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सोमवार, 7 अप्रैल 2025 की सुबह भारतीय शेयर बाज़ार में तेज़ गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के बीच स्वाभाविक रूप से कुछ चिंता का माहौल बन गया. इस लेख के लिखे जाने तक (सुबह 10:48 AM IST), सेंसेक्स लगभग 72,328 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. इस मौजूदा परिदृश्य में, लंबी अवधि के इक्विटी निवेशकों को इस तरह की गिरावटों को एक संभावित अवसर के रूप में देखना चाहिए. आइए जानें कैसे और क्यों.
शेयर बाज़ार की प्रकृति ही ऐसी है कि इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ये एक ऐसी नदी की तरह है जिसमें ज्वार और भाटा इसके स्वभाव में हैं. बाज़ार में गिरावट कई कारणों से आ सकती है, जिनमें वैश्विक आर्थिक चिंताएं, कंपनियों के प्रदर्शन में कमी, या फिर बाज़ार में मुनाफ़ावसूली का दौर शामिल हो सकता है. वैल्यू रिसर्च की निवेश नीति हमेशा इस बात पर ज़ोर देती है कि लंबी अवधि के निवेशकों को इन अल्पकालिक अस्थिरताओं से घबराना नहीं चाहिए. उनका मानना है कि इक्विटी में निवेश का असली फ़ायदा समय के साथ ही मिलता है.
घबराहट क्यों हो रही है?
आपकी घबराहट की जड़ अक्सर आपके निवेश के प्रति आपके विश्वास की कमी या फिर आपके निवेश के समय-सीमा के साथ तालमेल न बिठा पाने में निहित होती है. जब आप किसी ऐसे शेयर या संपत्ति में निवेश करते हैं जिसके बारे में आपको पूरी जानकारी नहीं है या जिसकी संभावनाओं पर आपको संदेह है, तो बाज़ार में थोड़ी सी भी नकारात्मक ख़बर या गिरावट आपको बेचैन कर सकती है. ये अविश्वास आपको रातों की नींद उड़ा सकता है और आप जल्दबाज़ी में ग़लत निर्णय ले सकते हैं. इसके उलट, अगर आपने गहरी रिसर्च और अनालेसिस के बाद मज़बूत बुनियादी सिद्धांतों वाली कंपनियों में निवेश किया है, तो बाज़ार की अस्थिरता आपको परेशान नहीं करेगी क्योंकि आपको अपने निवेश की क्वालिटी पर भरोसा होगा.
दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि आपने उस पैसे को इक्विटी में कब तक रखा है जिसका इस्तेमाल आपको निकट भविष्य में करना है. इक्विटी बाज़ार के श़ॉर्ट-टर्म अस्थिरता सामान्य है और अगर आपको अगले कुछ महीनों या एक-डेढ़ साल में किसी बड़े ख़र्च के लिए उस पैसे की ज़रूरत है, तो बाज़ार में अचानक आई गिरावट आपकी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग को पटरी से उतार सकती है. ऐसी स्थिति में, आपके पास घबराहट में नुक़सान पर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. इसलिए, हमेशा कहा जाता है कि आप अपनी तात्कालिक पैसों की ज़रूरतों के लिए अलग से सुरक्षित और कम जोखिम वाले निवेश करें और इक्विटी में केवल वही पैसा लगाएं जिसे आप लंबी अवधि के लिए बढ़ने दे सकते हैं.
ये अंततः आपकी निवेश रणनीति की बात है. एक सोची-समझी और लॉन्ग-टर्म निवेश रणनीति में आपकी जोखिम लेने की क्षमता, फ़ाइनेंशियल गोल और निवेश की समय सीमा स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं. अगर आपकी रणनीति इन बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है, तो बाज़ार की शॉर्ट-टर्म गिरावटें आपको एक अवसर की तरह लगेंगी, न कि ख़तरे की तरह.
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बाज़ार की गिरावट क्यों है लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक अवसर?
- आकर्षक वैल्युएशन पर निवेश: बाज़ार में जब गिरावट आती है, तो कई मज़बूत और अच्छी बुनियादी सिद्धांतों वाली कंपनियों के शेयर भी कम क़ीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं. ये लंबी अवधि के निवेशकों के लिए उन क्वालिटी वाले शेयरों को ख़रीदने का एक सुनहरा अवसर होता है, जिन्हें वे पहले ज़्यादा वैल्युएशन यानि महंगे होने के कारण ख़रीदने से हिचक रहे थे. ये एक तरह से 'सेल' का माहौल होता है, जहां आप अपनी पसंदीदा चीज़ें कम क़ीमत पर ख़रीद सकते हैं.
- औसत लागत को कम करना: जो निवेशक नियमित रूप से इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़रिए निवेश करते हैं, उनके लिए बाज़ार की ये गिरावट एक वरदान साबित हो सकती है. जब बाज़ार नीचे जाता है, तो उनकी समान निवेश राशि में ज़्यादा यूनिट्स ख़रीदी जाती हैं, जिससे उनकी औसत ख़रीद लागत (average cost) कम हो जाती है. जब बाज़ार वापस ऊपर उठता है, तो उन्हें इसका सीधा फ़ायदा मिलता है. सेबी द्वारा जारी दिशानिर्देश SIP को रिटेल निवेशकों के लिए एक अनुशासित और असरदार निवेश के ज़रिए के रूप में प्रोत्साहित करती है.
