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कान्हा के संग रंग बरसत है, सब सखियन संग खेलत है फाग,
बिरज में आज गुलाल उड़त है, जैसे इंद्रधनुष छलकत है जाग! - रसखान
सदियों से होली सिर्फ़ एक और त्योहार ही नहीं, एक अनुभव की तरह हमारे जीवन में हर साल, बचपन से बुढ़ापे तक आता है और हर हर साल एक नया अनुभव और कई यादें जोड़ जाता है.
गुलाल उड़ते हैं, चेहरे रंगीन होते हैं, पकवानों की महक चारों ओर फैलती है और हंसी-मज़ाक के दौर चलते हैं. ठीक वैसे ही, निवेश भी एक यात्रा है, एक अनुभव है जिसमें सही बैलेंस, धैर्य और एक रणनीति की ज़रूरत होती है. तो आइए, इस होली, निवेश की दुनिया में रंगों के ज़रिए कुछ सीखें और हां, बुरा न मानो होली है!
1. होली के रंग, निवेश के ढंग - सही बैलेंस से ही चमकेगा फ़ंड!
होली में अगर सिर्फ़ एक ही रंग हो, तो क्या मज़ा आएगा? जैसे गुलाबी, हरा, नीला और पीला, तमाम रंग मिलकर होली को ख़ास बनाते हैं, वैसे ही आपके निवेश पोर्टफ़ोलियो में भी कई तरह के निवेश होने चाहिए, यानि वो डाइवर्सिफ़ाइड होने चाहिए. सिर्फ़ एक ही तरह के एसेट (जैसे सिर्फ़ स्टॉक्स या सिर्फ़ फ़िक्स्ड डिपॉज़िट) के भरोसे रहना रिस्की हो सकता है. अलग-अलग एसेट क्लास में इन्वेस्ट करना आपके पोर्टफ़ोलियो को मज़बूत और सेफ़ बनाता है.
हमारी कॉलोनी में एक रिटायर्ड कर्नल भटनागर हैं. होली में उनके रंग खेलने का तरीक़ा देखकर कोई भी कह देगा कि ये हाई-रिस्क-हाई-रिटर्न टाइप के इन्वेस्टर हैं. पूरी कॉलोनी को गुलाल से रंगने में इन्हें ही सबसे ज़्यादा मज़ा आता है, लेकिन निवेश में भी ये पूरा दांव स्टॉक्स पर ही लगाते हैं और इस बारे में ख़ूब बतियाते भी रहते हैं. हर साल होली के बाद दो-तीन दिन बाद तक नीले कान लेकर घूमते हैं क्योंकि रंग पीछा ही नहीं छोड़ते, ख़ैर, इस बार जब से मार्केट गिर रहा है, उनका पोर्टफ़ोलियो रंग से कहीं तेज़ी से साफ़ हो रहा है! इसलिए होली भले ही उनकी तरह खेलिए क्योंकि होली में उनके साथ मज़ा होता है, मगर सिर्फ़ एक तरह के निवेश पर निर्भर रहना सही नहीं, सही बैलेंस ज़रूरी है.
2. लट्ठमार होली में सारे लट्ठ पीठ पर नहीं खाए जाते
बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली में महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर बचते हैं. यहां लट्ठ से ज़्यादा ज़रूरी है ढाल! क्योंकि अगर आप होली पर बरसाना में हैं तो लट्ठ तो पड़ेंगे ही... और अगर इक्विटी निवेश कर रहे हैं तो स्टॉक गिरेंगे ही.
इसीलिए कहा, ज़रूरी है ढ़ाल! रिस्क और सेफ़्टी का बैलेंस!
लट्ठमार होली में भी और इन्वेस्टिंग में भी. अगर सिर्फ़ रिस्की निवेश करेंगे, तो चोट लग सकती है और हां, अगर सिर्फ़ सुरक्षा पर ध्यान दे कर खेलेंगे ही नहीं, तो होली में मज़ा नहीं आएगा और निवेश का फ़ायदा नहीं मिल पाएगा. इसलिए एक बैलेंस्ड स्ट्रैटजी अपनाएं, ताकि ढाल भी मज़बूत हो और खेल भी मज़ेदार!
हमारे एक जानने वाले रामकुमार जी की आदत भी लट्ठमार ही है. होली में इन्हें बिना ढाल के मैदान में उतरने की आदत है—पूरा रोमांच चाहिए! ठीक वैसे ही, ये अपने सारे पैसे सिर्फ़ इक्विटी में लगाते हैं क्योंकि उन्हें छोटी बातें, और थोड़ा मुनाफ़ा बिल्कुल नापसंद है. नतीजा? जब मार्केट ऊपर जाता है, तो ये सबसे ऊंचे कूदते हैं, लेकिन गिरावट में उनके हौसले पस्त होते हैं. आप उन्हें देख भर लीजिए आपको मार्केट का हाल मिल जाएगा. वैसे ये सारी घर की बात है, कैसे? दरअसल उनका सारा कंपटीशन उनकी अपनी पत्नी से ही है.
