाती है, जो सबसे उपयुक्त समय पर इक्विटी में निवेश करने के लिए तैयार होता है.

स्थिरता स्मार्ट निवेश को ताकत देती है

डेट दहाई अंकों में रिटर्न नहीं दे सकता, लेकिन ये आपके पोर्टफ़ोलियो में कहीं ज़्यादा अहम भूमिका निभाता है. ये पूंजी को सुरक्षा, गोल्स पर बने रहने और अनिश्चित समय के दौरान बेहतर फैसले लेने में सक्षम बनाता है.

डेट के लिए आपका एलोकेशन मुख्य रूप से इस बात से तय होना चाहिए कि आपके गोल कितने दूर हैं और आप कितनी अस्थिरता का सामना करने में सक्षम हैं. लंबे समय के गोल्स के लिए - इक्विटी और डेट के बीच 70:30 एलोकेशन अक्सर अच्छा काम करता है. ये आपको मंदी के दौरान अपने पोर्टफ़ोलियो को सहारा देते हुए इक्विटी में ग्रोथ की क्षमता देता है.

लेकिन जैसे-जैसे गोल करीब आता है, बैलेंस धीरे-धीरे बदलना चाहिए. लक्ष्य जितना क़रीब होगा, आपको रिटर्न अधिकतम करने की तुलना में पूंजी सुरक्षा को उतनी ही ज़्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए. ये सुनिश्चित करता है कि शॉर्ट टर्म मार्केट के उतार-चढ़ाव अंतिम समय में आपकी प्लानिंग को बाधित न करें.

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