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फ़ाइनांस की दुनिया में ट्रंप के टैरिफ़़ अनाउंसमेंट के बाद उथल-पुथल मच गई है, जिससे दुनिया भर के बाज़ारों में झटके लगे हैं. अमेरिकी शेयर बाज़ार ने मार्च 2020 के बाद से एक दिन में अपनी सबसे बड़ी गिरावट देखी:
- S&P 500 में 4.8 प्रतिशत की गिरावट, जो चार साल में सबसे बड़ी गिरावट है.
- डॉव जोन्स 1,100 प्वाइंट (2.5 प्रतिशत) गिरा, और नैस्डैक में 5 प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट आई.
- नए टैरिफ़़ के असर से वैश्विक व्यापार युद्ध और मंदी की आशंकाएं बढ़ रही हैं.
- टेक्नोलॉजी, रिटेल, और कंज़्यूमर स्टॉक्स पर भारी दबाव पड़ा. एनवीडिया को HSBC ने डाउनग्रेड किया, एप्पल के शेयरों में तेज़ गिरावट आई, और वैश्विक सप्लाई चेन पर निर्भर कंपनियों को बड़े नुक़सान हुए.
- निवेशकों की भावनाओं पर डर हावी है. AAII सर्वे के अनुसार, 61.9 प्रतिशत निवेशक निराशावादी हैं, जो इतिहास में तीसरा सबसे ऊंचा स्तर है.
- सोने की क़ीमतें अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं, क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुख़ कर रहे हैं.
जिम रिकर्ड्स (अमेरिकी वकील और निवेश बैंकर) के अनुसार, "ये आर्थिक राष्ट्रवाद का चरम रूप है—बाज़ार इन टैरिफ़़ की स्याही सूखने से पहले ही अराजकता की क़ीमत लगा रहे हैं."
लिज़ ऐन सॉन्डर्स (चार्ल्स श्वाब में मुख्य निवेश रणनीतिकार) ने चेतावनी दी, "निवेशक ऐसे बाहर भाग रहे हैं जैसे ये फिर से 1929 हो; सवाल ये है कि ये घबराहट है या भविष्यवाणी."
भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?
भारत इन वैश्विक झटकों से अछूता नहीं है, और निवेशकों को बाज़ार में एक उठा-पटक वाले दिन के लिए तैयार रहना चाहिए.
- कल, इंडेक्स मज़बूत बंद हुए (सेंसेक्स +592 प्वाइंट, निफ्टी +166.65), लेकिन आज की स्थिति अलग हो सकती है.
- विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं. FII पहले से ही पैसा निकाल रहे हैं, और लगातार पैसे निकालने से रुपया कमज़ोर हो सकता है.
- IT, ऑटो, और फ़ार्मा जैसे सेक्टरों पर दबाव पड़ सकता है, क्योंकि भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ़ से निर्यात लागत बढ़ेगी.
- ध्यान देने योग्य प्रतिरोध स्तर: निफ्टी 23,650-23,800 के प्रमुख प्रतिरोध स्तर का सामना कर रहा है—यदि यह टूटता है, तो आगे और गिरावट संभव है.
मोहम्मद एल-एरियन (अर्थशास्त्री) ने चेतावनी दी, "ये सुधार नहीं; एक चेतावनी है—इतने व्यापक टैरिफ़़ एक दशक की सप्लाई चेन स्थिरता को ख़त्म कर सकते हैं."
डाएन स्वोंक (KPMG US में मुख्य अर्थशास्त्री) ने जोड़ा, "अमेरिकी उपभोक्ता इस 'मुक्ति' की क़ीमत ऊंची क़ीमतों से चुकाएंगे—रिटेल स्टॉक्स इस संकट का संकेत दे रहे हैं."
पीटर शिफ़ (स्टॉकब्रोकर) ने बाज़ार की उथल-पुथल को संक्षेप में बताया, "ट्रंप ने वैश्विक व्यापार के नीचे आग लगा दी है, और वॉल स्ट्रीट सबसे पहले इसकी गर्मी महसूस कर रहा है."
करंसी और कमोडिटी की स्थिति
- अमेरिकी डॉलर दबाव में है, यूरो 1.11 प्रति USD तक बढ़ गया है.
- बिटकॉइन $81,000 तक गिर गया, जो व्यापक जोखिम-बचाव भावना को दिखाता है.
- तेल की क़ीमतों में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि ओपेक+ ने आर्थिक मंदी का मुक़ाबला करने के लिए प्रोडक्शन बढ़ाया है.
- सोना की चमक कायम है. घबराहट के माहौल में, निवेशक सुरक्षित एसेट्स (संपत्तियों) की ओर भाग रहे हैं.
भारतीय निवेशकों के लिए आगे की राह
हालांकि आज का दिन अस्थिर हो सकता है, बाज़ार चक्रों में चलते हैं. घबराहट में बिकवाली कोई रणनीति नहीं है—स्मार्ट निवेश करना है. इन प्रमुख सिद्धांतों का पालन करें:
- डिफ़ेंसिव सेक्टर: ऊर्जा और यूटिलिटीज़ ने स्थिरता दिखाई है. इन सेक्टरों के स्टॉक्स अस्थिर समय में स्थिर रहते हैं.
- सोना: ये रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है, और बाज़ार की घबराहट बढ़ने के साथ, मांग मज़बूत बनी रहेगी. सोने में एक छोटा एलोकेशन अस्थिरता के ख़िलाफ़ सुरक्षा रूप में काम कर सकता है.
- क्वालिटी स्टॉक्स: मज़बूत, क़र्ज़-मुक्त कंपनियों की तलाश करें जिनके पास ठोस कैश फ़्लो हो. ये कंपनियां बहुत ज़्यादा क़र्ज़ से ग्रस्त कंपनियों की तुलना में उथल-पुथल का सामना करने में ज़्यादा सक्षम होती हैं.
- रुपये के ख़िलाफ़ हेजिंग: कमज़ोर होता रुपया निर्यात पर आधारित सेक्टरों जैसे IT को लॉन्ग-टर्म के तौर पर ज़्यादा आकर्षक बना सकता है, हालांकि निकट भविष्य में अस्थिरता की उम्मीद है.
- कैश तैयार रखें: बाज़ार की गिरावट अक्सर अच्छे ख़रीदारी के मौक़े देती है. क्वालिटी वाले स्टॉक्स को कम क़ीमतों पर ख़रीदने के लिए लिक्विडिटी होना एक जीतने वाली रणनीति हो सकती है.
बिल नाइग्रेन (प्रसिद्ध वैल्यू इन्वेस्टर) के अनुसार, अराजकता में भी अवसर होते हैं: "अस्थिरता अवसर पैदा करती है. हमें बस उनके लिए तैयार रहना चाहिए.”
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