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"मुझे पता है कि SIPs ज़रूरी हैं," देवी ने कहा, "लेकिन सिर्फ़ महीने के ₹500 निवेश करने का क्या फ़ायदा है?"
देवी, 29 साल की है, टेक कंपनी में काम करती है, हैदराबाद में रहती हैं और उसे अच्छी ख़ासी तनख़्वाह मिलती है. इसके अलावा वो आर्थिक रूप से जागरूक है, ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च नहीं करती और अपने ख़र्चों पर कड़ी नज़र रखती हैं. फिर भी, हर महीने उसका बैंक अकाउंट खाली हो जाता है.
इसकी वजह ये है: वो अभी भी उस कार लोन को चुका रही हैं, जो उसके माता-पिता ने कुछ साल पहले लिया था. हर महीने ₹12,000 उसमें जाते हैं. और वो अपने छोटे भाई की कॉलेज फ़ीस के लिए ₹10,000 भी घर भेजती हैं.\
जब तक किराया, राशन, बिल और अन्य ज़रूरी ख़र्च पूरे हो जाते हैं, तो हाथ में लगभग कुछ भी नहीं बचता. और जो बचता भी है तो उसे लगता है कि वो निवेश करने के लिए "पर्याप्त" नहीं है.
उसने एक शाम मुझसे कहा, "मैं SIP शुरू करना चाहती हूं," "लेकिन ₹500 या ₹1,000 से क्या ही होगा?"
लेकिन ऐसा नहीं है. मैंने उन्हें समझाया.
जो आपके पास है, उसी से शुरुआत करें
देवी को एहसास नहीं था कि छोटी रक़म से शुरू करना समझौता नहीं बल्कि ये लंबे समय की रणनीति का पहला क़दम हो सकता है. ₹500 प्रति महीने की रक़म छोटी लग सकती है, लेकिन बात रक़म की नहीं, आदत बनाने की है.
मैंने उन्हें SIP कैलकुलेटर इस्तेमाल करके दिखाया कि ₹500 प्रति महीने, 15 साल के लिए औसतन 12 फ़ीसदी रिटर्न पर निवेश करने पर, ₹2.37 लाख से ज़्यादा हो जाता है. वो हैरान थी. लेकिन मामला सिर्फ़ कैलकुलेशन तक सीमित नहीं था.
मैंने उन्हें सुझाव दिया कि "जैसे ही आप निवेश की शुरुआत करेंगी, तो पैसे जोड़ने के तरीके़ अपने आप मिल जाएंगे. "पर कहीं से तो आपको शुरू करनी ही होगी."
इसलिए, देवी ने शुरुआत करने का फै़सला किया. म्यूचुअल फ़ंड में ₹1,000 मंथली SIP. छोटी लेकिन स्थिर.
क़र्ज़ ख़त्म करने का तरीक़ा
निवेश के लिए ज़्यादा पैसे जुटाने के लिए देवी ने अपने कैश फ़्लो पर ग़ौर किया. यहां बताया गया है कि उन्होंने धीरे-धीरे अपने निवेश के लिए जगह कैसे बनाई:
अपने निवेश के लिए ज़्यादा पैसा जुटाने के लिए, देवी ने अपने कैश फ़्लो पर ग़ौर किया. यहां बताया गया है कि कैसे उन्होंने धीरे-धीरे निवेश के लिए जगह बनाई:
1. सब कुछ मैप किया गया
उसने एक साधारण शीट बनाई जिसमें उसने अपने सभी ख़र्च लिखे:
- कार लोन: ₹12,000/महीना
- भाई की कॉलेज फ़ीस: ₹10,000/महीना
- किराया, राशन, बिल और अन्य ज़रूरी ख़र्च: ₹25,000/महीना
इससे उसके पास हर महीने लगभग ₹5,000 से ₹6,000 बचते थे, लेकिन ये तुरंत गायब हो जाते थे.
2. फ़िज़ूल ख़र्च का पता लगाया
दो महीने तक ख़र्च ट्रैक करने के बाद,उसे एहसास हुआ कि वो बेतरतीब खाने के ऑर्डर, कैब और ऑनलाइन शॉपिंग पर ₹3,000 से ज़्यादा ख़र्च कर रही थी.
उसने स्वीकार किया "मुझे पता ही नहीं था कि सिर्फ़ वीकडे लंच पर लगभग ₹1,200 ख़र्च कर रही थी."
