पिछले कुछ सालों में भारत में इंडेक्स निवेश की लोकप्रियता में काफ़ी तेज़ी आई है. फ़रवरी 2020 में, इंडेक्स फ़ंड्स के मैनेजमेंट के तहत कुल एसेट (AUM) सिर्फ़ ₹7,930 करोड़ थी. फ़रवरी 2025 तक ये नंबर बढ़कर ₹2,68,488 करोड़ हो गया है, जो कम लागत वाले, पैसिव निवेश के लिए निवेशकों की बढ़ती पसंद को दिखाता है.
इस तेज़ी के साथ, उपलब्ध इंडेक्स फ़ंड्स की रेंज में भी काफ़ी बढ़ी है. पहले, निवेशकों के पास केवल मुट्ठी भर विकल्प थे - मुख्य रूप से निफ़्टी 50 और BSE सेंसेक्स इंडेक्स फ़ंड. आज, 300 से ज़्यादा इंडेक्स फ़ंड हैं जो अलग-अलग तरह के इंडेक्स ट्रैक करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- व्यापक मार्केट इंडेक्स: निफ़्टी 50, सेंसेक्स, निफ़्टी 500, निफ़्टी नेक्स्ट 50
- फ़ैक्टर-बेस्ड इंडेक्स: निफ़्टी अल्फ़ा लो वोलैटिलिटी 30, निफ़्टी 200 मोमेंटम 30
- सेक्टोरल इंडेक्स: निफ़्टी बैंक, निफ़्टी IT, निफ़्टी फ़ार्मा
- थीमैटिक इंडेक्स: निफ़्टी इंडिया कंज़म्पशन, निफ़्टी इंफ़्रास्ट्रक्चर
- इंटरनेशनल इंडेक्स: S&P 500, नैस्डैक 100, हैंग सेंग
इस बढ़ती डाइवर्सिटी (विविधता) के बावजूद, इंडेक्स फ़ंड में निवेश करने के पीछे बड़ी सोच एक ही है: कम लागत में, बिना परेशानी वाले तरीक़े से शेयरों की एक अच्छी तरह से डाइवर्सिफ़ाइड बास्केट एक्सपोज़र पाना. इसे देखते हुए, निफ़्टी 50 या BSE सेंसेक्स जैसे व्यापक मार्केट इंडेक्स आपके पोर्टफ़ोलियो के मुख्य भाग के लिए आदर्श विकल्प बने हुए हैं.
पिछले 10 साल में, निफ़्टी 50 TRI (टोटल रिटर्न इंडेक्स) और BSE सेंसेक्स TRI ने लगभग 11 प्रतिशत रिटर्न दिया है. ये रिटर्न, कम लागत के साथ मिलकर, उन्हें अधिकांश निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं.
जहां फ़ैक्टर पर आधारित, सेक्टोरल और थीमैटिक इंडेक्स अतिरिक्त मौक़े देते हैं, वहीं वे ऊंचे रिस्क और ज़्यादा चक्रीयता (साइकल) के साथ आते हैं और उन्हें केवल पूरक के तौर पर ही रहना चाहिए, न कि व्यापक-मार्केट इंडेक्स निवेशों के बदलने किया जाना चाहिए.
अब, एक बार जब आप एक सही इंडेक्स चुन लेते हैं, तो आप इसे ट्रैक करने वाले सही फ़ंड का चुनाव कैसे करते हैं? यहां आपके विचार के लिए कुछ फ़ैक्टर दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें: म्यूचुअल फ़ंड जो ढोंगी हैं
विचार करने के लिए कुछ बड़े फ़ैक्टर
1. एक्सपेंस रेशियो: जितना कम होगा उतना बेहतर होगा
क्योंकि एक ही इंडेक्स को ट्रैक करने वाले सभी इंडेक्स फ़ंड एक जैसे स्टॉक में निवेश करते हैं, इसलिए इनका एकमात्र अंतर लाने वाला फ़ैक्टर इनकी लागत है. एक्सपेंस रेशियो (व्यय अनुपात) जितना कम होगा, वक़्त के साथ आपका रिटर्न उतना ही बेहतर होगा.
उदाहरण के लिए, निफ़्टी 50 इंडेक्स फ़ंड्स में, सबसे कम एक्सपेंस रेशियो लगभग 0.05 प्रतिशत है, जबकि कुछ फ़ंड 28 फ़रवरी, 2025 तक 0.67 प्रतिशत तक चार्ज करते हैं. समय के साथ, ये अंतर रिटर्न पर काफ़ी असर डाल सकता है.
ये भी पढ़ें: आपके म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे में कितनी सेंध लगाता है एक्सपेंस रेशियो
2. ट्रैकिंग एरर: फ़ंड इंडेक्स से कितना क़रीब से मेल खाता है
ट्रैकिंग एरर ये मापता है कि फ़ंड इंडेक्स की कितनी अच्छी तरह नकल या फ़ॉलो कर सकता है. क्योंकि फ़ंड रिटर्न कैश होल्डिंग्स, फ़ंड एक्सपेंस या एक्सीक्यूट करने में कमी (निष्पादन अक्षमताओं) जैसे फ़ैक्टर के कारण इंडेक्स से थोड़ा अलग जा (विचलित) हो सकता है. इसका मतलब है कि कम ट्रैकिंग एरर एक अच्छा संकेत है. ये दिखाता है कि फ़ंड इंडेक्स के प्रदर्शन की नकल करने में ज़्यादा कुशल है.
मिसाल के तौर पर, पिछले एक साल में निफ़्टी 50 इंडेक्स फ़ंड के लिए ट्रैकिंग एरर न्यूनतम 0.01 प्रतिशत से लेकर अधिकतम 0.25 प्रतिशत तक रहा है. सही इंडेक्स फ़ंड चुनने के लिए चेकलिस्ट क्या आपने अपने मुख्य पोर्टफ़ोलियो के लिए एक व्यापक-मार्केट इंडेक्स (जैसे सेंसेक्स/निफ़्टी) चुना है? क्या एक्सपेंस रेशियो अपनी कैटेगरी में सबसे कम है? क्या फ़ंड में कम और लगातार ट्रैकिंग एरर है? इन आसान से फ़ैक्टर को ध्यान में रखकर, आप ये पक्का कर सकते हैं कि आपका इंडेक्स फ़ंड निवेश अपने तय किए गए मक़सद - कम लागत, तनाव मुक्त और आसानी से पूंजी पैदा करने को पूरा करता है.
ये भी पढ़ें: इंडेक्स निवेश के फ़ायदे और नुक़सान
ये लेख पहली बार मार्च 17, 2025 को पब्लिश हुआ.