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कंपाउंडिंग गणित से कहीं ज़्यादा है

जटिल परिभाषाएं किस तरह वैल्थ बढ़ाने को लेकर हमारी समझ को सीमित कर सकती हैं.

कंपाउंडिंग का असर: टेक्सबुक परिभाषा से परे देखनाAI-generated image

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हाल ही में, एक पाठक ने मुझे एक आलोचना भेजी जिसे मैं आपके साथ बांटना चाहूंगा: "कृपया इक्विटी जैसे मार्केट इन्वेस्टमेंट से संबंधित होने पर 'कंपाउंडिंग' यानि चक्रवृद्धि ब्याज शब्द का इस्तेमाल करना बंद करें. 'कंपाउंडिंग' का अर्थ ब्याज की एक दर है जो ये पक्का करती है कि निवेश साल दर साल एक निश्चित दर से बढ़ेगा. बाज़ार में ऐसा कोई आश्वासन नहीं है; आपके निवेश में 5 प्रतिशत, 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है या यहां तक कि 5 प्रतिशत की कमी भी हो सकती है. इसे 'कंपाउंडिंग' का असर कहना पाठक को गुमराह करना है."

हालांकि, पाठक ने अपने विश्वास को दोहराया कि बाज़ार में निवेश करना असल में महंगाई दर के ख़िलाफ़ सबसे अच्छा बचाव है, लेकिन उन्होंने कहा कि 'कंपाउंडिंग' एक बेहद भ्रामक शब्द है जो नए निवेशकों को भ्रम में डालता है और उन्हें नुक़सान पहुंचाता है.

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मैं इस प्रतिक्रिया की सराहना करता हूं, क्योंकि ये पर्सनल फ़ाइनांस में अकादमिक सटीकता और व्यावहारिक समझ के बीच एक दिलचस्प तनातनी को ज़ाहिर करता है. हालांकि, मैं कंपाउंडिंग की इस कठोर, किताबी व्याख्या से पूरे सम्मान के साथ असहमत हूं.

प्रैक्टिकल फ़ाइनांस में - ऐसा जो लोगों को पूंजी खड़ी करने में मदद करे - हम "कंपाउंडिंग" का इस्तेमाल ऐसे रिटर्न की बात करने के लिए करते हैं जो निवेश में बना रहता है और इस तरह से भविष्य के रिटर्न को बढ़ाता है. जब मैं म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करता हूं और पैसे को निवेश में ही रहने देता हूं, तो रिटर्न मेरी होल्डिंग्स की वैल्यू बढ़ाता है. उस बढ़ी हुई रक़म पर और रिटर्न मिलता है. ये रोज़मर्रा के पर्सनल फ़ाइनांस के लिए कंपाउंडिंग की एक पूरी तरह से तर्कसंगत परिभाषा है.

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पर्सनल फ़ाइनांस की शब्दावली का उद्देश्य अकादमिक शुद्धतावादियों को संतुष्ट करना नहीं, बल्कि बात को इस तरह से समझाना है जिससे लोगों को समझने और फ़ैसले लेने में मदद मिले, जिससे अच्छे नतीजे मिलें. बहुत ज़्यादा कठोर किताबी परिभाषाएं किताबों तक ही सीमित रह सकती हैं जबकि हममें से बाक़ी लोग वास्तविक दुनिया में धन बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

हमें फ़ाइनांस से आगे कंपाउंडिंग की अपनी समझ को ले जाना चाहिए. एक ऐसी कंपनी के बारे में सोचिए जो लगातार अपना बिज़नस बढ़ा रही है. क्या ये ग्रोथ कंपाउंडिंग की एक मिसाल नहीं है? ऐसा है. हरेक ग्रोथ का फ़ेज़ फ़ाइनांसिंग, प्रोडक्ट क्वालिटी, मार्केटिंग, सेल्स, डिस्ट्रीब्यूशन और अनगिनत दूसरे पहलुओं में पिछली उपलब्धियों पर आधारित होता है. आज की सफलता कल की बड़ी सफलता का आधार बन जाती है.

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ये वही है जो कंपाउंडिंग का असल में प्रतिनिधित्व करता है, चाहे बिज़नस हो, निवेश हो या जीवन के दूसरे पहलू हों. ये स्नोबॉल इफ़ेक्ट की बात है - कैसे छोटी-छोटी सही स्थितियां समय के साथ बहुत बड़े नतीजे देने के लिए जमा हो जाती हैं.

इतिहास के महानतम निवेशकों ने सीमित तकनीकी परिभाषाओं को मान कर अपनी ज़बरदस्त सफलता नहीं हासिल की. इसके बजाय, उन्होंने व्यावहारिक वास्तविकता को समझा कि कंपाउंडिंग बिज़नस की वैल्यू के लिए उसी तरह काम करती है जैसे कि ये एक फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में करती है, जिसमें पूर्वानुमान कम होता है और संभावना कहीं ज़्यादा.

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इक्विटी मार्केट में अलग-अलग तरह के रिटर्न कंपाउंडिंग के असर को नकारते नहीं है - ये केवल कैलकुलेशन करने के लिए इसे कम आसान बनाते हैं. एक बिज़नस जो अपनी आमदनी को सालाना अलग-अलग प्रतिशत से बढ़ाता है, तब भी उसकी वैल्यू कंपाउंड होती है. एक निवेश जो कम-ज़्यादा रिटर्न देता है, फिर भी गणित की वास्तविकता से फ़ायदा पाता है कि ₹100, ₹110 और फिर ₹125 तक बढ़ती हुई, कंपाउंडिंग को दिखाता है, भले ही ग्रोथ का रेट एक जैसा हो या न रहा हो.

निवेश में कंपाउंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू रिटर्न के गणित की सटीकता नहीं, बल्कि वो व्यवहार है जो इसे संभव बनाता है. निवेश में बने रहने, मुनाफ़े को ख़र्च करने के बजाय दोबारा निवेश करने और दिनों के बजाय दशकों में सोचने का अनुशासन कंपाउंडिंग के जादू को हमारे पक्ष में काम करने के क़ाबिल बनाता है.

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अक्सर, निवेशक शब्दों के अर्थ और तकनीकी बातों पर अड़े जाते हैं और पेड़ों के लिए जंगल को भुला देते हैं. पाठक सही है कि मार्केट में निवेश की फ़िक्स्ड सालाना ग्रोथ रेट की गारंटी नहीं होती है. हालांकि, सटीक होते हुए भी, ये नज़रिया इस बारे में बड़ी बात को भूल कर बैठता है कि समय के साथ असलियत में धन कैसे बनता है.

एक औसत निवेशक के लिए, ये समझना कि मिले हुए रिटर्न पर रिटर्न तेज़ी से बढ़ता है, इस बात पर बहस करने से कहीं ज़्यादा बड़ी बात है कि क्या ये घटना कंपाउंडिंग की किताबी परिभाषा को सख़्ती से पूरा करती है या नहीं. आपका लक्ष्य फ़ाइनेंस की समझ है, न कि शब्दावली की शुद्धता. इसलिए, मैं समय के साथ मामूली निवेश को बड़ी पूंजी में बदलने वाली एक बड़ी ताक़त की बात करने के लिए "कंपाउंडिंग" का इस्तेमाल करना जारी रखूंगा क्योंकि ये असरदार तरीक़े से एक ज़रूरी सच को बयान करता है: निवेश में, समय आपका सबसे बड़ा साथी है, और धैर्य आपका सबसे क़ीमती गुण.

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