बड़े सवाल

सिर्फ़ 2-3 महीने में ₹70,000 का नुक़सान हुआ. इसका हल क्या है?

आइए मौजूदा बाज़ार की इस परेशानी को समझें

2-3 महीने में 70,000 रुपये गँवा दिए? तो जानिए क्यों आपको निवेश से बाहर नहीं निकलना चाहिए.AI-generated image

हमें अक्सर निवेशकों से घबराए हुए सवाल मिलते हैं, जो अपने पोर्टफ़ोलियो को घाटे में देखते हैं और सोचते हैं कि क्या उन्हें अपने नुक़सान को कम करना चाहिर्ए. हाल ही में, एक निवेशक ने हमें लिखा: "मैंने दिसंबर में निवेश करना शुरू किया और मैं पहले ही ₹70,000 से नीचे आ चुका हूं. क्या मुझे अपने सभी इक्विटी निवेशों से बाहर निकल जाना चाहिए?"

अगर आप भी इसी स्थिति में हैं, तो एक लंबी गहरी सांस लें. आप जो अनुभव कर रहे हैं, वो पूरी तरह से सामान्य है. शॉर्ट-टर्म का उतार-चढ़ाव इक्विटी निवेश का एक अटूट हिस्सा है, लेकिन अभी बाहर निकलना आपकी सबसे बड़ी ग़लती हो सकती है.

ग़लत समय पर एकमुश्त निवेश किया? इसीलिए तो SIP बेहतर है

हमारे मुताबिक़, निवेशक ने शायद दिसंबर में एकमुश्त निवेश किया था. जब आप एक साथ बड़ी राशि का निवेश करते हैं, तो आपका रिटर्न पूरी तरह से उस एंट्री प्वाइंट पर निर्भर करता है. अगर मार्केट जल्द ही गिर जाता है, तो आपके पोर्टफ़ोलियो को तुरंत नुक़सान होता है.

अब, एक और नज़रिए पर विचार करें. मान लीजिए कि एकमुश्त निवेश करने के बजाय, निवेशक ने 12 महीने के दौरान ₹1 लाख की मासिक SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) चुनी थी, जो कुल 12 लाख रुपये की थी. इस स्थिति में, अब तक उन्होंने केवल 3-4 लाख रुपये (₹1 लाख महीने) का निवेश किया होगा, जिसका मतलब है कि मार्केट में गिरावट का असर उनके निवेश के केवल इस हिस्से पर पड़ा होगा - पूरी राशि पर नहीं.

ये भी पढ़ें: एकमुश्त निवेश के मुकाबले SIP क्यों है बेहतर?

रुपए की कॉस्ट एवरेजिंग या लागत औसत के रूप में जानी जाने वाली ये रणनीति दो तरह से मदद करती है:

  • ग़लत समय से होने वाले रिस्क को कम करती है: मार्केट जब ऊंचाई पर हो तो एक बार में निवेश करने के बजाय, निवेशक अलग-अलग प्राइस प्वाइंट (मूल्य बिंदुओं) पर ख़रीदता है, जिससे समय के साथ निवेश की लागत का औसत निकल आता है.
  • बाज़ार में गिरावट के दौरान चिंता क़ाबू में रहती है: चूंकि शुरुआती महीनों में कुल निवेश का केवल एक हिस्सा ही निवेश किया जाता है, इसलिए नुक़सान सीमित रहता है. निवेशक बड़ी राशि में भारी गिरावट का डर नहीं रहता है, जिससे निवेश में बने रहना आसान हो जाता है.

SIP जारी रखने से, निवेशक बाज़ार में गिरावट के समय ऑटोमैटिक तरीक़े से ज़्यादा ख़रीद करता है, जिससे बाज़ार के अंततः ठीक होने पर बड़े फ़ायदे के लिए ख़ुद को तैयार करता है. ये नज़रिया इस बात को पक्का करता है कि शॉर्ट-टर्म के उतार-चढ़ावों से आपका निवेश का आपका प्लान पटरी से न उतरे.

