पहली बात...

शेयर बाज़ार में नुक़सान: ये बाज़ार की नहीं, आपकी कहानी है

जानी पहचानी दास्तानें जो शेयर बाज़ार में अपने पैसे गंवा बैठते हैं

शेयर बाज़ार में नुकसान: सच्ची कहानियों से सीखें कैसे बचें घाटे से

"मैंने एक शेयर में 11 लाख लगा दिए थे... अब सब डूब गया."

"12 लाख उधार लेकर ऑप्शन में लगाया था, एक्सपायरी क्या होती है, वो भी नहीं पता था."

"एक दिन में 2.3 लाख का नुक़सान हुआ... सांसें अटक गई हैं."

ये काल्पनिक कहानियां नहीं, असली लोग हैं, असली घटनाएं हैं, और शेयर बाज़ार की उस सच्चाई का आईना हैं जिसे ज़्यादातर निवेशक नज़रअंदाज कर देते हैं. जब बाज़ार ऊपर जा रहा होता है, तो हर कोई भागकर पैसा लगाने लगता है. हर तरफ़ एक्सपर्ट दिखाई देते हैं. लेकिन जब गिरता है, तो यही लोग सबसे पहले डूबते हैं. सवाल ये नहीं है कि बाज़ार गिरा, सवाल ये है कि आपने क्यों गिरावट में सब कुछ खो दिया?

लालच और अधूरी जानकारी: विनाश की शुरुआत

"मैंने SBI के ख़राब रिजल्ट की ख़बर पर शॉर्ट सेल किया. ₹2,000 का नुक़सान हुआ तो और बेच डाले. अंत में ₹70,000 का घाटा हुआ."

कोरा पर अपने इन्वेस्टमेंट की कहानी कहने वाले इस युवा ने 20 की उम्र में ट्रेडिंग शुरू की, लिवरेज का इस्तेमाल किया, बिना स्टॉप लॉस के एवरेजिंग करता गया और अंत में अपना पूरा पोर्टफ़ोलियो साफ़ कर बैठा.

इसी तरह एक और नया निवेशक अपनी दास्तान लिख रहा है, "मैंने पहले 5 महीनों में ₹90,000 कमाए थे... एक ही दिन में सब ख़त्म हो गया."

और सबसे बड़ी बात कि ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग का फ़र्क़ नहीं पता. उन्होनें स्टॉक मार्केट को ट्रेडिंग का ज़रिया ही समझा और जहां-तहां से पैसे उधार ले कर निवेश के नाम पर पैसे झोंक दिए. इसमें से कई लोगों ने तो वो ग़लती की जो बड़े बुरे दिन दिखा सकती है और इनमें से कइयों को तो देखने भी पड़ रहे हैं. ये ग़लती है-उधार पर निवेश और उससे भी बुरा, ट्रेडिंग!

उधार लेकर ट्रेडिंग: जब लालच होश पर हावी हो जाए

"12 लाख उधार लिए थे दोस्तों और बैंक से... ऑप्शन ख़रीदा. पर ये भी नहीं पता था कि एक्सपायरी क्या होती है."

"एक्सपायरी के बाद पता चला कि पूरा पैसा ज़ीरो हो गया है. मुझे लगा था बस कॉल और पुट से पैसा बन जाएगा."

सेबी की 2023 की रिपोर्ट कहती है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में 89% रिटेल इन्वेस्टर घाटा खाते हैं. फिर भी लोग बिना समझे इन हाई-रिस्क प्रोडक्ट्स में कूद जाते हैं.

भावनाएं > लॉजिक: निवेश में हार की असली वजह

"मैं घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकता था. सोच लिया था कि जब तक प्रॉफ़िट नहीं होगा, बाहर नहीं निकलूंगा."

"स्टॉक नीचे जा रहा था, फिर भी उम्मीद थी कि वापस ऊपर आएगा. मैंने लॉस बुक नहीं किया... और अंत में बर्बाद हो गया."

बहुत से लोग इसीलिए हारते हैं क्योंकि वो ग़लत साबित नहीं होना चाहते. नुक़सान होते हुए भी बाहर नहीं निकलते. लॉजिक की जगह अहम (ego) और डर फ़ैसले लेने लगता है.

भीड़ की मानसिकता और टिप्स का जाल

"सब लोग एक बैंक को ले रहे थे. मैंने भी ₹11 लाख लगा दिए. लगा था दाम डबल हो जाएंगे."

