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जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर में भारी गिरावट हैरत की बात नहीं, जानिए क्यों?

एक समय मार्केट की फेवरेट रही जेनसोल इंजीनियरिंग अब क़र्ज़ में डूबी हुई है और ख़राब कामकाज से जूझ रही है

जेनसोल इंजीनियरिंग की गिरावट तय थी, निवेशकों ने 7 चेतावनियों के संकेतों को अनदेखा कर दियाAI-generated image

एक साल पहले, जेनसोल इंजीनियरिंग स्पष्ट रूप से मार्केट की आंखों का तारा बनी हुई थी. उसने मार्च 2022 से फ़रवरी 2024 तक सिर्फ़ दो साल में निवेशकों की संपत्ति 12 गुना बढ़ा दी थी. इस शानदार उछाल के साथ-साथ इलेक्ट्रिक रेवेन्यू में भी उतनी ही बढ़ोतरी देखने को मिली थी. इसका रेवेन्यू फ़ाइनेंशियल ईयर 22 के ₹160 करोड़ से बढ़कर फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में ₹963 करोड़ हो गया, जो मुख्य सोलर EPC बिज़नस में मज़बूत ऑर्डर इनफ़्लो की वजह से हुआ. EV लीजिंग और मैन्युफैक्चरिंग में कंपनी की एंट्री से भी शेयर में जारी रैली को सपोर्ट मिला था.

हालांकि, आज 11 मार्च, 2025 को ही शेयर में 5 फ़ीसदी का लोअर सर्किट लगा है. इस प्रकार, शेयर अपने एक साल के पीक से 75 फ़ीसदी गिर चुका है, जिससे मज़बूत ग्रोथ के पीछे की खामियां उजागर हो गई हैं. इसके साथ ही, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA भी शेयर की रेटिंग डाउनग्रेड कर चुकी है.

4 मार्च, 2025 को ICRA ने डेट सर्विसिंग में देरी और फ़र्जी दस्तावेज़ ज़मा करने का हवाला देते हुए जेनसोल की रेटिंग BBB- (स्थिर) से घटाकर D (डिफ़ॉल्ट) कर दी. ₹250 करोड़ की नकदी के जेनसोल के दावों के बावजूद, लेंडर्स ने वित्तीय संकट का संकेत दिया है. फ़रवरी 2025 में, प्रमोटर के गिरवी शेयरों का आंकड़ा बढ़कर 85.5 फ़ीसदी हो गया, जो लिक्विडिटी से जुड़ी चिंता का एक स्पष्ट संकेत है.

क्रेडिट रेटिंग में गिरावट अक्सर नुक़सान हो जाने के बाद देखने को मिलती है. जेनसोल में गिरावट के कई संकेत थे, जिन्हें समझदार निवेशकों को अनदेखा नहीं करना चाहिए था. हम उनके बारे में आगे बता रहे हैं, ताकि आप उन स्टॉक को पहचान सकें जो आकर्षक कहानियों के पीछे छिपे थे:

जेनसोल के पतन के छूटे हुए संकेत!

1. शेयर में हेरफेर के आरोप. जेनसोल के शेयर में जबरदस्त उछाल विवादों से अछूता नहीं रहा. कंपनी का संबंध महादेव बेटिंग ऐप घोटाले में फंसे लोगों से था, जो 2023 का एक हाई-प्रोफ़ाइल फ़ाइनेंशियल स्कैंडल था. मिलीभगत के साथ ख़रीद और सट्टेबाजी की चर्चा के माध्यम से शेयर की क़ीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाए जाने की ख़बरें ख़ूब चर्चा में रही थीं. सतर्क निवेशकों के लिए, ये एक शुरुआती चेतावनी होनी चाहिए थी.

सबक़: धोखाधड़ी से जुड़े विवादों में फंसी कंपनियों से बचना सबसे अच्छा होता है. असल में, जहां धुआं होता है, वहां आमतौर पर आग भी होती है.

