फ़र्स्ट पेज

सवालों की ताक़त

निवेश में सफ़लता अपने फ़ैसलों पर सवाल उठाने से मिलती है, किसी पहले से तय किए नतीजे की तलाश से नहीं

निवेश रणनीति: सवाल निर्णय लेने में सहायक क्यों होते हैं?AI-generated image

back back back
5:49

निवेश की दुनिया सवालों से भरी पड़ी है. मुझे कौन सा स्टॉक ख़रीदना चाहिए? कौन सा फ़ंड बेहतर प्रदर्शन करेगा? मार्केट कब टॉप पर पहुंचेगा? तय किए नतीजों या निश्चितता की ये अंतहीन खोज ज़्यादातर फ़ाइनेंस मीडिया के लगातार चलने वाले कवरेज का मसाला होती है. इसी मसाले की ज़रूरत भविष्यवाणियां करने वालों, टिप देने वालों और गुरुओं की एक पूरी इंडस्ट्री को चलाता रहता है.

फिर भी अगर आप ग़ौर से सफल निवेशकों को देखें, ऐसे निवेशक - जो छोटे-छोटे मुनाफ़ों के बजाय दशकों तक लगातार वैल्थ बनाते हैं, तो आपको कुछ अजीब नज़र आएगा. इन सफल निवेशकों के मुनाफ़े शायद ही कभी दूसरों के मुक़ाबले बेहतर जवाबों से मिलते हैं. इसके बजाय, ये बेहतर सवाल पूछने से आते हैं.

वॉरेन बफ़े और चार्ली मंगर के बारे में सोचिए, जिन्होंने दशकों तक ज़बरदस्त पैसा बनाने के बावजूद टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश से परहेज़ किया. वो टेक्नोलॉजी से इसलिए नहीं दूर रहे क्योंकि उनमें समझ या दूरदर्शिता की कमी थी, बल्कि इसलिए कि उन्होंने सख़्ती से अपने-आप से सवाल किया कि क्या वे सच में इस बिज़नस को समझते हैं. जहां उनके इस रवैये से कुछ विनर स्टॉक उनके हाथ में आने से चूक गए, वहीं वे पेट्स डॉट कॉम और वेबवैन, जैसी बड़ी ग़लतियां करने से भी बच गए जिन्होंने अच्छे-अच्छे मंझे हुए निवेशकों को भी नहीं बक्शा.

ये भी पढ़ें: वॉरेन बफ़े और चार्ली मंगर: क्या सीख सकते हैं इन महान निवेशकों से

हम जो सवाल पूछते हैं, वे हमारे फ़ैसलों को आकार देते हैं. जब ज़्यादातर निवेशकों के पास कोई अवसर आते हैं, तो वे पूछते हैं, "मुझे इसमें कितना मुनाफ़ा हो सकता है?" संभावित मुनाफ़े पर इस तरह का फ़ोकस रिस्क को लेकर एक मनोवैज्ञानिक ब्लाइंड स्पॉट पैदा करता है. सफल निवेशक इस नज़रिए को उलट देते हैं. वे पूछते हैं, "यहां क्या ग़लत हो सकता है?" और "सबसे ख़राब स्थिति क्या होगी?"

ऐसे सवाल पूछने का अनुशासन एक सेफ़्टी फ़िल्टर की तरह काम करता है. संभावित रिटर्न पर विचार करने से पहले, अपने ख़ुद से पूछें: "ये निवेश मेरे पोर्टफ़ोलियो में किस ख़ास मक़सद को पूरा करेगा?" अगर आप स्पष्ट, और तर्क संगत जवाब नहीं दे पाते हैं और आपके जवाब - पैसे कमाने या कमाने से चूक जाने जैसे ब्लाइंड स्पॉट में ही उलझे रहते हैं, तो शायद उस निवेश दूर हो जाना ही सबसे अच्छा होगा.

एक और अहम सवाल: "मैं इस निवेश को किन परिस्थितियों में बेचूंगा?" निवेश की शुरुआत करने से पहले अपनी एग्ज़िट को परिभाषित करना आपको अपने तर्क की कमज़ोरियों का सामना करने के लिए मजबूर करता है. अगर आप इन सवालों के जवाब में ख़ास घटनाओं या सबूतों को नहीं पहचान पा रहे हैं जो आपके निवेश से बाहर निकलने के कारण होंगे, तो हो सकता है आप विश्लेषण के बजाय विश्वास पर फ़ैसला कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बेस्ट इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी: निवेश में सबसे पहले क्या करें?

शायद सबसे ज़रूरी सवाल भी परेशान करने वाला है: "क्या इस फ़ैसले के पीछे कोई इमोशनल या भावनात्मक पहलू है?" हम इंसान, भावनात्मक रूप से पहले से लिए फ़ैसलों को सही साबित करने लिए लंबे-चौड़े तर्क गढ़ने में माहिर होते हैं. ट्रेंड्स का पीछा करने की चाह, कुछ छूट जाने का डर, वही करने का सुख जो दूसरे कर रहे हैं - ये सारे भावनाओं के उकसावे, अक्सर तर्क के आधार पर किए जाने वाले विश्लेषण का भेस धारण कर लेते हैं.

