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गिरावट से डरें नहीं, सोच बदलें: गिरते बाज़ार में कमाई के सबसे अच्छे तरीक़े

डरने की नहीं, समझदारी से सोचने की ज़रूरत है-अगर स्ट्रैटजी 'crisitunity' जैसी होगी, तो हर गिरावट एक कमाई का मौक़ा हो सकती है

बाज़ार की गिरावट को मौका कैसे बनाएं? आसान रणनीतियांAdobe Stock

पिछले पांच महीनों में भारतीय शेयर बाज़ार में लगातार गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों की संपत्ति में क़रीब ₹85 लाख करोड़ की कमी आई. हालांकि, हाल के चार कारोबारी सेशन में मार्केट में काफ़ी तेज़ी भी आई, जिसमें सेंसेक्स लगभग 2,190 अंक (2.97%) बढ़कर 76,082.68 पर पहुंच गया, और निफ्टी 714 अंक (3.19%) चढ़कर 23,112.15 पर जा पहुंचा (21 मार्च 2025 में स्टोरी लिखे जाने तक).

बाज़ार की गिरावट ज़्यादातर निवेशकों के लिए चिंता की वजह होती है. पोर्टफ़ोलियो में नुक़सान दिखता है, न्यूज़ चैनलों पर हेडलाइनें डराने लगती हैं और मन करता है कि सब कुछ बेच-बाच कर पीछा छुड़ाएं. लेकिन सच्चाई ये है कि बाज़ार की गिरावट अक्सर सबसे अच्छा निवेश मौक़ा है.

तो सबसे पहले इसे अच्छी तरह समझ लेते हैं...
इक्विटी में निवेश हमेशा लंबे समय के लिए होता है. अगर आप बाज़ार की गिरावट में घबरा रहे हैं कि आपके पैसे "कम हो गए", तो सोचिए—क्या आपको अभी ही वो पैसे निकालने हैं?

अगर नहीं, तो घबराने की कोई वजह ही नहीं. ये तो आपके निवेश का जमा करने का फ़ेज़ (accumulation phase) है—यानी जोड़ने का वक़्त है, निकालने का नहीं. तो जब बाज़ार सस्ता है, तो आपको ख़ुश होना चाहिए कि अब ज़्यादा यूनिट्स ख़रीद सकते हैं. और ज़्यादा ख़रीदिए—ख़ुशी-ख़ुशी ख़रीदिए. सोच-समझ कर अच्छे फ़ंड में ही ख़रीदिए, और ये बात तो हमेशा लागू होती है.

और अगर आपको अभी पैसे निकालने थे, तो आपको कम से कम 6-12-24 महीने पहले ही धीरे-धीरे सिस्टमैटिक तरीक़े से इक्विटी से पैसा निकालकर डेट फ़ंड्स में शिफ़्ट करना चाहिए था. यानि, अगर अब निकालने की ज़रूरत है—तो आपने देर तो की है. अब रुक सकते हैं तो रुकिए वरना ज़रूरत के हिसाब से फ़ैसला कीजिए.

मगर, ऐसी ही स्थितियों से बचने के लिए विथड्रॉल की स्ट्रैटजी भी निवेश की तरह ही सिस्टमैटिक और समय से पहले की जानी चाहिए. SWP इसके लिए वैसे ही कारगर है जैसे निवेश के लिए SIP.

तो कुल मिलाकर, जो लोग लॉन्ग टर्म इक्विटी निवेशक हैं, उनके लिए बाज़ार की गिरावट कोई डर की बात नहीं—बल्कि एक मौक़ा है.

आख़िर सोचिए—आप किस अच्छी चीज़ को सस्ते में ख़रीद ख़ुश नहीं होते?

बड़ी गिरावट के वक़्त एक बात और ध्यान देने की है—आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी और डेट का बैलेंस.

अगर किसी बड़ी गिरावट से (या तेज़ी से भी) वो गड़बड़ हो गया है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं. बस तय करें कि आने वाले निवेशों में क्या बदलाव करने हैं, और धीरे-धीरे उन्हें लागू करें. ज़रूरत हो ते पोर्टफ़ोलियो रीबैलेंस करने के लिए गिरावट में इक्विटी में ज़्यादा पैसा डालें.

