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बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हुए आदित्य बिड़ला समूह ने एक साहसिक कदम के तौर पर अपनी दिग्गज सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट के ज़रिये वायर और केबल मार्केट में उतरने की घोषणा की है. इसके तहत, उसने ₹1,800 करोड़ का निवेश किया है.
बिड़ला ओपस के साथ पेंट कारोबार में समूह के विस्तार के कुछ समय बाद ही ये कदम उठाया गया है. इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है: समूह ये डाइवर्सिफ़िकेशन क्यों कर रहा है और इसके पीछे उसकी क्या रणनीति है?
नए सेगमेंट में अल्ट्राटेक के आग़ाज़ से समूह का बड़ा विज़न जाहिर होता है, जो एक ऐसे पूरी तरह से एकीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर इकोसिस्टम तैयार करना है जो कच्चे माल, मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर B2B सेक्टर तक फैला हो. यहां इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
अल्ट्राटेक क्यों वायर और केबल में आगाज कर रही है
वायर और केबल मार्केट में उतरने का अल्ट्राटेक का फैसला केवल एक संबंधित इंडस्ट्री में विस्तार करने से कहीं ज़्यादा अहमियत रखता है. कंपनी निश्चित रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी वैल्यू चेन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहती है. कंपनी का सीमेंट बिज़नस पहले से ही ठेकेदारों, बिल्डरों और इलेक्ट्रीशियनों के साथ अपने गहरे संबंधों का फ़ायदा उठा रही है और इसका नया वेंचर सीधे इस मौजूदा नेटवर्क का फ़ायदा उठाएगा.
सीमेंट की बिक्री में हाउसिंग डिमांड की 65 फ़ीसदी हिस्सेदारी के साथ, इलेक्ट्रिकल मार्केट में 85 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखने वाले वायर और केबल कारोबार को जोड़ना एक स्वाभाविक तालमेल जैसा है. अल्ट्राटेक अपने नए प्रोडक्ट्स को क्रॉस-सेल करने के लिए अपनी डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी पहुंच का फ़ायदा उठा सकती है. इससे वो ख़ुद को सभी बिल्डिंग मैटेरियल्स की ज़रूरतों के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में स्थापित कर सकती है.
कंपनी को सप्लाई चेन से जुड़ी दक्षताओं से भी फ़ायदा होगा. अल्ट्राटेक अपने केबल वेंचर के लिए कच्चा माल समूह की कंपनी हिंडाल्को से प्राप्त करेगी और इसका नया गुजरात प्लांट रणनीतिक रूप से प्रमुख तांबे के स्रोतों के पास स्थित होगा. इससे इनपुट की आसान ख़रीद और कुशल के साथ पूंजी लगाना सुनिश्चित होगा.
ये आदित्य बिड़ला समूह के विज़न में कैसे फिट बैठता है?
वायर और केबल्स में ये विस्तार आदित्य बिड़ला समूह द्वारा ख़ुद को एक एकीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर पावरहाउस के रूप में बदलने की एक बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा है. समूह की रणनीति स्पष्ट है कि वो पेंट (बिड़ला ओपस) और अब वायर और केबल्स जैसे संबंधित सेक्टर्स में प्रवेश करके, एक पूरी तरह एकीकृत इकोसिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है जिससे उसे कंप्लीट सप्लाई चेन में ज़्यादा फ़ायदा हासिल करना संभव होगा.
आदित्य बिड़ला ग्रुप वेंचर्स का एक आकलन
ग्रुप सेगमेंट | मार्केट साइज़ (लाख करोड़ ₹) |
---|---|
सीमेंट | 2.2 |
पेंट और कोटिंग | 9.0 |
वायर और केबल्स | 1.8 |
*डेटा FY24 का है. स्रोत: मोरडोर इंटेलिजेंस, मार्केट रिसर्च USA |
इस रणनीति का सबसे अहम भाग है बिड़ला पिवट (Birla Pivot), जो ग्रासिम इंडस्ट्रीज़ के तहत लॉन्च किया गया समूह का B2B ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म (मार्केटप्लेस) है. पहले साल में ₹1,000 करोड़ के रेवेन्यू और अगले तीन साल में ₹8,300 करोड़ के कारोबार के साथ काम कर रही बिड़ला पिवट समूह की विस्तृत पेशकशों के लिए एक कुशल डिस्ट्रीब्यूशन चैनल के रूप में काम करेगा, जो कंस्ट्रक्शन और बिल्डिंग मैटेरियल की बढ़ती मांग को पूरा करेगा.
अंतिम गोल स्पष्ट है: आदित्य बिड़ला समूह तेज़ी से बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अपनी मौजूदगी मज़बूत करते हुए वैल्यू और सप्लाई चेन पर ज़्यादा से ज़्यादा कंट्रोल हासिल करना चाहता है. ये डाइवर्सिफ़िकेशन कम समय के मुनाफ़े के लिए नहीं है, बल्कि एक प्रमुख, ऊंची ग्रोथ वाले सेक्टर में लंबे समय के लिए लचीलापन और दबदबा बनाने के बारे में है.
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इंडस्ट्री में बड़ा ट्रेंड
आदित्य बिड़ला समूह इस स्ट्रैटजी में अकेला नहीं है. वास्तव में, इससे संबंधित आस-पास के सेक्टर्स में विस्तार करने का ट्रेंड पूरी इंडस्ट्री में जोर पकड़ रही है.
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APL अपोलो
ने
SG मार्ट
के ज़रिये कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के मार्केट में प्रवेश किया है, जो स्टील पाइप से आगे बढ़ रही है.
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मूल रूप से एक पाइप कंपनी
एस्ट्रल
ने पेंट, एडहेसिव (चिपकने वाले पदार्थ) और सैनिटरीवेयर के क्षेत्र में कदम रख दिया है. कंपनी अब एशियन पेंट्स और पिडिलाइट जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है.
- एक समय केवल पेंट कंपनी रही एशियन पेंट्स ने होम डेकोर, मॉड्यूलर किचन आदि कारोबारों में विस्तार किया है.
कंपनियां अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ की पूरी रेंज की पेशकश की अहमियत को तेज़ी से समझ रही हैं, क्योंकि ये रणनीति उन्हें सप्लाई चेन पर ज़्यादा कंट्रोल हासिल करने, कार्यकुशलता में सुधार, कॉस्ट कम करने और प्रॉफ़िटेबिलिटी बढ़ाने में सक्षम बनाती है.
आगे की राह
इस बात की पूरी संभावना है कि आदित्य बिड़ला समूह भविष्य में नए लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के संबंधित क्षेत्रों में ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन की संभावनाएं तलाश सकता है. इसमें बाज़ार के अवसरों के आधार पर कच्चे माल, मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में आगे एकीकरण शामिल हो सकता है.
निवेशकों के लिए, संदेश स्पष्ट है: ये अचानक किया गया डाइवर्सिफ़िकेशन नहीं है, बल्कि पूरी इंफ्रास्ट्रक्चर वैल्यू चेन को कवर करने के लिए एक सोची-समझी रणनीति है. अगला दशक ये बताएगा कि क्या आदित्य बिड़ला समूह की रणनीति सफल होगी या दूसरी कंपनियां दबदबा कायम करने की दौड़ में उनसे आगे निकल जाएंगी.
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