फ़र्स्ट पेज

सोना: क्या आपके पोर्टफ़ोलियो में सोने को जगह मिलनी चाहिए?

जब दुनिया का आर्थिक ढांचा बदल रहा हो, तो सोने को फिर से देखना ज़रूरी हो सकता है--फिर चाहे आप अब तक इसके आलोचक ही क्यों न रहे हों.

गोल्ड इन्वेस्टिंग:  क्या आपके पोर्टफोलियो में सोने को जगह मिलनी चाहिए?AI-generated image

back back back
4:44

मैं ख़ुद लंबे समय से सोने को लेकर संदेह में रहा हूं. वॉरेन बफ़ेट जैसे निवेशकों की सोच को मानते हुए मैंने हमेशा सोने को एक बेमतलब की चीज़ माना—एक ऐसी धातु जो कुछ पैदा नहीं करती, कोई डिविडेंड नहीं देती, और बस लॉकर में बंद पड़ी रहती है, जिसमें केवल स्टोरेज का ख़र्च जुड़ता है. बफ़ेट ने तो यहां तक कहा था—"मार्स से कोई देख रहा हो, तो वो ज़रूर सिर खुजलाएगा."

ये सोच उस दौर में सही लगती थी जब अमेरिकी डॉलर पूरी दुनिया का रिज़र्व करंसी था. लेकिन अब जब आर्थिक ज़मीन हिल रही है, तो सोने के बारे में फिर से सोचना बनता है—फिर चाहे आप इसके आलोचक ही क्यों न रहे हों.

ये वीडियो भी देखें: गोल्ड में इन्वेस्टमेंट सही है या नहीं

इतिहास में सोने की कहानी कई बार बदली है. सदियों तक ये असली मुद्रा रहा—वो करंसी जिसे हाथ में पकड़ा जा सकता था और देशों के बीच लेनदेन में इस्तेमाल होता था. 1944 का ब्रेटन वुड्स समझौता डॉलर को सोने से जोड़ता था और बाक़ी करेंसियों को डॉलर से. उस दौर में हर डॉलर एक तय मात्रा के सोने से जुड़ा होता था, जिससे सिस्टम में भरोसा बनता था.

लेकिन 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने इस रिश्ते को तोड़ दिया और फ़िएट करंसी का युग शुरू हुआ—एक ऐसा सिस्टम जिसमें पैसे की कोई ठोस बैकिंग नहीं थी, बस सरकार की गारंटी और संस्थाओं पर विश्वास ही सब कुछ था. ये सिस्टम दशकों तक ठीक-ठाक चला और डॉलर ने ग्लोबल रिज़र्व करंसी की भूमिका बनाए रखी..

ये भी पढ़ें: सोने की कहानी में एक मोड़

मगर हालिया भू-राजनीतिक घटनाओं ने इस ढांचे को झकझोर दिया है. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के सेंट्रल बैंक की संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया गया, जिससे दुनिया को एक नया सच देखने को मिला—डॉलर में रखी संपत्ति भी अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रही.

इसका असर साफ़ दिखा. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अब रिकॉर्ड स्तर पर सोना ख़रीद रहे हैं. चीन, रूस, भारत और कई देशों ने डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाई है और सोने की होल्डिंग्स बढ़ाई हैं. ये सिर्फ़ डाइवर्सिफ़िकेशन नहीं है—ये मौजूदा मौद्रिक ढ़ांचे पर भरोसे में कमी की ओर इशारा है. नतीजा, सोने की क़ीमतें डॉलर ही नहीं, लगभग हर करंसी में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं. कुछ लोग इसे सट्टेबाज़ी कहेंगे, लेकिन सेंट्रल बैंकों की लगातार ख़रीद इस बदलाव को और गहरा बना रही है.

ये भी पढ़ें: क्या सोने के सुनहरे दिन आने वाले हैं?

अब क्या इसका मतलब ये है कि आपको अपनी सारी सेविंग्स सोने की ईंटों में बदल देनी चाहिए? बिल्कुल नहीं.

