पहली अप्रैल 2025 से सेबी और डिजिलॉकर (DigiLocker) ने एक नया सिस्टम शुरू करने के लिए हरी झंडी दे दी है. इसके तहत किसी निवेशक की मृत्यु होने की स्थिति में अब उनके नॉमिनी डिजिलॉकर के ज़रिए उनकी म्यूचुअल फ़ंड और स्टॉक होल्डिंग्स की पूरी जानकारियों तक आसानी से पहुंच सकेंगे. इसका उद्देश्य ऐसे स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड के मामलों में कमी लाना है जहां निवेश बिना क्लेम किए (unclaimed) ही रह जाते हैं.
क्या है डिजिलॉकर?
डिजिलॉकर एक सरकारी डिजिटल वॉलेट है, जिस पर आप ज़रूरी सरकारी दस्तावेज़ सुरक्षित रख सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर डिजिटली शेयर कर सकते हैं. अब तक इस ऐप पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक स्टेटमेंट्स, इंश्योरेंस पॉलिसी, NPS स्टेटमेंट्स जैसे अपने ज़रूरी डॉक्युमेंट सुरक्षित रखे जाते रहे हैं. अब यही ऐप, आपके सभी निवेशों का ब्यौरा डिजिटल तरीक़े से रखेगा.
डिजिलॉकर में रख सकेंगे निवेश के ज़रूरी डॉक्युमेंट
सेबी ने अनक्लेम्ड इन्वेस्टमेंट्स के नंबर कम करने की अपनी पहल के तहत डिजिलॉकर के साथ फ़ंड और स्टॉक निवेशों को लेकर नई व्यवस्था की है. इसमें निवेशक अपने डीमैट अकाउंट से शेयर और म्यूचुअल फ़ंड होल्डिंग की पूरी जानकारी डिजिलॉकर में जमा कर सकेंगे. और निवेशकों को उनके कंसोलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट (CAS) तक भी पहुंच मिलेगी. इस नए क़दम से निवेशकों और उनके परिवारों को काफ़ी मदद मिलेगी, ख़ासकर जब किसी निवेशक की मृत्यु हो जाने पर.
नॉमिनेशन की सुविधा
सेबी और डिजिलॉकर की इस पहल का उद्देश्य किसी निवेशक के निधन के बाद उनकी संपत्ति को सही तरीके़ से और जल्दी उनके नॉमिनी और कानूनी वारिसों तक पहुंचाना है. जब किसी निवेशक की मृत्यु होती है, तो डिजिलॉकर सिस्टम नॉमिनी को "रीड-ओनली" एक्सेस देगा, जिससे उन्हें निवेशक के फ़ाइनेंशियल डॉक्युमेंट्स आसानी से मिल जाएंगे. इस एक्सेस का मतलब ये है कि नॉमिनी को सभी जानकारी बिना किसी मुश्किल के मिल जाएगी, जिससे वो एसेट्स को आसानी से क्लेम कर सकेंगे.
कैसे काम करेगा यह नया सिस्टम?
इस नए सिस्टम के तहत, सेबी ने KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसियों (KRA) से जुड़ा हुआ एक ऑटोमेटेड नोटिफ़िकेशन सिस्टम तैयार किया है. इसके तहत, किसी निवेशक के निधन की सूचना रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए डेथ रजिस्टर से मैच होगी और ये सूचना KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसी से मिलने पर, डिजिलॉकर सिस्टम अपने आप उस निवेशक के नॉमिनी को डेटा एक्सेस करने की सूचना देगा. ताकि, नॉमिनी समय पर होल्डिंग्स की जानकारी हासिल कर सके.
क्या होगा अगर नॉमिनी अलग हो?
कभी-कभी ये हो सकता है कि डिजिलॉकर पर जो नॉमिनी दर्ज है, वो असली नॉमिनी से अलग हो. ऐसे मामलों में, डिजिलॉकर नॉमिनी को ये जानकारी देगा कि उसे असली नॉमिनी या क़ानूनी वारिस को जानकारी देनी होगी, ताकि वो आगे के प्रॉसेस को पूरा कर सकें. ये एक बड़ा क़दम है क्योंकि इससे ये पक्का होगा कि सही व्यक्ति को ही संपत्ति का क्लेम मिले.
निवेशकों को क्या करना होगा?
निवेशकों को इस सिस्टम का पूरा फ़ायदा उठाने के लिए डिजिलॉकर में अपनी होल्डिंग्स को अपडेट करना होगा, और उन्हें अपनी इन्वेस्टमेंट्स के लिए नॉमिनी का नाम और मोबाइल नंबर, ई-मेल जैसे उनके कॉन्टैक्ट डिटेल दर्ज कराना होगा. ये जानकारी देना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि नॉमिनी को समय पर सूचना मिल सके. इसके अलावा, निवेशक को ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी ज़रूरी दस्तावेज़ डिजिलॉकर में सही और पूरी तरह से अपलोड किए गए हैं.
सेबी का उद्देश्य और डिजिलॉकर का रोल
इस पहल का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि इससे बिना क्लेम किए हुए फ़ाइनेंशियल एसेट की समस्या कम होगी. अक्सर ऐसा होता है कि निवेशकों की मृत्यु के बाद उनके परिवार को उनकी फ़ाइनेंशियल एसेट की सही जानकारी नहीं मिल पाती. पर डिजिलॉकर के ज़रिए अब ये मुमक़िन होगा कि सभी ज़रूरी डॉक्युमेंट आसानी से उपलब्ध हों, और नॉमिनी को सीधे एक्सेस देने से एसेट ट्रांसमिशन प्रॉसेस तेज़ और पारदर्शी होगा. इससे क़ानूनी उत्तराधिकारियों को बेकार के झंझटों का सामना नहीं करना पड़ेगा. सेबी का उद्देश्य है कि निवेशक की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति बिना किसी अड़चन के उनके नॉमिनी तक पहुंचे. आज भी लाखों करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट्स बिना क्लेम के पड़े हुए हैं क्योंकि निवेशक की मृत्यु के बाद उनके परिवारों को सही जानकारी नहीं मिल पाती. अब ये नया सिस्टम इस समस्या को हल करेगा और ये पक्का करेगा कि निवेशक की मृत्यु के बाद उनकी सारी संपत्ति उनके क़ानूनी वारिस तक सही समय पर पहुंचे.
ये क़दम सेबी और डिजिलॉकर के सहयोग से निवेशकों और उनके परिवारों को एक मज़बूत सुरक्षा देगा, जिससे वो अपने फ़ाइनेंशियल डॉक्युमेंट्स को डिजिटल रूप से सुरक्षित रख सकते हैं और किसी भी तरह की परेशानी से बच सकते हैं.
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