इक्विटी लंबे अर्से के लिए होती है, महीनों के लिए नहीं

सिर्फ़ तीन महीनों में नुक़सान चिंता दे सकता है, लेकिन ऐसा होना ही नहीं चाहिए. इक्विटी शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए नहीं होती. मार्केट थोड़े समय के लिए बहुत उठा-पटक वाले हो सकते हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि लंबे समय तक निवेश में बने रहने से नुक़सान का रिस्क काफ़ी कम हो जाता है.

आइए फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स के पिछले आंकड़ों पर नज़र डालें:

फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड में घाटे की ऐतिहासिक संभावना

होल्डिंग पीरियड नेगेटिव रिटर्न का % (फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स)
3 महीने 34.4
1 साल 22.7
3 साल 2.8
5 साल 0.5
डेटा फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स (रेग्युलर प्लान) की कैटेगरी एवरेज को दिखाता है, जिसका कैलकुलेशन पिछले दशक के डेली रोलिंग रिटर्न के साथ किया गया है.

जैसा कि नंबर दिखाते हैं, समय के साथ नुक़सान होने की संभावना नाटकीय रूप से कम हो जाती है. जबकि तीन में से एक निवेशक तीन महीने की अवधि में नुक़सान का अनुभव कर सकता है, पांच साल में नुक़सान की संभावना लगभग शून्य है.

ये एक प्रमुख निवेश के सिद्धांत को दिखाता है: आप जितने लंबे समय तक निवेश में बने रहेंगे, आपके पॉज़िटिव रिटर्न कमाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी. शॉर्ट-टर्म में मार्केट में उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से समय के साथ धैर्य रखने से फ़ायदा मिलता है.

बाज़ार गिरते हैं, लेकिन वे ठीक भी होते हैं

इतिहास ने दिखाया है कि बाज़ार का गिरना अस्थायी होता है, लेकिन ऊपर जाना स्थायी होता है. अतीत में तेज़ गिरावटों के बावजूद, इक्विटी ने हमेशा वापसी की है, जिससे उन निवेशकों को फ़ायदा हुआ जो निवेश में बने रहे.

  • मार्च 2020 (कोविड क्रैश): सेंसेक्स में सिर्फ़ एक महीने में 23 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे निवेशकों में घबराहट फैल गई. हालांकि, 2020 के अंत तक, ये पूरी तरह से ठीक हो गया और अगले साल में 20 प्रतिशत से ज़्यादा रिटर्न दिया.
  • 2008 ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस: सेंसेक्स में 50 प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट आई, जिससे सालों की बढ़त खत्म हो गई. फिर भी, दो साल के भीतर, इसने अपने सारे घाटे वापस पा लिए.

अभी बाहर निकले, तो अपना घाटा स्थायी बना देंगे

अभी, आपका नुक़सान सिर्फ़ काग़ज़ों पर है. जिस पल आप बेचेंगे, उसी पल आप इसे असली नुक़सान में बदल देंगे, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. लेकिन अगर आप निवेश में बने रहते हैं, तो आप अपने निवेश को वापस उछाल लेने का समय देंगे.

अगर आपका पैसा लंबी अवधि के लक्ष्य के लिए था, तो अभी बाहर निकलने का मतलब है कि आप शॉर्ट-टर्म में मचे मार्केट के शोर को अपने निवेश के फ़ैसले तय करने दे रहे हैं - जो एक महंगी ग़लती है.

आपको क्या करना चाहिए?

  • अगर आपको अगले कुछ महीनों या एक साल में इस पैसे की ज़रूरत है, तो इक्विटी सही जगह नहीं है.
  • अगर आपका निवेश क्षितिज पांच साल या उससे ज़्यादा है, तो निवेशित रहें. मार्केट अलग-अलग साइकल से गुज़रते हैं, और मंदी स्थाई नहीं होती. आपका सबसे अच्छा दांव धैर्य रखना है.

ये भी पढ़ें: बाज़ार के इस उतार-चढ़ाव में चैन की नींद कैसे आए?

ये लेख पहली बार मार्च 18, 2025 को पब्लिश हुआ.

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