"एक यूट्यूब चैनल ने कहा था कि ये शेयर 100 के पार जाएगा. उसी भरोसे खरीद़ा."

ये कहानियां बताती हैं कि कैसे लोग बिना रिसर्च किए सिर्फ़ टिप्स, ख़बरों और दूसरों के फ़ैसलों के भरोसे अपना पैसा डुबो देते हैं.

आख़िर इनकी और इन जैसे तमाम लोगों की ग़लतियां क्या रहीं:

  • न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग
  • लिवरेज का लापरवाह इस्तेमाल
  • घाटे में एवरेजिंग
  • कोई स्टॉप लॉस नहीं
  • उधार का पैसा ट्रेडिंग में लगाना
  • ऑप्शन का बेसिक भी न जानना
  • केवल "ज़्यादा मुनाफ़ा कम पैसे में" के लालच में ट्रेडिंग करना

तो सवाल है: क्या बाज़ार ग़लत है या आप?

छोटा और सटीक जवाब है: आप!

अब अगर आपके मन में सवाल उठा है कि तो सही तरीक़ा क्या है, सही नज़रिया क्या होना चाहिए तो आगे उस पर बात करते हैं.

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सही निवेश कैसे करें: समय की कसौटी पर खरे उतरे सिद्धांत

शेयर बाज़ार में पैसा कमाना क़िस्मत का खेल नहीं है. ये धैर्य (Patience), अनुशासन (Discipline) और ज्ञान (Knowledge) की त्रिवेणी है. और इन तीनों को समझने के लिए आइए सुनते हैं उन दिग्गजों की बात जो बाज़ार को केवल समझते नहीं, उसे जीते भी हैं.

1. धैर्य: जल्दबाज़ी में नहीं बनती दौलत

चार्ली मंगर कहते हैं,

"The big money is not in the buying or selling, but in the waiting."

मतलब, असली कमाई न ख़रीदने में है, न बेचने में — असली कमाई है इंतज़ार करने में. आज के दौर में जहां हर कोई तुरंत अमीर बनना चाहता है, मंगर की ये बात सीधी और समझ आने वाली है.

एक मिसाल लेते हैं कि अगर आपने 2013 में निफ़्टी 50 में SIP शुरू की होती और 10 साल तक बने रहते, तो आपका निवेश औसतन 12-13% सालाना रिटर्न देता — वो भी बाज़ार के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद.

2. अनुशासन: इमोशन्स नहीं, नियम

बेंजामिन ग्राहम ने लिखा था,

"The investor's chief problem—and even his worst enemy—is likely to be himself."

जब हम डर और लालच के चलते फ़ैसले लेते हैं, तब हम सबसे बड़ी ग़लती करते हैं. अनुशासन का मतलब है कि हम अपने पहले से तय और जांचे-परखे नियमों पर टिके रहें, चाहे बाज़ार कुछ भी कहे.

SIP (Systematic Investment Plan) इसी अनुशासन का सबसे बेहतरीन तरीक़ा है. आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करते हैं, जिससे बाज़ार के उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है और पैसा धीरे-धीरे बढ़ता रहता है.

3. समझ: अंधेरे में तीर नहीं, रोशनी में रास्ता चुनिए

पीटर लिंच का कहना है,

"Know what you own, and know why you own it."

मतलब, जिस कंपनी में आप निवेश कर रहे हैं, उसके बिज़नस को समझिए. सिर्फ़ इसलिए मत ख़रीदिए क्योंकि कोई और कह रहा है.

बाज़ार में निवेश की ABCD सीखने के लिए सही ज़रिया चुनिए — ये बेहद ज़रूरी है कि ऐसे सोशल मीडिया के हैंडल या वेबसाइट से दूर रहा जाए जो बड़े मुनाफ़े या तेज़ वैल्थ बनाने की बात कहें. आपको ज़रूरत है ऐसे सोर्स की जिसमें आप क्या करें से पहले आप क्यों करें जैसे सवालों की समझ भी पैदा कर रहे हों. तो जहां निवेश करना है उसके बारे में और साथ ही ख़ुद निवेश की प्रक्रिया और उसके नतीजों के बारे में गहराई से रिसर्च करना और समझ पैदा करना ज़रूरी है.