2. बिगड़ती बैलेंस शीट. जेनसोल की तेज़ ग्रोथ वित्तीय समझ-बूझ को ताक पर रखने के बाद देखने को मिली थी. इसका डेट-टू-इक्विटी रेशियो फ़ाइनेंशियल ईयर 21 में 0.3 से बढ़कर फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में 4.3 हो गया है, जो संकट का स्पष्ट संकेत था. जो बात इसे और भी स्पष्ट करती है वो ये है कि कंपनी का कैश फ़्लो असमान बना हुआ है, जबकि ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट में पिछले कुछ वर्षों में लगातार ग्रोथ देखी गई है.

सबक़: कमज़ोर होती बैलेंस शीट सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं है; बल्कि ये अस्तित्व में बने रहने से जुड़े जोखिमों का संकेत है. असल में, डेट के दम पर मिली ग्रोथ एक टाइम बम की तरह हो सकती है.

ऊंचे क़र्ज़ और कमज़ोर कैश फ़्लो का खतरनाक मिश्रण

FY24 FY23 FY22 FY21 FY20
कुल क़र्ज़ (करोड़ ₹) 1,397 524 82 11 13
डेट टू इक्विटी रेशियो 4.3 2.5 1.8 0.3 0.4
इंटरेस्ट कवरेज रेशियो 1.7 2.4 3.6 2.9 2.7
EBITDA (करोड़ ₹) 230 78 19 6 4
कैश फ़्लो फ्रॉम ऑपरेशन (करोड़ ₹) -98 115 -50 6 -15
ROCE (%) 15.4 13.4 22.6 12.2 16.2
डेट टू इक्विटी कुल क़र्ज़/ नेटवर्थ है
इंटरेस्ट कवरेज EBIT / इंटरेस्ट एक्सपेंस है
EBITDA का अर्थ है इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोर्टाइजेशन से पहले की अर्निंग
ROCE का अर्थ है लगाई गई पूंजी पर रिटर्न

3. मुख्य बिज़नस से इतर डाइवर्सिफ़िकेशन. सोलर EPC से लेकर EV लीजिंग और फिर मैन्युफैक्चरिंग तक, जेनसोल का डायवर्सिफ़िकेशन जितना महत्वाकांक्षी था, उतना ही जल्दबाजी वाला भी था. EV लीजिंग वेंचर को एक प्रमुख ग्रोथ इंजन के रूप में देखा गया था, जो फ़ाइनेंशियल ईयर 23 की दूसरी तिमाही तक लीज पर केवल 250 EV से फ़ाइनेंशियल ईयर 25 की तीसरी तिमाही तक 8,300 से ज़्यादा तक बढ़ गया. लेकिन कंपनी ने घोषणा की है कि वह इस वेंचर के लिए उठाए गए क़र्ज़ के बोझ को कम करने के लिए संचालन के केवल दो वर्षों में इस तेज़ी से बढ़ते बिज़नस को सीमित कर देगी.

सबक़: ख़ासकर चर्चित सेक्टर्स में डाइवर्सिफ़िकेशन स्पष्ट रणनीति या योजना को लागू करने की स्पष्टता के बिना एक खतरे का संकेत है.

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4. रेवेन्यू संबंधी भ्रामक गाइडैंस. चेतावनी का एक और संकेत ये होना चाहिए था कि प्रबंधन लगातार बड़े-बड़े वादे करता रहा और कमज़ोर प्रदर्शन करता रहा. फ़ाइनेंशियल ईयर 2024 के रेवेन्यू संबंधी गाइडैंस को ₹1,200 करोड़ आंका गया था, लेकिन यह ₹960 करोड़ ही रह गया. फ़ाइनेंशियल ईयर 2025 के लिए ₹2,000 करोड़ के अनुमान भी उतने ही संदिग्ध लग रहे हैं, जिनमें से अब तक केवल आधा ही हासिल किया जा सका है.

सबक़: बड़े अनुमानों पर संदेह करें. आशावाद नहीं, बल्कि क्रियान्वयन ही असली परीक्षा है.