- मज़बूत कंपनियों की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ: लंबी अवधि में, वही कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं जिनके बुनियादी सिद्धांत मज़बूत होते हैं, जिनका प्रबंधन सक्षम होता है और जिनमें ग्रोथ की अपार संभावनाएं होती हैं. बाज़ार की गिरावट इन कंपनियों के शेयरों को और भी आकर्षक बना देती है. ये एक ऐसा समय होता है जब आप भविष्य के विजेताओं में कम क़ीमत पर हिस्सेदारी ख़रीद सकते हैं.
- भावनात्मक निर्णयों से बचाव: बाज़ार की गिरावट के दौरान अक्सर निवेशक घबराकर अपने निवेश बेच देते हैं, जिससे उन्हें नुक़सान होता है. लंबी अवधि के निवेशक बाज़ार की इन क्षणिक चालों से प्रभावित नहीं होते और अपनी लंबी अवधि की निवेश रणनीति पर विश्वास रखते हैं. वे जानते हैं कि बाज़ार अंततः सुधरेगा और उनके धैर्य का फल उन्हें मिलेगा, और ऐसा ही हमेशा हुआ भी है.
कोविड की गिरावट में क्या हुआ था
इससे पहले कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय शेयर बाज़ार के इतिहास में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट आई थी. 23 मार्च 2020 को भारत में लॉकडाउन की घोषणा के बाद सेंसेक्स 3,935 प्वाइंट या 13.2% गिर गया था.
हालांकि, इसके बाद बाज़ार ने तेज़ी से वापसी की. जो निवेशक इस गिरावट में भी बने रहे और उन्होंने अपने निवेश को बेचा नहीं, उन्हें इसका बड़ा फ़ायदा मिला. अगले कुछ महीनों में बाज़ार में ज़ोरदार रिकवरी हुई और सेंसेक्स ने लगभग 10 महीनों के भीतर, यानि जनवरी 2021 तक अपने पिछले ऊंचे स्तर को पार कर लिया.
लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इस समय कुछ महत्वपूर्ण सुझाव
- शांत रहें और घबराएं नहीं: बाज़ार की गिरावट एक सामान्य घटना है. भावनात्मक होकर कोई भी निवेश निर्णय न लें. अपनी निवेश योजना पर विश्वास रखें.
- अपनी निवेश रणनीति पर दोबारा सोचें (लेकिन बदलें नहीं): ये समय अपनी निवेश रणनीति की समीक्षा करने का है. देखें कि क्या आपका पोर्टफ़ोलियो आपके फ़ाइनेंशियल गोल और रिस्क उठाने की क्षमता के मुताबिक़ है. अगर ज़रूरी हो तो मामूली बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन बाज़ार की तात्कालिक प्रतिक्रिया के आधार पर अपनी पूरी रणनीति को न बदलें.
- क्वालिटी पर ध्यान केंद्रित करें: अपने पोर्टफ़ोलियो में उन कंपनियों पर ध्यान दें जिनके वित्तीय आंकड़े मज़बूत हैं, जिन पर कम क़र्ज़ है और जिनका एक स्थिर बिज़नस मॉडल है. ऐसी कंपनियां बाज़ार की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकती हैं.
- SIP जारी रखें: अगर सीधे स्टॉक में निवेश के बजाए फ़ंड में SIP से निवेश कर रहे हैं, तो इसे बिल्कुल भी न रोकें. ये बाज़ार की गिरावट का सबसे अच्छा फ़ायदा उठाने का तरीक़ा है.
- अतिरिक्त निवेश पर विचार करें (अगर हो सके): अगर आपके पास कुछ अतिरिक्त पूंजी है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता है, तो ये अच्छी क्वालिटी वाले शेयरों में धीरे-धीरे निवेश करने का एक अच्छा अवसर हो सकता है. एकमुश्त बड़ी राशि निवेश करने से बचें और किश्तों में निवेश करें.
- धैर्य रखें: इक्विटी में निवेश लंबी अवधि का खेल है. बाज़ार को वापस ऊपर आने में समय लग सकता है. अपने निवेश पर धैर्य रखें और लंबी अवधि के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें.
एक बड़ा सवालः क्वालिटी इन्वेस्टमेंट कैसे तलाशें
इसके लिए काफ़ी रिसर्च की ज़रूरत होती है. कई अहम पैमानों पर कंपनियों को परखना चाहिए. यहां तक कि फ़ंड में निवेश करना चाहते हैं तो उन्हें भी निवेश शुरू करने से पहले सही तरीक़े से तौलना ज़रूरी है.
यहीं वैल्यू रिसर्च आपकी मदद कर सकता है.