डाइवर्सिफ़िकेशन और रिस्क मैनेजमेंट की बुनियादी बातें अभी भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. सोना कोई इनकम नहीं देता, इसे रखने में स्टोरेज कॉस्ट या मैनेजमेंट फ़ीस लगती है (पेपर गोल्ड के मामले में), और इसकी क़ीमतों में अस्थिरता हो सकती है.

फिर भी अब सोने को पूरी तरह नकार देना शायद पहले जितना सही नहीं होगा. चाहे करेंसी डीबेसमेंट की बात हो या जियो-पॉलिटिकल संकट-अपने पोर्टफ़ोलियो का 5-10% हिस्सा सोने में लगाना एक अच्छा 'हेज' हो सकता है. इसे मुनाफ़े वाला निवेश नहीं, एक तरह की इंश्योरेंस समझिए.

अगर आप सोने में निवेश करने की सोचते हैं, तो तय कीजिए कि कौन-सा माध्यम आपके लिए बेहतर है—फ़िज़िकल गोल्ड (जैसे सिक्के, बिस्किट), गोल्ड ETF, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड्स या गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड. हर विकल्प के अपने फ़ायदे और नुक़सान हैं—लिक्विडिटी, लागत और सुरक्षा के लिहाज़ से.

ये वीडियो भी देखें: Gold ETFs: क्या यही है निवेश का सही टाइम?

जैसे हर निवेश में, यहां भी संतुलन ज़रूरी है. उन डरावनी भविष्यवाणियों से बचिए जो गोल्ड के पैरोकार अक्सर करते हैं. इतिहास बताता है कि फ़ाइनेंशियल सिस्टम पूरी तरह नहीं टूटते, बल्कि बदलते हैं. और ऐसे दौर में भी डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो ही सबसे बेहतर बचाव होता है.

मैं आज भी सोने को मुख्य निवेश के तौर पर नहीं मानता. मेरे बुनियादी निवेश सिद्धांत वही हैं—प्रोडक्टिव एसेट्स में निवेश करें, डाइवर्सिफ़ाइड रहें, और इमोशनल फ़ैसलों से बचें. लेकिन जब पारंपरिक आर्थिक मान्यताओं पर सवाल उठ रहे हों, तो हो सकता है थोड़ी-सी सोने की मिलावट आपकी रणनीति में मायने रखे.

आख़िर में निर्णय आपके हाथ में है. अगर आपको लगता है कि बदलते हालात के मद्देनज़र पोर्टफ़ोलियो में थोड़ा बदलाव करना समझदारी है, तो वो आपका हक़ है. बस इतना सुनिश्चित करें कि ये बदलाव आपके पूरे फ़ाइनेस की रणनीति का हिस्सा हो—न कि एक डर या अति-उत्साह में लिया गया फ़ैसला.

दुनिया बदलती है. मगर निवेश की समझदारी भरी बुनियादी बातें शायद कभी नहीं बदलतीं.

ये भी पढ़ें: गोल्ड की क़ीमत 23% बढ़ी है. क्या ये और बढ़ेगी?

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

NPS के इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन से क्या इस साल टैक्स बच सकता है?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

जिस दिन इन्फ़ोसिस को बेच देना चाहिए था: वैल्यूएशन से जुड़ा एक मुश्किल सबक़

पढ़ने का समय 5 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

धैर्य का फ़ायदा: लॉन्ग-टर्म निवेश कैसे दिखाता है अपना जादू

पढ़ने का समय 4 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

20 साल तक डिविडेंड देने वाले 5 स्टॉक्स जो बाज़ार से बेहतर प्रदर्शन करते हैं

पढ़ने का समय 6 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

वैल्यू रिसर्च धनक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

सोना: क्या आपके पोर्टफ़ोलियो में सोने को जगह मिलनी चाहिए?

जब दुनिया का आर्थिक ढांचा बदल रहा हो, तो सोने को फिर से देखना ज़रूरी हो सकता है--फिर चाहे आप अब तक इसके आलोचक ही क्यों न रहे हों.

दूसरी कैटेगरी