और सीमा जी, उनकी पत्नी बिलकुल बैलेंस्ड खेलती हैं—थोड़ा इक्विटी, थोड़ा डेट फ़ंड, थोड़ा गोल्ड. होली में भी वो शांति दिखाती हैं और निवेश में भी उनकी स्ट्रैटजी लंबी दौड़ के लिए फ़िट बैठती है. मगर राजकुमार जी उनसे सीखते ही नहीं, उलटा अपनी पत्नी को सिखाने में लगे रहते हैं.
3. होली खेलें होश से, निवेश करें सोच के!
होली पर गुझिया और ठंडाई का मज़ा ही कुछ और होता है, लेकिन अगर ज़्यादा खा लें, तो पेट ख़राब हो सकता है! इसी तरह, निवेश में भी 'जल्दी अमीर बनने' के लालच में बिना सोचे-समझे फ़ैसले लेना ख़तरनाक हो सकता है. कोई भी स्कीम जो बहुत ज़्यादा ही रिटर्न देने का दावा करती है, उसमें रिस्क भी उतना ही बड़ा होता है. निवेश हमेशा सोच-समझकर करें, नहीं तो हो सकता है कि स्वाद के चक्कर में मुंह कड़वा हो जाए.
कड़वे से याद आया, मिसेज़ शर्मा, होली पर ठंडाई में ज़्यादा भांग डालने वालों को तुरंत पहचान लेती हैं. जैसे ही उन्हें कोई स्कीम 30-40% रिटर्न का लालच देती दिखती है, वो तुरंत नौ-दौ-ग्यारह हो जाती हैं. मगर हर कोई उनकी तरह समझदार थोड़े न है, बिना देखे-समझे 'डबल मनी' स्कीम में पैसे लगाने वाले भी कई लोग हैं, जिनकी रंग उड़े रहते हैं मगर समझ नहीं पाते कि उन्हीं के साथ ऐसा क्यों होता है. निवेश में भी मीठे शब्दों और बड़े वादों से सावधान रहना चाहिए.
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4. होली के बाद साफ़-सफ़ाई की तरह पोर्टफ़ोलियो भी साफ़ रखिए
होली के बाद हम सबको अपने चेहरे, कपड़ों और घर से रंग हटाने में वक्त लगता है. ठीक इसी तरह, निवेश की भी समय-समय पर सफ़ाई करनी ज़रूरी है. कौन से स्टॉक्स या म्यूचुअल फ़ंड अब अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे? कौन से निवेश बदलने की ज़रूरत है? अपने पोर्टफ़ोलियो को समय-समय पर रीबैलेंस करना निवेश यात्रा को सफल बनाने का एक अहम हिस्सा है.
जैसे पुराने दाग़ साफ़ करने में वक़्त लगता है, वैसे ही, अपने निवेश पोर्टफ़ोलियो की सफ़ाई समय-समय पर कर लेनी चाहिए. कौन सा फ़ंड अब अच्छा नहीं कर रहा, कौन सा ज़्यादा ख़र्चा खा रहा है—सबकी लिस्ट बना कर साल में दो बार पोर्टफ़ोलियो रीबैलेंस कर लीजिए. इसलिए, साफ़-सफ़ाई सिर्फ़ घर की नहीं, निवेश की भी करनी ज़रूरी है! मगर हां, बहुत ज़्यादा भी मत रगड़िए अपना पोर्टफ़ोलियो नहीं तो बार-बार ख़रीदना बेचना भी उसका रंग उड़ा देता है. चाहे टैक्स हो या ख़रीदने बेचने का ख़र्च.
5. कुछ रंग धीरे-धीरे असर दिखाते हैं
निवेश में धीरज ज़रूरी है. क्योंकि कंपाउंडिंग का रंग तुरंत नहीं दिखाई देता, इसमें वक़्त लगता है. तो अगर सोच-समझ कर अपनी ज़रूरतों और निवेश के टाइम लाइन देख कर पैसे निवेश में डाले हैं तो रंग चढ़ने दीजिए. आराम कीजिए. ज़्यादा करने के चक्कर में ही लोग अपना नुक़सान ज़्यादा कर लेते हैं. बाज़ार की छोटी-मोटी गिरावट से घबराइएगा नहीं, यही समझदार निवेशक की पहचान होती है.
संत कबीर ने भी तो कहा है:
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय.
तो इस होली, सिर्फ़ चेहरा नहीं, अपने पोर्टफ़ोलियो को भी रंग लगाइए!
धनक के साथ अपने निवेश को रंगों से भरें!
निवेश को होली की तरह समझदारी और ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग एसेट क्लास के साथ खेलें. सही रणनीति और बैलेंस के साथ आपके निवेश भी लंबे समय तक चमकते रहेंगे.
इस होली, अपने भविष्य को सही रंगों में रंगने के लिए धनक पर आएं और सही निवेश रणनीति अपनाएं.
आपको और आपके परिवार को एक रंगीन, खुशहाल और सुरक्षित होली की शुभकामनाएं!
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ये लेख पहली बार मार्च 12, 2025 को पब्लिश हुआ.