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मार्केट अनिश्चितता को पसंद नहीं करते हैं और अल्ट्राटेक सीमेंट ने हाल ही में एक बड़ी ख़बर दी है. असल में, केबल और वायर कारोबार में इसके दमदार आगाज की घोषणा ने इस उद्योग के मौजूदा निवेशकों को परेशान कर दिया है. इसकी वजह, पिछले कुछ दिनों में पॉलीकैब और KEI इंडस्ट्रीज़ के शेयरों में लगभग 20 फ़ीसदी की गिरावट रही. ये डर बेवजह नहीं है. ये कदम अल्ट्राटेक की तरह आदित्य बिड़ला समूह की एक और दिग्गज कंपनी ग्रासिम की पेंट उद्योग में उतरने की याद दिलाता है, जिसने बाज़ार में उतार-चढ़ाव की चेतावनी दी थी. तो, क्या ये घबराहट जायज है? हम यहां इस बात का आकलन कर रहे हैं कि अल्ट्राटेक की इस कारोबार में एंट्री का उद्योग के लिए क्या मतलब हो सकता है.
अल्ट्राटेक की एंट्री से परेशानी क्यों?
1. बहुत ज़्यादा पैसा, बहुत ज़्यादा डिस्काउंट?
अल्ट्राटेक के पास वित्तीय ताकत है; ₹2,900 करोड़ का कैश रिज़र्व, निवेश के साथ बढ़कर ₹5,500 करोड़ रुपये हो गया, पिछले पांच साल में ₹26,000 करोड़ का फ़्री कैश फ़्लो हुआ - जो शीर्ष चार केबल कंपनियों के संयुक्त ऑपरेटिंग कैश फ़्लो से भी ज़्यादा है! इस ताकत के साथ, अल्ट्राटेक:
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आक्रामक तरीके से निवेश किया. कंपनी का शुरुआती प्रस्तावित कैपेक्स ₹1,800 करोड़ है, जो KEI, फिनोलेक्स और पॉलीकैब के कुल कैपेक्स का 32 फ़ीसदी है.
- डीलरों को निरंतर छूट देती है, जिससे मौजूदा खिलाड़ियों के लिए प्राइस के मामले में प्रतिस्पर्धा और मार्जिन पर दबाव पैदा हो.
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2. डिस्ट्रीब्यूशन में बढ़त
अल्ट्राटेक को केबल बाज़ार में आगाज के लिए बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत करने की ज़रूरत नहीं है. इसके मौजूदा 4,000 कंस्ट्रक्शन बिज़नस आउटलेट (अल्ट्राटेक बिल्डिंग सॉल्यूशंस स्टोर) इसे डिस्ट्रीब्यूशन में ख़ासी बढ़त दिलाते हैं. यहां बताया जा रहा है कि ये क्यों अहम है:
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तत्काल बाज़ार पहुंच:
कंपनी कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स के साथ-साथ केबल भी बेच सकती है, जिससे पुराने कस्टमर बेस का फ़ायदा उठाया जा सकता है.
- भारी डिस्काउंट की ज़रूरत कम हो जाती है: अपने स्वामित्व वाले आउटलेट के ज़रिये बिक्री करने का मतलब ये हो सकता है कि कंपनी को बाहरी डीलरों और भारी डिस्काउंट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
इंडस्ट्री का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क
फिनोलेक्स केबल्स | 5,000 |
KEI इंडस्ट्रीज़ | 1,990 |
पॉलीकैब इंडिया | 3,800 |
RR काबेल | 4,000 |
अल्ट्राटेक सीमेंट* | 3,952 |
*अल्ट्राटेक बिल्डिंग सॉल्युशंस स्टोर्स
फ़ाइनेंशियल ईयर 24 तक का डेटा है |
3. मार्केट शेयर बढ़ने की सीमा
बाज़ार की गहरी चिंता मौजूदा कंपनियों की ग्रोथ की उम्मीदों को लेकर है. मौजूदा बड़ी कंपनियों ने अब तक छोटे, असंगठित खिलाड़ियों से अतिरिक्त मार्केट शेयर हासिल करने की अपनी क्षमता के लिए भारी वैल्यूएशन प्रीमियम रखा था. लेकिन अल्ट्राटेक जैसी दिग्गज कंपनी की एंट्री ने उन उम्मीदों पर रोक लगा दी है क्योंकि बाज़ार में एक और बड़ी कंपनी आगाज कर चुकी है.
कुल मिलाकर, भले ही, अल्ट्राटेक तुरंत मुनाफ़े में कमी नहीं कर सकती, लेकिन इससे निश्चित रूप से मौजूदा कंपनियों की लंबे समय तक बाज़ार पर वर्चस्व रहने की धारणाएं धुंधली हो जाती हैं.
