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अगले एक साल में, कुल ₹35,000 करोड़ के कुल एसेट बेस वाले लगभग 15 टारगेट-मैच्योरिटी फ़ंड (TMF) और 14 फ़िक्स्ड-मैच्योरिटी प्लान्स (FMP) के मैच्योर होने की उम्मीद है. इन 29 फ़ंड्स में से 12 अगले छह महीनों में मैच्योर होंगे.
जहां TMF की इस धनराशि में बड़ी हिस्सेदारी है, वहीं, लगभग ₹3,000 करोड़ के साथ FMP की हिस्सेदारी ख़ासी कम है.
लेकिन पहले जानिए, TMF और FMP क्या हैं?
टारगेट-मैच्योरिटी फ़ंड और फ़िक्स्ड-मैच्योरिटी प्लान डेट म्यूचुअल फ़ंड हैं जो एक तय मैच्योरिटी की तारीख़ के साथ फ़िक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं.
जहां TMF ओपन-एंडेड होते हैं और बॉन्ड इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, FMP क्लोज-एंडेड होते हैं और इन्हें केवल मैच्योरिटी पर ही भुनाया जा सकता है. हालांकि TMF में ज़्यादा पारदर्शिता होती है, लेकिन दोनों का उद्देश्य मैच्योरिटी तक रखने पर अनुमानित रिटर्न देना है.
बड़े फ़ंड जो मैच्योरिटी के कगार पर हैं
₹500 करोड़ से ज़्यादा के AUM वाले TMF और FMP जो अगले एक साल में मैच्योर होंगे
फंड | कैटेगरी | AUM (करोड़₹) | मैच्योरिटी का महीना (अनुमानित) |
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भारत बॉन्ड ETF - अप्रैल 2025 (मर्जर की घोषणा पहले ही हो चुकी है) | टारगेट मैच्योरिटी | 10,034 | अप्रैल 2025 |
एडलवाइस निफ़्टी PSU बॉन्ड प्लस SDL अप्रैल 2026 50:50 इंडेक्स | टारगेट मैच्योरिटी | 7,734 | अप्रैल 2026 |
निप्पॉन इंडिया ETF निफ़्टी SDL अप्रैल 2026 टॉप 20 इक्वल वेट | टारगेट मैच्योरिटी | 5,251 | अप्रैल 2026 |
भारत बॉन्ड FOF- अप्रैल 2025 (मर्जर की घोषणा पहले ही हो चुकी है) | टारगेट मैच्योरिटी | 4,117 | अप्रैल 2025 |
एक्सिस निफ़्टी AAA बॉन्ड प्लस SDL अप्रैल 2026 50:50 ETF | टारगेट मैच्योरिटी | 1,165 | अप्रैल 2026 |
टाटा क्रिसिल-IBX गिल्ट इंडेक्स - अप्रैल 2026 इंडेक्स | टारगेट मैच्योरिटी | 956 | अप्रैल 2026 |
SBI फ़िक्स्ड मैच्योरिटी प्लान - सीरीज 41 (1498 दिन) | फ़िक्स्ड मैच्योरिटी | 906 | मई 2025 |
एडलवाइस क्रिसिल PSU प्लस SDL50:50 अक्तूबर 2025 इंडेक्स | टारगेट मैच्योरिटी | 811 | अक्तूबर 2025 |
AUM फ़रवरी 2025 का है |
जब ये फ़ंड मैच्योर होते हैं, तो निवेश की गई धनराशि और कोई भी जमा हुआ पैसा आम तौर पर निवेशकों को दिया जाता है. हालांकि, इनमें से कुछ फ़ंड के साथ चीज़ें थोड़ी अलग रही हैं.
निवेशकों को पैसा लौटाने के बजाय, कुछ फ़ंड हाउस मर्जर या रोलओवर विकल्प (जहां फंड हाउस मैच्योर होने वाले बॉन्ड से प्राप्त धनराशि को बाद की मैच्योरिटी अवधि वाली नई सिक्योरिटीज़ में रिइन्वेस्ट करके फ़ंड की मैच्योरिटी की तारीख़ बढ़ाते हैं) दे रहे हैं.
अब तक, दो फ़ंड हाउस ने TMF के लिए मर्जर प्लान्स की घोषणा की है:
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भारत बॉन्ड ETF अप्रैल 2025
को
भारत बॉन्ड ETF अप्रैल 2030
के साथ मर्ज कर दिया जाएगा, जो 15 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा.
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ़ क्रिसिल IBX 60:40 SDL+AAA PSU -अप्रैल 2025 इंडेक्स फ़ंड को आदित्य बिड़ला सन लाइफ़ कॉरपोरेट बॉन्ड फ़ंड में मर्ज कर दिया जाएगा, जो 30 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा.
एक निवेशक के तौर पर आप इस कदम से कैसे फ़ायदा उठा सकते हैं? आइए, जानते हैं.
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निवेशकों पर मर्जर या रोलओवर का असर
डेट फ़ंड का मर्जर या रोलओवर फ़ंड हाउस और निवेशकों दोनों के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है. फ़ंड हाउस को अपनी एसेट बनाए रखने का मौक़ा मिलता है, वहीं निवेशकों को टैक्स का भी फ़ायदा मिलता है.
यहां जानिए, कैसे:
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अगर आपने 1 अप्रैल 2023 से पहले TMF या FMP में निवेश किया होता, तो दो साल से ज़्यादा समय तक रखने पर आपके फ़ायदे पर 12.5 फ़ीसदी टैक्स लगेगा. रिडेम्शन के समय मर्जर या रोलओवर का विकल्प चुनने से आपको टैक्सेशन के उद्देश्यों के लिए ख़रीद की अपनी मूल तारीख़ जारी रखने की अनुमति मिलती है.
- हालांकि, अगर आप अभी यूनिट्स को रिडीम करते हैं और फिर से निवेश करते हैं, तो नए निवेश पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि 1 अप्रैल 2023 को या उसके बाद किए गए किसी भी डेट फ़ंड निवेश पर होल्डिंग पीरियड के बावजूद आपके टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है.
इसके चलते, टैक्स के मामले में एक बड़ा अंतर पैदा होता है. टैक्स के बाद, आप अपने निवेश से जो पैसा निकालते हैं, वो मुख्य रिटर्न से कम होता है. वास्तव में, टैक्स के बाद समान रिटर्न पाने के लिए, आपको टैक्स से पहले लगभग 25 फ़ीसदी ज़्यादा कमाने की ज़रूरत होगी.
मिसाल के तौर पर, अगर आप टैक्स के बाद 6 फ़ीसदी कमाते हैं, तो आपको इतना ही फ़ायदा हासिल करने के लिए टैक्स से पहले 7.5 फ़ीसदी रिटर्न कमाने की ज़रूरत होगी. डेट एसेट क्लास से इसे हासिल करना कठिन है.
तो, निवेश बनाए रखें या फिर उसे रिडीम करें?
अगर आपको तुरंत पैसे की ज़रूरत नहीं है और आप अपने पोर्टफ़ोलियो में कुछ डेट एलोकेशन बनाए रखना चाहते हैं, तो मर्ज की गई या बढ़ाई गई योजना को जारी रखना समझदारी होगी, साथ ही आपको टैक्स इफ़िशिएंसी का फ़ायदा भी मिलेगा.
इसके अलावा, निवेश बनाए रखने का फैसला करने से पहले सुनिश्चित करें कि नए फ़ंड के स्ट्रक्चर और रिस्क प्रोफ़ाइल आपके फ़ाइनेंशियल गोल्स के अनुरूप है.
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