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मैं कल रात फ़ोन पर सोशल मीडिया स्क्रॉल कर रहा था, तभी मैंने इसे फिर से देखा. ये किसी के इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो का स्क्रीनशॉट था जिसमें 15.3 फ़ीसदी XIRR (इन्वेस्टमेंट रिटर्न कैलकुलेशन का एक पैमाना) दिखाया गया था. टिप्पणियां जानी-पहचानी थीं: "शानदार रिटर्न!" "कौन सा फ़ंड है?" "आप सफल रहे हैं!"
असल में, डबल डिजिट के रिटर्न किसे पसंद नहीं? अगर मैं कहूं कि जब मेरा पोर्टफ़ोलियो हरे रंग में होता है तो मुझे थोड़ी भी ख़ुशी नहीं होती, तो मैं झूठ बोलूंगा.
लेकिन उस तरह की पोस्ट है जो हमेशा मुझे परेशान करती हैं. जब मैं ऐसे स्क्रीनशॉट क़रीब से देखता हूं, तो हमेशा एक सी कहानी होती है- लार्ज-कैप फ़ंड, मिड-कैप फ़ंड, स्मॉल-कैप फ़ंड और यहां तक कि कुछ अग्रेसिव सेक्टोरल दांव भी. ये सभी प्योर इक्विटी फ़ंड हैं.
और तब मैं सोचता हूं: क्या ये रिटर्न सिर्फ़ बुल मार्केट की सवारी करने की वजह से हैं?
रिटर्न प्रतिशत नहीं बताता आप कितने सुकून में हैं
तेज़ी के बाज़ार में ऊंचे रिटर्न के बारे में शेखी बघारना शांत पानी में तैराकी पर शेखी बघारने जैसा है. असली परीक्षा तब होती है जब आप अशांत पानी और विपरीत हवाओं का सामना कर रहे होते हैं. मैंने देखा है कि बहुत से निवेशक इसे मुश्किल से सीखते हैं. जब उन्हें बाज़ार में गिरावट के दौरान पैसे निकालने पड़े, तो उनके प्रभावशाली रिटर्न ग़ायब हो गए. ऐसा मेडिकल इमरजेंसी, नौकरी छूटने या फिर घर के डाउन पेमेंट की व्यवस्था वगैरह के कारण भी हो सकता है.
उसी समय एक बैलेंस्ड पोर्टफ़ोलियो की सही अहमियत पता चलती है. तब नहीं जब बाज़ार चढ़ रहे हों, बल्कि तब जब बाज़ार लड़खड़ा रहे हों.
उन स्क्रीनशॉट में क्या नहीं दिखाया गया है
1) इमरजेंसी फ़ंड कहां है?
निवेश में सबसे ख़तरनाक शब्द "इस बार ये अलग है" नहीं हैं. वे हैं: "अगर मुझे नक़दी की ज़रूरत है तो मैं हमेशा कुछ निवेश बेच सकता हूं."
ये रणनीति तब तक ठीक काम करती है जब तक कि ये काम न करे. बाज़ारों की एक अनोखी ख़ूबी होती है कि वे ठीक उसी समय गिर जाते हैं जब आपको पैसे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है यानि जब अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही होती है और नौकरियां दांव पर होती हैं.
मैं अलग तरीक़े से क्या करता हूं:
मैं 6-8 महीने के ख़र्च को लिक्विड फ़ंड में रखता हूं, जिसे कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है. हो सकता है कि इससे मुझे सबसे ज़्यादा रिटर्न न मिले, लेकिन इससे मुझे चैन की नींद आती है, क्योंकि मुझे पता है कि अगर ज़िंदगी में कोई मुश्किल आती है तो मुझे अपने इक्विटी निवेश को बेचना नहीं पड़ेगा.
2) एसेट एलोकेशन कहां है?
बुल रन यानी तेज़ी के दौरान अपने 100 फ़ीसदी पैसे को इक्विटी में लगाना बहुत बढ़िया लगता है. आपका पोर्टफ़ोलियो बाक़ी सभी के मुकाबले तेज़ी से बढ़ता है और ये स्क्रीनशॉट बहुत प्रभावशाली लगते हैं.
लेकिन जब बाज़ार में गिरावट आती है - और ऐसा हमेशा होता है - तो वही एलोकेशन एक बुरे सपने में बदल जाता है. बाज़ार में 20 फ़ीसदी की गिरावट का मतलब है आपके पूरे पोर्टफोलियो में भारी गिरावट. ज़्यादातर निवेशकों को इसका एहसास तब होता है जब नुक़सान हो चुका होता है.
मैं अलग तरीके से क्या करता हूं:
मैं कुछ एलोकेशन डेट में रखता हूं, जो रिटर्न के लिए नहीं, बल्कि स्थिरता के लिए करता हूं. एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड जैसे हाइब्रिड फ़ंड एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं क्योंकि वे इक्विटी और डेट दोनों के मिश्रण में निवेश करते हैं.