निवेशकों को सलाह देने के इतने सालों में मैंने देखा है कि हम कितनी आसानी से किसी चीज़ से परिचित होने को उस चीज़ की समझ होना मान बैठते हैं. कोई कंपनी घर-घर में पॉपुलर हो सकती है, और उसके प्रोडक्ट का इस्तेमाल हमारे घरों में हर रोज़ किया जाता है, पर इसका मतलब ये नहीं कि हम उसके बिज़नस मॉडल, प्रतिद्वंद्वियों के मुक़ाबले उसकी स्थिति या उसके फ़ाइनेंशियल स्ट्रक्चर को समझते हैं. हम जो सोचते हैं कि हम जानते हैं, उसके बारे में सवाल उठाना हमारी अपनी समझ की असलियत बयान कर सकता है.

सबसे आसान सवाल अक्सर सबसे पावरफ़ुल होते हैं. "मैं किस चीज़ के लिए पैसे दे रहा हूं?" ये सवाल जटिलता को कम करता है और स्पष्ट सोच को ताक़त देता है. चाहे म्यूचुअल फ़ंड का इवैल्युएशन हो या सीधे किसी स्टॉक में निवेश की बात हो, ये सवाल असली वैल्यू को महंगी चकाचौंध से अलग करने में मदद करता है. सवाल के आधार पर निवेश करने की ख़ूबसूरती इसके आसान होने में है. आपको ये पूछने के लिए किसी ख़ास क्वालिफ़िकेशन या सीक्रेट जानने की ज़रूरत नहीं है कि "कौन सी बात मुझे ग़लत साबित करेगी?" इस तरह की सधी हुई पूछताछ आपकी सोच को एक ऐसा स्ट्रक्चर दे देती है जो मार्केट की तमाम परिस्थितियों और हर तरह के निवेश में काम करती है.

ये भी पढ़ें: ये सब नज़रअंदाज़ करें

महत्वपूर्ण ये है कि अच्छे सवाल इमोशनल सर्किट ब्रेकर की तरह काम करते हैं. जब मार्केट बहुत ज़्यादा उठा-पटक वाले हो जाते हैं - जिसका कारण चाहे बेसिर पैर का उत्साह हो या घबराहट - तब अपनी समझ पर सधे हुए तरीक़े से सवाल उठाना उत्तेजना और प्रतिक्रिया के बीच एक अच्छा फ़ासला बना देता है. अक्सर ये फ़ासला ही महंगी ग़लतियों से बचने के लिए काफ़ी होता है.

बेशक़, सिर्फ़ सवाल करना ही सफलता की गारंटी नहीं. लेकिन ये सवाल ग़लत फ़ैसलों को होने से पहले ही छांटकर आपके मौक़ों को नाटकीय रूप से बढ़ा देते हैं. याद रखें, निवेश के लॉन्ग-टर्म रिटर्न के मामले में अक्सर ग़लतियों से बचना, शानदार निवेश के चुनाव के मुक़ाबले कहीं बेहतर नतीजे देता है. तो अपने अगले फ़ैसले से पहले, जवाब तलाशने से ध्यान हटाकर बेहतर सवाल तैयार करने की कोशिश करें. न सिर्फ़ पूछें कि क्या सही हो सकता है बल्कि ये भी जानें कि क्या ग़लत हो सकता है. न केवल निवेश पर बल्कि इसे करने के अपने उद्देश्यों पर भी सवाल करें. पैसों को लेकर आपके भविष्य की क्वालिटी सभी जवाबों को जानने से कम, और पूछताछ की कला में महारत हासिल करने पर ज़्यादा टिकी हो सकती है.

ये भी पढ़ें: दूसरों की बेवकूफ़ी

वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें aks value research information

कोई सवाल छोटा नहीं होता. पर्सनल फ़ाइनांस, म्यूचुअल फ़ंड्स, या फिर स्टॉक्स पर बेझिझक अपने सवाल पूछिए, और हम आसान भाषा में आपको जवाब देंगे.


टॉप पिक

IDFC फ़र्स्ट बैंक बार-बार क्यों मांग रहा है पैसा?

पढ़ने का समय 5 मिनटKunal Bansal

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा गोल्ड, क्या आपको अब भी इसमें ख़रीदारी करनी चाहिए?

पढ़ने का समय 4 मिनटउज्ज्वल दास

NPS के इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन से क्या इस साल टैक्स बच सकता है?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू् रिसर्च टीम

जानें कब और क्यों डेट फ़ंड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं?

पढ़ने का समय 5 मिनटआकार रस्तोगी

आईने में दिखने वाला निवेशक

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार down-arrow-icon

दूसरी कैटेगरी