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SEBI ने SIF के मामले में दी कुछ ‘छूट’

SEBI ने पहले फ़ंड के लॉन्च से पहले SIF नियमों में बदलाव किया, जिससे फ़ंड हाउस को अधिक लचीलापन मिला और निवेशकों की सीमा पर स्पष्टता आई है

सेबी ने विशेष निवेश फंड (एसआईएफ) पर शिकंजा ढीला कियाAI-generated image

कल्पना कीजिए कि आप इतने महंगे हैं कि आपकी लॉन्च पार्टी को इसलिए रिशिड्यूल कर दिया जाता है क्योंकि ड्रेस कोड तय नहीं थी. असल में, स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फ़ंड (SIF) के साथ यही हुआ है. SEBI द्वारा स्वीकृत, ये अमीरों (हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर) के लिए बना विकल्प अप्रैल 2025 में शुरू होने वाला था - लेकिन पहला फ़ंड रनवे पर उतरने से पहले ही, कुछ कमियों के चलते SEBI को इसमें कुछ बदलाव करना पड़ा है. अब, रेग्युलेटर से क्लैरिफ़िकेशन मिलने के कारण, फ़ंड हाउस आखिरकार लालफीताशाही में फंसे बिना अपने नए प्रोडक्ट्स तैयार कर सकते हैं.

सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 9 अप्रैल, 2025 को एक अहम क्लैरिफ़िकेशन जारी किया है, जिसमें आधिकारिक तौर पर आग़ाज़ के कुछ ही दिन बाद स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फ़ंड्स (SIF) के लिए रेग्युलेट्री फ़्रेमवर्क को दुरुस्त किया गया है. ये बदलाव म्यूचुअल फ़ंड और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया (AMFI) से मिले फीडबैक को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं, हालांकि अभी तक कोई SIF लॉन्च नहीं किया गया है.

दो प्रमुख अपडेट सामने आए हैं:

1. इंटरवल स्ट्रैटजी फ़्लेक्सिबिलिटी ( Interval strategy flexibility): SEBI ने SIF को इंटरवल म्यूचुअल फ़ंड को नियंत्रित करने वाले सख्त मैच्योरिटी नियमों से छूट दी है. फ़ंड मैनेजर अब रिडेम्शन विंडो से बंधे बिना लंबी अवधि या कम लिक्विड इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकते हैं - जिससे बेहतर रणनीतियों के लिए SIF ज़्यादा आकर्षक हो गए हैं.

2. न्यूनतम निवेश नियम में सुधार: ₹10 लाख की न्यूनतम निवेश सीमा को AMC द्वारा पेश की जाने वाली सभी SIF स्ट्रैटजीस पर लागू करने के लिए स्पष्ट किया गया है, न कि हर स्कीम पर. साथ ही, SEBI ने "स्किन-इन-द-गेम" (जिसमें किसी का कुछ इंटरेस्ट हो या कुछ दांव पर लगा हो) नियमों के तहत अनिवार्य निवेश करने वाले नामित AMC कर्मचारियों के लिए एक अपवाद बनाया है.

लॉन्च से पहले किए गए इन बदलावों का उद्देश्य अस्पष्टता को दूर करना, AMC के लिए परिचालन में आसानी सुनिश्चित करना और नवाचार और निवेशक सुरक्षा के लिए SEBI की प्रतिबद्धता को मजबूत करना था. रेग्युलेटर से जुड़ी बंदिशों के दूर होने के साथ, फ़ंड हाउसों को अब आत्मविश्वास के साथ SIF लॉन्च करने की हरी झंडी मिल गई है, वो भी लचीलेपन, स्पष्टता और थोड़ी कम कागजी खानापूरी के साथ.

ये भी पढ़ेंः SIF है अमीरों का म्यूचुअल फ़ंड, लेकिन क्या आप इसकी ख़ूबियों और कमियों को जानते हैं?

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