लेकिन ये खतरा वास्तव में कितना तात्कालिक और गहरा है? क़रीब से देखने पर पता चलता है कि डर संभवतः कुछ ज़्यादा माना जा रहा है.
सतर्क आशावाद का मामला
1. समय मौजूदा कंपनियों के पक्ष में है. अल्ट्राटेक का आगाज एक लंबे समय का खेल है. KEI इंडस्ट्रीज़ के मैनेजमेंट के अनुसार, अल्ट्राटेक को प्लांट शुरू करने और पूर्ण उत्पादन क्षमता तक पहुंचने में दो से तीन साल लगेंगे और अपने ब्रांड को स्थापित करने में एक और साल लगेगा. इस तरह, उसे चार साल चाहिए. इसके अलावा, अगर कंपनी बी2बी सेगमेंट को लक्ष्य बनाती है, तो रेग्युलेटरी मंजूरियों में और समय भी लग सकता है.
2. कितना फ़ायदा. ₹1 लाख करोड़ के साइज़ के साथ भारतीय केबल बाज़ार बहुत बड़ा है और आने वाले वर्षों में भारत की GDP के 1.5 से 2 गुना बढ़ने की उम्मीद है. इस तरह के आकार का मतलब है कि आक्रामक प्रवेश के साथ भी, अल्ट्राटेक का प्रभाव उतना गंभीर नहीं हो सकता है. यहां पर ग्रोथ की संभावनाएं कई खिलाड़ियों के फलने-फूलने के लिए पर्याप्त हैं.
3. प्राइस वार से सभी को नुक़सान नहीं हो सकता. मार्केट शेयर जल्दी से हासिल करने के लिए, काफ़ी संभावना है कि अल्ट्राटेक अपनी वित्तीय ताकत का इस्तेमाल करके प्राइस वार शुरू कर सकती है. इससे मौजूदा कंपनियों के मार्जिन कम हो सकते हैं, लेकिन समान रूप से नहीं. पॉलीकैब, KEI और फिनोलेक्स सहित बड़े खिलाड़ियों के पास प्राइस कंपीटिशन का सामना करने और अपने मार्जिन पर होने वाले नुक़सान से बचने के लिए वित्तीय और ब्रांड की ताकत है. ख़ासकर कमज़ोर बैलेंस शीट वाली और सीमित वित्तीय ताकत वाली छोटी कंपनियों के लिए, ठहराव या यहां तक कि बाज़ार से बाहर निकलने की आशंकाएं बन सकती हैं.
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इंडस्ट्री के प्रदर्शन पर एक नज़र
मीट्रिक्स (%) | हैवेल्स* | पॉलीकैब | KEI | फिनोलेक्स | RR | यूनिवर्सल |
---|---|---|---|---|---|---|
5 साल की रेवेन्यू ग्रोथ | 13.0 | 17.7 | 13.9 | 10.3 | 24.1 | 7.4 |
5 साल का औसत ROCE | 25.8 | 27.3 | 25.4 | 18.7 | 17.6 | 11.0 |
5 साल का औसत EBIT मार्जिन | 9.7 | 10.9 | 9.4 | 11.1 | 6.1 | 6.8 |
* हैवेल्स को केबल सेगमेंट से सिर्फ़ 34% रेवेन्यू मिलता है डेटा फ़ाइनेंशियल ईयर 19-24 का है ROCE यानि लगाई गई पूंजी पर रिटर्न है |
क्या उम्मीद करें?
केबल और वायर इंडस्ट्री में अल्ट्राटेक के कदम रखने से समय के साथ बाज़ार की तस्वीर बदल सकती है, लेकिन इससे तत्काल उथल-पुथल की संभावना नहीं है. कंपनी अगले कुछ साल अपने परिचालन को बढ़ाने और अपने ब्रांड को स्थापित करने में लगाएगी. भले ही, मौजूदा खिलाड़ियों के पास आराम करने की गुंजाइश है, लेकिन वे आत्मसंतुष्टि को बर्दाश्त नहीं कर सकते. मध्यम से लंबी अवधि में उद्योग के मार्जिन पर दबाव बढ़ना तय है, लेकिन स्थापित ब्रांड और मज़बूत कैश फ़्लो वाली कंपनियों इसका सीमित प्रभाव पड़ेगा. असली खतरा बाजार के विस्तार में संभावित मंदी है. कुल मिलाकर बाज़ार बढ़ेगा, लेकिन अगर अल्ट्राटेक सफलतापूर्वक उद्योग में ख़ुद को शामिल कर लेती है, तो हर कंपनी का मार्केट शेयर कम हो सकता है.
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