अगर आप थोड़ी समझदारी और सही जानकारी से काम लेंगे, तो हर मार्केट क्रैश को एक मौक़े में बदल सकते हैं.

आइए कुछ और ज़रूरी बातों पर भी चर्चा करते हैं —

ये भी पढ़िए- इंडेक्स vs फ़्लेक्सी-कैप vs मल्टी-कैप फ़ंड: आज निवेश करना है तो कहां करें?

सस्ते में अच्छे स्टॉक्स ख़रीदने का मौक़ा

जब बाज़ार गिरता है, तो अच्छे स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड्स की क़ीमत भी नीचे आ जाती है. ये वैसी ही चीज़ है जैसे सेल में ब्रांडेड सामान ख़रीदना.

मार्च 2020 में कोविड की वजह से Nifty 50 क़रीब 38% गिर गया था. लेकिन इसके बाद सिर्फ़ एक साल में ही कई क्वालिटी स्टॉक्स ने 100% से ज़्यादा रिटर्न दिए.

अगर आपने उस वक़्त डरकर बिकवाली की होती, तो घाटा उठाते. लेकिन जिसने समझदारी से निवेश किया, उसे ज़बरदस्त रिटर्न मिला.

'संकट' में छिपा है 'मौक़ा' — Crisitunity सोच अपनाएं

Crisis + Opportunity = Crisitunity

ये शब्द पहली बार मशहूर हुआ था सिंपसन्स (The Simpsons) नाम की एक एनीमेटेड टीवी सीरीज़ में, लेकिन इसका मतलब गंभीर है और निवेश की दुनिया में पूरी तरह लागू होता है.

जब भी बाज़ार में बड़ी गिरावट आती है, निवेशक घबरा जाते हैं. लेकिन जो लोग Crisitunity mindset अपनाते हैं, वो इस संकट को एक मौक़े में बदलते हैं.

Crisitunity का मतलब क्या है?

जब कोई संकट आता है—जैसे मार्केट क्रैश, मंदी, या वैश्विक आर्थिक संकट—तो ज़्यादातर लोग डरते हैं और रिएक्ट करते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे समय में भी नए अवसर तलाशते हैं:

  • अपनी निवेश रणनीति की समीक्षा करते हैं
  • नए सेक्टर या कंपनियों पर ध्यान देते हैं
  • और कमज़ोरियों को सुधारकर पोर्टफ़ोलियो को मज़बूत बनाते हैं

2016 में जब सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की, तो मार्केट में हलचल मच गई. कई स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक्स बुरी तरह टूटे. ज़्यादातर निवेशक डर गए और अपने फ़ंड्स से बाहर निकल गए.

लेकिन कुछ निवेशकों ने इस 'संकट' को समझदारी से लिया. उन्होंने देखा कि डिजिटल पेमेंट, NBFC और कंज़म्प्शन सेक्टर्स में लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावना है. उन्होंने वहां निवेश किया—और अगले कुछ सालों में उन्हें शानदार रिटर्न मिला.

तो इससे क्या सीखा? अगर वो निवेशक सिर्फ़ डरते रहते, तो मौक़ा गंवा बैठते. लेकिन उन्होंने 'Crisitunity' की सोच अपनाई. और आमतौर पर इसके फ़ायदे कुछ इस तरह मिले सकते हैं:

  • अगर आपका पोर्टफ़ोलियो बहुत ज़्यादा रिस्की हो गया है, तो अब समय है उसे बैलेंस करने का
  • देखें कि कौन से सेक्टर ज़्यादा गिरे हैं—क्या वो लॉन्ग टर्म में वाक़ई ग्रोथ दे सकते हैं?
  • अपने एसेट एलोकेशन, SIP रिव्यू और गोल प्लानिंग पर फिर से एक नज़र डालिए
  • और सबसे ज़रूरी—डरें नहीं, सोचें

Crisitunity सोच का मतलब है रिएक्ट (react) करना नहीं, रिस्पॉन्ड (respond) करना है.

