स्टॉक का आईडिया

धैर्य का फ़ायदा: लॉन्ग-टर्म निवेश कैसे दिखाता है अपना जादू

500 करोड़ से 11,000 करोड़ तक: असली धैर्य की झलक

लंबी अवधि का निवेश: धैर्य के बदले क्या मिलता है?AI-generated image

मज़बूत कंपनियों में वाजिब दाम पर निवेश करना—और फिर उन्हें बस लंबे समय तक होल्ड करना—आपकी दौलत के लिए चमत्कार कर सकता है. 'लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पोर्टफ़ोलियो' इसी फ़िलॉसफ़ी पर आधारित है: अच्छी क्वालिटी वाले स्टॉक्स ख़रीदिए, धैर्य रखिए, और कंपाउंडिंग को काम करने दीजिए. ये रणनीति कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए आइए देखते हैं तीन असली कहानियां, जो लॉन्ग-टर्म निवेश की ताक़त को ज़िंदा करती हैं.

रिलायंस का एशियन पेंट्स पर ‘गोल्डन दांव’: गिरावट में भी भरोसा
2008 की शुरुआत में जब बाज़ार बुरी तरह टूट रहा था, तब रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने एक चुपचाप लेकिन बोल्ड क़दम उठाया—एशियन पेंट्स में लगभग 5% हिस्सेदारी करीब ₹500 करोड़ में ख़रीदी. इसके तुरंत बाद ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस आया और एशियन पेंट्स का शेयर लगभग 40% गिर गया. लेकिन रिलायंस ने कुछ नहीं किया—सिर्फ़ होल्ड किया.

ये निवेश मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. जैसे-जैसे बाज़ार संभला, एशियन पेंट्स ने दम दिखाया और 2016 तक रिलायंस की हिस्सेदारी की वैल्यू ₹5,250 करोड़ हो गई—8 साल में 10 गुना रिटर्न. आज यही 4.9% हिस्सेदारी (रिलायंस की सब्सिडियरी तीस्ता रिटेल के ज़रिए) ₹11,000 करोड़ से भी ज़्यादा की हो चुकी है, और ₹800 करोड़ से ज़्यादा का डिविडेंड भी कमा चुकी है. FY2023-24 तक रिलायंस अब भी इसे होल्ड कर रही है.

सबक़: ब्लू चिप स्टॉक्स भी शॉर्ट-टर्म में गिर सकते हैं, लेकिन अगर फ़ंडामेंटल्स मज़बूत हैं तो धैर्य अंततः रंग लाता है. रिलायंस ने 2008 की उथल-पुथल में धैर्य रखा, और बदले में बड़ी संपत्ति बना ली.

ये भी पढ़ें: मिट्टी के ढेर में हीरे

टॉप स्टॉक्स की ताक़त: गिरकर फिर उठना
सभी बेहतरीन कंपनियां शॉर्ट-टर्म गिरावट का सामना करती हैं. मगर लॉन्ग-टर्म में धीरज रखने वाले निवेशकों को फ़ायदा मिलता है.

2008 के सबप्राइम क्राइसिस और 2020 के COVID क्रैश में लगभग हर स्टॉक—यहां तक कि बेस्ट क्वालिटी वाले—तेज़ी से गिरे. डर के मारे कई निवेशकों ने उस समय बेचना शुरू कर दिया. लेकिन जिन्होंने अच्छे बिज़नस होल्ड किए, वो अंत में अमीर बने.

भारत के बीते दो दशकों के टॉप 10 परफॉर्मिंग स्टॉक्स देखें—बजाज फ़ाइनांस, टाइटन, हैवल्स, आइशर मोटर्स, पिडिलाइट, SRF, दिविज़ लैब्स, ट्रेंट, श्री सिमेंट, और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फ़ाइनांस—सभी ने 2008 या 2020 में 30% से 60% तक की गिरावट झेली, लेकिन फिर लंबी रेस में शानदार रिटर्न दिए.

उदाहरण के लिए, बजाज फ़ाइनांस का शेयर 2008-09 में ₹5 तक गिर गया था—80% से ज़्यादा गिरावट. लेकिन अगले 15 सालों में यह 1,00,000% से ज़्यादा बढ़ा. Titan भी लगभग आधा गिरा, लेकिन 20 सालों में 100x से ज़्यादा रिटर्न दे चुका है.

