भारत बॉन्ड ETF और FoF 2025 को एडलवाइस म्यूचुअल फ़ंड द्वारा 2020 में लॉन्च किया गया था, ताकि भारतीय निवेशकों को REC (रूरल इलेक्ट्रीफ़िकेशन कॉर्पोरेशन), पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, भारतीय इंडियन रेलवे फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन और NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) जैसी सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा जारी हाई-क्वालिटी वाले बॉन्ड में अपना पैसा लगाने का अवसर मिल सके.
चूंकि सरकार समर्थित संस्थान ए.ए.ए. रेट वाले बॉन्ड (AAA-rated Bond) जारी करते हैं, इसलिए इनका क्रेडिट रिस्क बहुत कम है, जिससे भारत बॉन्ड ETF और FoF एक सुरक्षित फ़िक्स्ड-इनकम (निश्चित-आय) निवेश बन जाते हैं.
हालांकि, भारत बॉन्ड के दोनों वेरिएंट जल्द ही मेच्योर (परिपक्व) होने वाले हैं, इसलिए एडलवाइस फ़ंड हाउस ने उन्हें क्रमशः 15 और 16 अप्रैल, 2025 से भारत बॉन्ड ETF और FoF 2030 के साथ विलय (मर्जर) करने का फ़ैसला किया है. इसका कारण समझना बहुत आसान है: निवेश की बड़ी समय सीमा और अपेक्षाकृत सुरक्षित सार्वजनिक बॉन्ड में लगातार निवेश.
भारत बॉन्ड विलय का निवेशकों के लिए क्या मतलब है?
मौजूदा निवेशक अपनी सहमति देकर 2030 तक अपने निवेश को बढ़ा सकते हैं.
लेकिन अगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो ETF और FoF होल्डिंग्स को क्रमशः 15 और 16 अप्रैल, 2025 को ऑटोमैटिक (स्वचालित) तरीक़े से भुनाया जाएगा.
अगर आपको जल्द से जल्द पैसे की ज़रूरत है, तो इस विकल्प का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
आइए अब बताते हैं कि भारत बॉन्ड ETF और FoF एक अच्छा विकल्प क्यों हो सकते हैं.
भारत बॉन्ड ETF और FoF रिटर्न प्रतिस्पर्धी हैं
भारत बॉन्ड वर्तमान में लगभग 7.23 प्रतिशत की यील्ड टू मेच्योरिटी (YTM) देता है, जो मेच्योरिटी तक रखने पर सांकेतिक वार्षिक प्रतिफल (indicative annual return) को दिखाता है. ये यील्ड (प्रतिफल) समान मेच्योरिटी वाले दूसरे टार्गेट मेच्योरिटी फ़ंड्स (TMF) की तुलना में प्रतिस्पर्धी है.
ये देखते हुए कि RBI ने पहले ही एक ब्याज दर में कटौती लागू कर दी है, अब हाई यील्ड को लॉक करना फ़ायदेमंद हो सकता है. अगर आने वाले सालों में ब्याज दरों में और गिरावट आती है, तो आज की यील्ड और भी ज़्यादा आकर्षक साबित हो सकता है, जो लंबी समय अवधि में स्थिर रिटर्न सुनिश्चित करता है.
इसके अलावा, अगर हम ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखें, तो पिछले छह महीनों में दैनिक कारोबार का औसत लगभग ₹2 करोड़ रहा है, जिसका अर्थ है कि रिटेल निवेशक के लिए निवेश बेचना तनावपूर्ण नहीं हो सकता है.
दूसरे फ़िक्स्ड-इनकम के विकल्पों की तुलना में ये कैसा है?
अगर आप विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, तो यहां बताया गया है कि भारत बॉन्ड दूसरे फ़िक्स्ड-इनकम के साधनों के मुक़ाबले कैसा है:
- बैंक फ़िक्स्ड डिपॉज़िट (FD): प्रमुख बैंक वर्तमान में पांच साल के डिपॉज़िट के लिए 6.5 प्रतिशत - 7 प्रतिशत के बीच ब्याज दर देते हैं. जबकि वे बेहतर लिक्विडिटी (तरलता) देते हैं, पर उनमें टैक्स एफ़िशिएंसी (कर दक्षता) की कमी होती है और परिणामस्वरूप टैक्स के बाद कम रिटर्न मिल सकता है.
- नेशनल सेविंग्स सर्टिफ़िकेट (NSC): पांच साल की अवधि के लिए मौजूदा ब्याज दर 6.8 प्रतिशत है. सरकार द्वारा समर्थित होने के बावजूद, भारत बॉन्ड ETF 2030 की तुलना में रिटर्न कम है.
इसकी ऊंची यील्ड को देखते हुए, अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करने के लिए तैयार हैं तो भारत बॉन्ड एक आकर्षक विकल्प बना हुआ है.
टैक्स किस तरह लागू होता है
विलय से कोई अतिरिक्त टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. ETF निवेशकों के लिए, एक साल की होल्डिंग अवधि के बाद मुनाफ़े पर 12.5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है, चाहे आप निवेश में बने रहें या अपनी यूनिट्स को भुना लें, टैक्स ट्रीटमेंट में कोई बदलाव नहीं होता.
FoF निवेशकों के लिए, अगर होल्डिंग की अवधि दो साल से ज़्यादा है, तो मुनाफ़े पर 12.5 प्रतिशत टैक्स लगेगा.
दूसरी ओर, बैंक FD और NSC जैसे दूसरे फ़िक्स्ड इनकम के विकल्पों से मुनाफ़े पर आपके इनकम टैक्स स्लैब रेट के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाता है.
विलय के लिए सहमति कैसे दें
विलय का विकल्प चुनने के लिए, भारत बॉन्ड ETF निवेशकों को 10 मार्च से 8 अप्रैल, 2025 के बीच सहमति देनी होगी. FoF के लिए, तारीख़ें 12 मार्च से 11 अप्रैल, 2025 के बीच हैं. ये दो तरीके हैं जिनसे ऐसा किया जा सकता है:
- किसी भी एडलवाइस म्यूचुअल फ़ंड ब्रांच में एक हस्ताक्षर के साथ सहमति फ़ॉर्म जमा करें
- एडलवाइस म्यूचुअल फ़ंड वेबसाइट पर ऑनलाइन ट्रांज़ैक्श की सुविधा का इस्तेमाल करें
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