कैसे चुनें Best Mutual Fund
अच्छे रिटर्न के लिहाज़ से म्यूचुअल फ़ंड एक बेहतर विकल्प है. हक़ीक़त में, हर कोई अपने लिए बेस्ट म्यूचुअल फ़ंड ही चुनना चाहता है. इस मामले में वैल्यू रिसर्च धनक आपकी मुश्किल आसान कर सकता है. इसमें निवेश के लिए सबसे अच्छे लगने वाले फ़ंड को फ़ाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. इस तरह से हम 1 स्टार से 5 स्टार तक की रेटिंग देते हैं. और, जिन फ़ंड्स को निवेश के लायक़ नहीं मानते है, उन्हें कोई रेटिंग नहीं दी जाती. हमारे इस फ़ीचर को इस्तेमाल करिए और निवेश के ज़रिए खुद को आर्थिक तौर पर सफ़ल बनाएं.
अगर, आप आंखें मूंदकर दमदार रिटर्न देने वाला कोई फ़ंड चुनना चाहते हैं तो आप हमारी म्यूचुअल फ़ंड एडवाइज़र सर्विस भी ले सकते हैं. इस सर्विस में पोर्टफ़ोलियो प्लानर, एनेलिस्ट की पसंद और अलर्ट जैसी बेहतरीन सर्विस शामिल हैं. इसके अलावा, यहां पर आपको फ़ंड्स के बारे में 'धनक की राय' भी नज़र आएगी.
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कैसे चुनें सही स्टॉक
बाज़ार की आज की गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए निराशा का कारण नहीं बननी चाहिए. बल्कि, इसे एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए. वैल्यू रिसर्च में हम यही कहते हैं कि बाज़ार की अल्पकालिक अस्थिरता से ऊपर उठकर अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. समझदारी से निवेश करके और धैर्य का परिचय देकर, लंबी अवधि के निवेशक बाज़ार की इस गिरावट का सफलतापूर्वक लाभ उठा सकते हैं और अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.
अब सवाल उठता है कि सही स्टॉक को कैसे चुना जाए? क्या एक आम स्टॉक निवेशक के लिए किसी ख़ास स्टॉक का एनालिसिस करना संभव है? असल में ये एक ख़ासा मुश्किल काम है. इसके लिए लंबा अनुभव और पैनी नज़र की ज़रूरत होती है. इस मामले में हमारी वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग और हमारी सर्विस वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र आपके काफ़ी काम आ सकती है, जिनके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं.
वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग
वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग हमारा अपना डेटा पर आधारित स्टॉक रेटिंग सिस्टम है, जिसका आधार है मार्केट में हमारा 30 साल का अनुभव है. इसका मक़सद आपके स्टॉक निवेश को आसान बनाना और अच्छे शेयरों को लेकर आपको गाइड करना है. वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग से किसी भी कंपनी की कमाई, क्वालिटी, ग्रोथ और वैल्यूएशन का एक साथ पता चल जाता है. अलग से बारीक़ी से जांच के लिए स्टॉक रेटिंग के अलग-अलग पैमाने भी मौजूद हैं.
- क्वालिटी: अच्छे रिटर्न रेशियो, कुशल कैपिटल मैनेजमेंट, अच्छी बैलेंस शीट आदि.
- ग्रोथ: हाल के और पिछले पांच साल के टॉप-लाइन और बॉटम-लाइन नंबरों की मज़बूत ग्रोथ. इसके साथ-साथ हम बुक वैल्यू में ग्रोथ का भी ध्यान रखते हैं.
- वैल्यूएशन: P/E, P/B डिविडेंड यील्ड, PEG जैसे वैल्यूएशन मेट्रिक्स को ध्यान में रखा जाता है.
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जानिए, ये आपके निवेश करने के तरीक़े को बदल सकता है
भारत में ज़्यादा डिविडेंड देने वाले शेयर एक जाल के समान हैं. स्थिर क़ीमतें, अविश्वसनीय आय, समय के साथ भुगतान में कमी. लेकिन, ऐसा क्यों है? असल में, ज़्यादातर हाई यील्ड वाली कंपनियां अतीत ठहरे हुए व्यवसायों में फंसी हुई हैं, जिनकी कोई वास्तविक ग्रोथ नहीं है.
डिविडेंड ग्रोथ पोर्टफ़ोलियो बनाए, जो एक गेम-चेंजर है. हमने ऐसी 10 असाधारण कंपनियों को चुना है जो सिर्फ़ डिविडेंड का भुगतान नहीं करतीं, बल्कि वे उन्हें बढ़ाती भी हैं. वास्तविक प्रॉफ़िट और मज़बूत कैश फ़्लो वाले ये बिज़नस साल दर साल बढ़ती आमदनी और पूंजी में दमदार ग्रोथ सुनिश्चित करती हैं.
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हाई-यील्ड के जाल में न फंसें!
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कहां मिलेगी भरोसेमंद सलाह
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डिस्क्लेमर: ये लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. शेयर बाज़ार में निवेश जोखिम भरा होता है और निवेशकों को कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना चाहिए.
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ये लेख पहली बार अप्रैल 07, 2025 को पब्लिश हुआ.