मैं समय-समय पर अपने पोर्टफ़ोलियो को रिबैलेंस भी करता हूं - उन एसेट्स को बेचता हूं जो अपने टारगेट एलोकेशन से ज़्यादा बढ़ गई हैं और उन एसेट्स को ज़्यादा ख़रीदता हूं जो नीचे गिर गई हैं. इससे एसेट्स के के सही मिश्रण को बनाए रखने में मदद मिलती है. इससे आपको ऊंची क़ीमत पर बेचने, कम क़ीमत पर ख़रीदने और अपने जोखिम को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है. हां, इससे बाज़ारों में तेज़ी के दौरान मुझे कम रिटर्न मिलता है. लेकिन उस एलोकेशन ने उथल-पुथल भरे बाज़ारों के दौरान मेरे पोर्टफ़ोलियो को स्थिर रखा है.
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3) आपके शॉर्ट टर्म के गोल्स के बारे में क्या?
पोर्टफ़ोलियो स्क्रीनशॉट में मुझे जो सबसे बड़ी ग़लती नज़र आती है, वो है समय सीमा की पूरी तरह अनदेखी. आपके पोर्टफ़ोलियो में हर रुपए को एक जैसा नहीं माना जाना चाहिए.
अगले 1-3 सालों में आपको जिस पैसे की ज़रूरत होगी, वो इक्विटी फ़ंड में नहीं होना चाहिए, चाहे रिटर्न कितना भी अच्छा क्यों न दिखे. इक्विटी शॉर्ट टर्म में अस्थिर होती है, और फ़ंड की ज़रूरत से ठीक पहले बाज़ार में गिरावट का जोखिम बहुत ज़्यादा होता है.
मैं अलग तरीक़े से क्या करता हूं:
मैंने अपने निवेश को इस आधार पर तैयार किया है कि मुझे कब पैसे की ज़रूरत होगी:
- कम समय की ज़रूरतें (1-3 वर्ष): मुख्य रूप से डेट फ़ंड (मिसाल के तौर पर, शॉर्ट टर्म फ़ंड)
- मध्यम अवधि के गोल (3-5 वर्ष): हाइब्रिड फ़ंड, मुख्य रूप से कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ड या इक्विटी सेविंग्स फ़ंड
- लंबे समय में वैल्थ तैयार करना (5 से ज़्यादा वर्ष): ज़्यादा एग्रेसिव इक्विटी निवेश
इस नज़रिये से शायद उच्चतम संभावित रिटर्न न मिले, लेकिन इससे सुनिश्चित होता है कि जब मुझे वास्तव में पैसे की ज़रूरत होगी, तो मुझे घाटे में बेचने के लिए मज़बूर नहीं होना पड़ेगा.
जिस रिटर्न के बारे में कोई बात नहीं करता
हाल ही में बाज़ार में गिरावट के दौरान, मेरा पोर्टफ़ोलियो लगभग 7 फ़ीसदी नीचे था, जबकि ब्रॉडर मार्केट में लगभग 15 फ़ीसदी की गिरावट आई. बिल्कुल स्क्रीनशॉट लेने लायक नहीं, लेकिन बिल्कुल वही जो मेरे एसेट एलोकेशन को करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
मंदी के बाजार में कोई भी स्क्रीनशॉट पोस्ट नहीं करता. कोई भी निगेटिव रिटर्न साझा नहीं करता. और, कोई भी ये स्वीकार नहीं करता कि उन्हें घाटे में बेचना पड़ा क्योंकि उन्हें नक़दी की ज़रूरत थी.
ऐसे आकर्षक पोर्टफ़ोलियो स्क्रीनशॉट मुझे टी20 क्रिकेट की याद दिलाते हैं. यह हर ओवर में छक्के और चौके मारने के बारे में है, जो देखने में रोमांचक लेकिन जोखिम भरा होता है. स्मार्ट निवेशक टेस्ट क्रिकेट की तरह खेलते हैं. इसकी रणनीति स्थिर, नपी-तुली और लंबे खेल के लिए तैयार रहने की होती है.
असली लचीलापन तेज़ी के बाजार में उच्चतम रिटर्न हासिल करना नहीं है. ये एक ऐसा पोर्टफ़ोलियो बनाना है जो किसी भी तूफान का सामना कर सके और फिर भी आपके असल जीवन की ज़रूरतों को पूरा कर सके. तो, अगली बार जब आप कोई प्रभावशाली रिटर्न देखें, तो अपने आप से पूछें: क्या ये अगली गिरावट के लिए बनाया गया है या सिर्फ पिछली तेज़ी के लिए?
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ये लेख पहली बार अप्रैल 01, 2025 को पब्लिश हुआ.