सबक़: शॉर्ट-टर्म क्रैश अस्थायी होते हैं. अगर कंपनी क्वालिटी वाली है, तो धैर्य रखने वाले निवेशकों को लंबी अवधि में शानदार रिटर्न मिलते हैं. इन 10 कंपनियों ने दो दशकों में औसतन 30-50% सालाना रिटर्न दिए—₹1 लाख को करोड़ों में बदला.

ये भी पढ़ें: टाइमिंग बनाम टाइम

रोनाल्ड रीड: एक गैस स्टेशन अटेंडेंट जिसने बनाई ₹66 करोड़ की दौलत
अब एक ऐसी कहानी, जो बताती है कि लॉन्ग-टर्म निवेश सिर्फ़ अमीरों या एक्सपर्ट्स के लिए नहीं है. रोनाल्ड रीड, अमेरिका के वेरमॉन्ट राज्य में एक गैस स्टेशन अटेंडेंट और जैनिटर थे. मामूली तनख्वाह पर सादा जीवन जीते थे. लेकिन जब उनकी मौत 92 साल में हुई, तब पता चला कि उन्होंने स्थानीय लाइब्रेरी और हॉस्पिटल के लिए $8 मिलियन (₹66 करोड़) की संपत्ति छोड़ी.

कैसे? उन्होंने सादगी से जीकर, हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर जॉनसन एंड जॉनसन, प्रॉक्टर एंड गैंबल, जेपी मॉर्गन जैसे ब्लू-चिप स्टॉक्स में निवेश किया. कभी हॉट ट्रेंड्स के पीछे नहीं भागे, न ही मार्केट टाइमिंग की कोशिश की. डिविडेंड्स को रीइनवेस्ट करते रहे और कंपाउंडिंग को वक्त दिया.

सीख: दौलत बनाने के लिए बड़ी सैलरी या एक्सपर्टीज़ नहीं चाहिए—बस धैर्य और अनुशासन. रोनाल्ड रीड की कहानी बताती है कि हर आम आदमी असाधारण दौलत बना सकता है, अगर वो लॉन्ग-टर्म सोचकर क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश करे.

ये भी पढ़ें: कैसे एक कार मैकेनिक ने अस्पताल को ₹29 करोड़ से ज़्यादा दान किए

लॉन्ग-टर्म में निवेश: सुकून और समृद्धि का रास्ता
इन तीनों कहानियों की जड़ में एक ही सच्चाई है: दौलत बनाने का असली ‘सीक्रेट’ मार्केट टाइमिंग नहीं, बल्कि 'टाइम इन द मार्केट' है. अच्छी कंपनियों को ख]रीदकर उन्हें सालों तक होल्ड कीजिए—कमाई और कंपाउंडिंग मिलकर आपकी संपत्ति को कई गुना बढ़ा देंगे.

इसी सोच से हमने 'लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पोर्टफ़ोलियो' बनाया है—10 मज़बूत कंपनियों का पोर्टफ़ोलियो जिसे एक्सपर्ट्स समय-समय पर रिव्यू करते हैं. SIP के ज़रिए इसमें निवेश कर सकते हैं—हर महीने थोड़ा-थोड़ा लगाइए और अपने भविष्य की नींव मज़बूत कीजिए.

अंत में: शॉर्ट-टर्म उतार-चढ़ाव से डरिए मत. लॉन्ग-टर्म, क्वालिटी-फ़र्स्ट सोच अपनाइए—और देखें कैसे कंपाउंडिंग आपका भविष्य बदल देती है. आज ही स्टॉक निवेश की अपनी यात्रा शुरू करें.

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

‘Buy the Dip’ की सबसे असरदार रणनीति: हर निवेशक के लिए एक ज़रूरी तरीक़ा

पढ़ने का समय 4 मिनटAmeya Satyawadi

बफ़ेट का तरीक़ा बाज़ार के तूफ़ानों से बचने का (2008-11 के पत्र)

पढ़ने का समय 5 मिनटकार्तिक आनंद विजय

निफ़्टी नेक्स्ट 50 ने निफ़्टी 50 को ज़्यादातर हराया: क्या अब पाला बदलने का वक़्त है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAmeya Satyawadi

Stock Rating Update: Coal India सहित इन 5 फ़ाइव-स्टार स्टॉक्स में बने मौके!

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

दूसरी कैटेगरी