4. सुरक्षा पहले: निवेश से पहले कवच ज़रूरी है

हावर्ड मार्क्स कहते हैं,

"You can't predict. You can prepare."
जो भी ये कहे कि आगे क्या होगा उससे दूरी बनाना सबसे सही फ़ैसला होगा. आप भविष्य नहीं जान सकते, लेकिन उसकी तैयारी कर सकते हैं. यही वजह है कि निवेश से पहले एक इमरजेंसी फ़ंड और हेल्थ इंश्योरेंस बना लें और ख़ुद को किसी आर्थिक मुश्किल के लिए तैयार कर लें. अचानक ख़र्च, मेडिकल इमरजेंसी या नौकरी जाने की स्थिति में आपको निवेश बेचने की ज़रूरत न पड़े — ये तैयारी आपकी निवेश यात्रा को डिस्टर्ब नहीं होने देगी.

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5. ट्रेडिंग नहीं, निवेश करें (ख़ासकर शुरुआत में)

वॉरेन बफ़े ने एक बार कहा था,

"The stock market is a device to transfer money from the impatient to the patient."

यानि, बाज़ार में अधीर लोग अपना पैसा धैर्यवान लोगों को दे देते हैं.

, इन्ट्राडे ट्रेडिंग जैसे हाई-रिस्क टूल्स के पीछे लालच होता है. इनसे बहुत कम लोग फ़ायदा उठाते हैं — सेबी के आंकड़ों की बात हम पहले कर चुके हैं कि 89% से ज़्यादा लोग F&O में अपना नुक़सान कर बैठते हैं और नुक़सान उठाने वालों में से ज़्यादातर नए और रिटेल इन्वेस्टर होते हैं. अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो इनसे दूर रहना समझदारी होगी.

6. निवेश को सहज और सरल रखें: वैल्यू रिसर्च का नज़रिया

धीरेंद्र कुमार, वैल्यू रिसर्च धनक के संपादक, बार-बार कहते हैं:

"लोग बाज़ार से ज़्यादा ख़ुद से हारते हैं. निवेश को इतना सरल बनाइए कि उसे ज़िंदगी भर निभा सकें."

वैल्यू रिसर्च में हमारी फ़िलॉसफ़ी यही है — निवेश को इतना आसान बनाना कि कोई भी आम निवेशक, बिना ट्रेडिंग (ख़ासतौर से), बिना समय की चिंता किए, लंबे समय में वैल्थ बना सके. निवेश में आपका अनुशासन और निवेश के समय की कसौटी पर परखे हुए सिद्धांत आपके आपके लिए यही करते हैं.

नतीजा: सीखिए, समझिए, फिर निवेश कीजिए

शेयर बाज़ार में घाटा कोई बुरी बात नहीं, अगर आप उससे सीखते हैं. लेकिन अगर आप वही ग़लती बार-बार करते हैं—तो नुक़सान तय है.

हर वो व्यक्ति जिसने शेयर बाज़ार में पैसा बनाया है, उसने वक़्त लिया है, धैर्य रखा है और ख़ुद को शिक्षित किया है. आप भी कर सकते हैं. बस ज़रूरत है सही रास्ता चुनने की.

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. क्या शेयर बाज़ार में पैसा डूबना तय है?

नहीं, अगर आप सही तरीक़े से निवेश करें तो बाज़ार में वैल्थ बनाना संभव है.

2. क्या ऑप्शन ट्रेडिंग से जल्दी पैसा कमाया जा सकता है?

जल्दी कमाने की चाह सबसे बड़ी ग़लती है. ऑप्शन ट्रेडिंग रिस्क से भरी होती है.

3. क्या SIP में भी नुकसान हो सकता है?

बहुत कम संभावना होती है अगर आप लंबी अवधि तक निवेश करें.

4. क्या बिना सीखे निवेश करना सही है?

बिल्कुल नहीं. शेयर बाज़ार में बिना ज्ञान के पैसा लगाना ख़तरनाक है.

5. शुरुआत कहां से करें?

सही जानकारियों से ख़ुद को शिक्षित करने के साथ अपने निवेश की शुरुआत करें.

ये भी पढ़िए- म्यूचुअल फंड में IDCW क्या है? निवेशकों के लिए एक आसान गाइड

ये लेख पहली बार मार्च 28, 2025 को पब्लिश हुआ.

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