5. लगातार इक्विटी में कमी और प्रमोटर की तरफ़ से स्टेक सेल. कंपनी ने लगातार शेयर जारी किए, मौजूदा शेयरधारक होल्डिंग्स को कम किया, वहीं, प्रमोटर होल्डिंग्स मार्च 2022 की 71.2 फ़ीसदी से घटकर लगभग 60 फ़ीसदी रह गई, जो कंपनी के भविष्य को लेकर शायद ही किसी भरोसे का संकेत हो.

सबक़: जब प्रमोटर बाहर निकलते हैं, तो निवेशकों को ऐसा करने की वजह पूछनी चाहिए. लगातार हिस्सेदारी में कमी शायद ही भविष्य की संभावनाओं के बारे में तेज़ी का संकेत देती है.

6. ईवी प्री-ऑर्डर का बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार. इस साल की शुरुआत में भारत मोबिलिटी एक्सपो 2025 में, जेनसोल ने 30,000 EV प्री-ऑर्डर का दावा किया था. लेकिन ये केवल दिलचस्पी (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) थीं, सौदे से जुड़ा कोई वादा नहीं था. निवेशकों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए था कि जेनसोल की मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता सालाना 30,000 यूनिट है, जिसका पूरी क्षमता के साथ काम करना असंभव है.

सबक़: वित्तीय समर्थन के बिना प्री-ऑर्डर खोखले मीट्रिक हैं. जब तक पैसा नहीं होगा तब तक डिमांड वास्तविक नहीं होती.

7. गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री का ग़लत विवरण. ICRA द्वारा डाउनग्रेड किए जाने से पहले, प्रमोटरों ने 2.15 लाख गिरवी रखे गए शेयर बेच दिए, जिसका वित्तीय स्थिरता के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में प्रचार किया गया. जबकि वास्तव में, ये लेंडर की तरफ़ से एक मजबूरी में की गई मार्जिन कॉल थी. मार्जिन कॉल से गहरे वित्तीय संकट और सीमित लिक्विडिटी का संकेत मिलता है और इससे कंपनी की सॉल्वेंसी के बारे में सतर्क हो जाना चाहिए था.

सबक़: जो कंपनियां निवेशकों को आधे-अधूरे सच से गुमराह करती हैं, उनसे बचना ही बेहतर है. गवर्नेंस संबंधी चूक की शायद ही कभी अनदेखी की जानी चाहिए.

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आपके लिए सलाह

क्रेडिट डाउनग्रेड के बाद, जेनसोल के प्रमोटर्स ने वारंट के माध्यम से कंपनी में वापस निवेश करने के लिए और ज़्यादा शेयर बेचे हैं और संकट के समय में अजीब और विरोधाभासी कार्रवाई करते हुए स्टॉक स्प्लिट का आइडिया भी पेश किया है. स्टॉक का वैल्यूएशन 100 से अधिक के P/E से गिरकर सिर्फ 13 पर आ गया है. कुछ निवेशकों को ये सस्ता लग सकता है. लेकिन, असल में ये एक क्लासिक वैल्यू ट्रैप है. बढ़ता क़र्ज़, गलत तरीके से डाइवर्सिफ़िकेशन और संदिग्ध गवर्नेंस एक सस्ते वैल्यूएशन को भी सही नहीं ठहराते हैं.

कम PE निवेश के लिए हरी झंडी नहीं है. अक्सर, ये गहरी गिरावट का संकेत देता है. निवेशकों को मजबूत बुनियादी बातों और पारदर्शी प्रबंधन वाले बिज़नसेज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि झूठे सौदे पेश करने वालों पर. जेनसोल के मामले में, दूरी बनाकर रखना और सीखना ही बुद्धिमानी होगी.

चलते-चलते: जानिए, बाज़ार में सुधार से कैसे फ़ायदा उठा सकते हैं

बाज़ार गिर रहे हैं, शेयरों की तगड़ी पिटाई हो रही है और हर जगह घबराहट है. लेकिन सभी निवेशक चिंतित नहीं हैं.

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