उसने यह सब बंद नहीं किया, बल्कि इसे कम कर दिया. स्विगी हफ़्ते में एक बार का ट्रीट बन गया और आने-जाने के लिए वो मेट्रो का इस्तेमाल करने लगी. इन छोटा-छोटे बदलावों से उसकी क़रीब ₹2,000 बचत हुई.
3. कार लोन के लिए नई स्ट्रैटेजी तैयार की
ये आसान नहीं था क्योंकि कार असल में उनके माता-पिता की थी. लेकिन देवी ने इसे सुलझाने का साहस दिखाया. उसने अपने बैंक से बात की और लोन की अवधि 12 महीने बढ़ा दी. इससे उसकी EMI ₹12,000 से घटकर ₹9,000 हो गई. यानि, कुल ब्याज में थोड़ी बढ़ोतरी हुई, पर इससे उसे अब राहत मिली.
उसने बताया "मैं बैंक से बात करने से डरती थी," "पर ये सिर्फ़ 15 मिनट की बातचीत थी."
4. एक छोटा इमरजेंसी फ़ंड बनाया
अचानक आने वाले ख़र्चों के लिए क्रेडिट कार्ड पर निर्भर रहने के बजाय, देवी ने एक लिक्विड फ़ं में कुछ पैसा जमा करना शुरू किया. ये छोटा फ़ंड धीरे-धीरे बढ़ने लगा.
आख़िरकार, उसे उम्मीद है कि वे इसे 6-8 महीने के ख़र्चों को पूरा करने के लिए तैयार कर लेगी.
5. SIP का गोल तय किया
अब जब देवी के पास थोड़ा और पैसा आ गया है, तो उन्होंने हर साल धीरे-धीरे अपनी SIP की रक़म को बढ़ाने का तय किया.
उसने बताया, "सैलरी बढ़ने के साथ वो अपनी SIP को बढ़ाने लागी" "इससे हर चीज़ मैनेज करने में आसान लगती है और दबाव नहीं लगता."
अब उसके क्या हाल हैं?
देवी को ₹1,000 की SIP शुरू किए दो साल हो चुके हैं. आज वो हर महीने ₹4,000 निवेश करती हैं. वो अभी भी अपने परिवार को सपोर्ट करती हैं और कार की EMI देती हैं. इसी के साथ वो धीरे-धीरे अपनी संपत्ति बनाने में भी लगी हुई है.
उसके लिए "सबसे अच्छी बात ये रही की अब उसे नींद अच्छी आती है, क्योंकि मुझे महीना गुज़रने का डर नहीं रहता."
अगले साल, उसका भाई ग्रेजुएट हो जाएगा. जिससे उसके पास ₹10,000 फिर से उपलब्ध हो जाएंगे. उनमें से आधा हिस्सा उसकी SIP में जाएगा और आधा हिस्सा ट्रैवल फ़ंड में, जो उसके अनुशासन के लिए एक छोटा सा इनाम है.
आपके लिए सबक़
छोटी शुरुआत करें, पर शुरुआत करें:
₹500 शायद बहुत ज़्यादा न लगें, लेकिन ये कुछ न होने से बेहतर है. इसका उद्देश्य आदत बनाना है न कि पर्फे़क्शन का पीछा करना. और कंपाउंडिंग के जादू से छोटी रक़म भी समय के साथ बड़ी हो जाती है. आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके पैसे को बढ़ने में उतना ही ज़्यादा समय मिलेगा.
पता लगाएं कि आपका पैसा कहां जा रहा है:
आप जो नहीं देख सकते उसे ठीक नहीं कर सकते. बजट ट्रैक करें और देखें कि कहां-कहां से पैसे ख़र्च हो रहे हैं. यही पहला क़दम है सुधार की दिशा में.
ऊंचे ब्याज वाले कर्ज़ को प्राथमिकता दें:
अगर आपके पास कई लोन हैं, तो सबसे महंगे लोन जैसे क्रेडिट कार्ड का भुगतान कर दें। इससे आपको लंबे समय में ज़्यादा बचत होगी.
छोटे-छोटे बदलाव बड़े अंतर ला सकते हैं:
फ़िज़ूल ख़र्च जैसे फ़ूड डिलीवरी और ऑनलाइन शॉपिंग कम कर के आप अच्छी-ख़ासी बचत कर सकते हैं.
परिवार और भविष्य दोनों का साथ दें:
ये सोचें कि आप परिवार का समर्थन करते हुए अपने भविष्य को भी सुरक्षित कर सकते हैं. एक छोटा सा प्लान बनाकर आप ये दोनों एक साथ मैनेज कर सकते हैं.
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ये लेख पहली बार अप्रैल 14, 2025 को पब्लिश हुआ.