  • घबराना नहीं, समझदारी से सुधार करना.
  • क्योंकि हर गिरावट अपने साथ एक मौक़ा भी लेकर आती है—अगर आप उसे देख पाएं.

ये भी पढ़िए- मुझे 20 साल तक हर महीने ₹5,000 कहां निवेश करने चाहिए?

निवेश के प्लान पर डटे रहें

बाज़ार में गिरावट के दौरान भी जिस प्लान को सोच कर आपने निवेश शुरू किया था उस पर टिके रहना बहुत ज़रूरी है. बार-बार निवेश की रणनीति बदलने से नुक़सान ज़्यादा होता है.

जैसे कि SIP करने वाले निवेशकों ने अगर 2022 की गिरावट में भी SIP चालू रखी, तो उन्हें ज़्यादा यूनिट्स मिले और बाद में तेज़ रिकवरी में शानदार रिटर्न.

पोर्टफ़ोलियो में डाइवर्सिटी ज़रूरी है

अगर आपका पूरा पैसा सिर्फ़ इक्विटी में लगा है, तो गिरावट का असर ज़्यादा होगा. इसलिए निवेश को डायवर्सिफ़ाई करना ज़रूरी है.

इसके लिए आपको इक्विटी निवेश के साथ कुछ हिस्सा डेट फ़ंड्स में भी लगाना चाहिए. साथ ही दूसरे निवेश के तरीक़े भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं जैसे कि गोल्ड या इंटरनेशनल फ़ंड्स में निवेश. यानि अपनी रिस्क सहने की क्षमता के मुताबिक़ आपको रिस्क के फ़ैक्टर को ध्यान में रखना चाहिए और उसी हिसाब से अपना निवेश बांटना चाहिए. धनक इसमें आपकी काफ़ी मदद कर सकता है. आप चाहें तो हमारे फ़्री पोर्टफ़ोलियो वाले पेज पर अपने निवेशों को दर्ज करके इसे ट्राय कर सकते हैं.

ख़बर रखें, लेकिन घबराएं नहीं

ये बात हल्के में न लें. असल में, हमारे आसपास होने वाली घटनाएं और उन पर हमारी प्रतिक्रिया हमारे जीवन के हर फ़ैसले पर असर करती है. निवेश इससे अलग नहीं. न्यूज़ और सोशल मीडिया में गिरावट को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है. लेकिन हर बात पर रिएक्ट करना सही नहीं होगा.

आप एक स्मार्ट इन्वेस्टर जैसा काम करें, और एक स्मार्ट इन्वेस्टर लॉन्ग टर्म ट्रेंड्स को देखता है. शॉर्ट टर्म शोर को इग्नोर करता है और इमोशनल हो कर नहीं, डेटा और अपने प्लान के आधार पर फ़ैसले लेता है.

बाज़ार का इतिहास बताता है कि हर बड़ी गिरावट के बाद तेज़ रिकवरी होती है. 2008, 2011, 2020—हर बार यही हुआ है. गिरावट स्थायी नहीं रही है, लंबे अर्से में मार्केट का ऊपर जाना ज़रूर एक स्थाई ट्रेंड दिखाता है. इसलिए धैर्य रखने वाले निवेशक ही असली मुनाफ़ा कमाते हैं

डर नहीं, सोच बदलें

बाज़ार की गिरावट में घबराना आसान है, लेकिन समझदारी इसी में है कि आप इसे एक मौक़े की तरह देखें. अगर आप सही नज़रिया अपनाते हैं, और सही टूल्स का इस्तेमाल करते हैं, तो यही गिरावट आपके लिए लॉन्ग टर्म में शानदार कमाई का ज़रिया बन सकती है.

धनक कैसे आपकी मदद कर सकता है

अगर आप सोचते हैं कि इन सब बातों को समझना और लागू करना मुश्किल है, तो घबराएं नहीं—वैल्यू रिसर्च धनक आपकी मदद के लिए है.

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ये भी पढ़िए- एसेट एलोकेशन: अपने पैसे को बढ़िया तरीक़े से चलाने की कला

ये लेख पहली बार मार्च 21, 2025 को पब्लिश हुआ.

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