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इंडेक्स फ़ंड और ETF (एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड) दोनों ही निवेशकों को निवेश के लिए पैसिव नज़रिया अपनाने में मदद करते हैं. वे आपको अलग-अलग विजेताओं को चुने बिना स्टॉक के डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो में निवेश करने की अनुमति देते हैं. लेकिन आपके लिए कौन सा बेहतर है?
जबकि दोनों स्टॉक मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, उनका स्ट्रक्चर, ट्रेडिंग का तरीक़ा, फ़ीस और लागू होने वाला टैक्स अलग-अलग हैं. इन अंतरों को समझने से आपको एक समझ-बूझ कर फ़ैसले लेने में मदद मिल सकती है.
आइए जानें कि इंडेक्स फ़ंड और ETF की तुलना कैसे की जाती है और कौन सा आपके निवेश शैली के मुताबिक़ है.
इंडेक्स फ़ंड क्या हैं?
इंडेक्स फ़ंड एक तरह का म्यूचुअल फ़ंड है जो निफ़्टी 50 या सेंसेक्स जैसे स्टॉक मार्केट इंडेक्स की नकल या उसे फ़ॉलो करता है. अलग-अलग स्टॉक चुनने के बजाय, फ़ंड इंडेक्स में सभी स्टॉक को उसी रेशियो (समान अनुपात) में ख़रीदता है, ये पक्का करते हुए कि फ़ंड का रिटर्न इंडेक्स के प्रदर्शन से काफ़ी हद तक मेल खाता है.
इंडेक्स फ़ंड की मुख्य विशेषताएं
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पैसिव मैनेजमेंट
: कोई स्टॉक चुनना नहीं, बस इंडेक्स को ट्रैक करना.
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NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर
: निवेशक NAV वैल्यू पर ख़रीदते और बेचते हैं, जिसका कैलकुलेशन हरेक कारोबारी दिन के अंत में की जाती है.
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लंबे समय के निवेशकों के लिए आदर्श
: रोज़-रोज़ वैल्यू में बदलावों को ट्रैक करने की ज़रूरत नहीं है.
- SIP के लिए अच्छे : आप रुपया-लागत औसत (rupee-cost average) से फ़ायदा उठाने के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़िरए निवेश कर सकते हैं.
ये उन निवेशकों के लिए सही है जो समय के साथ वैल्थ बढ़ाने का एक आसान, बिना मेहनत वाला तरीक़ा चाहते हैं.
ETF क्या हैं?
एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड (ETF) भी एक पैसिव निवेश है जो एक इंडेक्स को ट्रैक करता है, लेकिन इंडेक्स फ़ंड के उलट, ETF किसी स्टॉक की तरह स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करते हैं. म्यूचुअल फ़ंड कंपनी से ख़रीदने के बजाय, निवेशक ब्रोकरेज अकाउंट के ज़रिए मार्केट प्राइस पर ETF ख़रीदते और बेचते हैं.
ETF की मुख्य विशेषताएं
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स्टॉक की तरह ट्रेड होता है
: दिन भर क़ीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है.
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रियल टाइम में वैल्यू तय होती है
: NAV का इतंज़ार करने की ज़रूरत नहीं है; तुरंत ख़रीदें या बेचें.
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ब्रोकरेज और डीमैट अकाउंट की ज़रूरत
: इंडेक्स फ़ंड के उलट, ETF में निवेश करने के लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट (ब्रोकर) की ज़रूरत होती है.
- कम एक्सपेंस रेशियो : आम तौर पर कम फ़ंड मैनेज करने के ख़र्च की वजह इंडेक्स फ़ंड की तुलना में सस्ता होता है.
ETF उन निवेशकों के लिए सही हैं जो स्टॉक की तरह बिज़नस करने की लचीलापन चाहते हैं और डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करने में सहज हैं
इंडेक्स फ़ंड vs ETFs
फ़ीचर | इंडेक्स फ़ंड्स | ETFs |
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स्ट्रक्चर | म्यूचुअल फ़ंड इेंडेक्स को ट्रैक करते हैं | स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक की तरह ट्रेड होता है |
ख़रीदना/ बेचना | दिन के अंत में NAV पर ख़रीदा/बेचा जाता है | मार्केट प्राइस पर पूरे दिन ख़रीदा/बेचा जाता है |
प्राइसिंग | NAV-बेस्ड और सभी निवेशकों के लिए एक जैसा होता है | डिमांड और सप्लाई के मुताबिक़ प्राइस ऊपर-नीचे होते हैं |
लिक्विडिटी | AMC दिन में एक बार प्रोसेस करती है | ऊंची लिक्विडिटी, एक्सचेंज पर तुरंत ट्रेडिंग |
ट्रेंडिंग का ख़र्च | ब्रोकरेज फ़ीस नहीं, केवल फ़ंड का ख़र्च | डीमैट अकाउंट की ज़रूरत, ब्रोकरेज फ़ीस लगती है |
एक्सपेंस रेशियो | आमतौर पर कुछ ज़्यादा | पैसिव मैनेजमेंट की वजह से कुछ कम |
इंडेक्स फ़ंड और ETF में से कैसे चुनें?
इंडेक्स फ़ंड चुनें अगर:
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आप एक सरल, बिना ज़्यादा ध्यान दिए निवेश करना पसंद करते हैं.
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आप ब्रोकरेज या डीमैट अकाउंट नहीं खोलना चाहते.
- आप SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए निवेश करते हैं.
ETF चुनें अगर:
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आप मार्केट खुला रहने के दौरान रियल टाइम की क़ीमतों पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं.
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आपके पास एक डीमैट अकाउंट है और आप स्टॉक जैसे ऑर्डर देने में सहज हैं.
- आप कम एक्सपेंस रेशियो और टैक्स की बडी बचत चाहते हैं.
चलते-चलते
इंडेक्स फ़ंड और ETF दोनों ही कम लागत वाले, पैसिव निवेश की पेशकश करते हैं, लेकिन सही विकल्प आपकी ज़रूरतों पर निर्भर करता है. इंडेक्स फ़ंड उन लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए सबसे अच्छे हैं जो SIP के ज़रिए आसानी और ऑटोमैटिक तरीक़ से निवेश की तलाश में हैं, जबकि ETF उन लोगों के लिए ज़्यादा लचीलापन और कम ख़र्च वाले हैं जो स्टॉक ट्रेडिंग में सहज हैं.
तो, आप ख़ुद से पूछिए कि क्या आप एक सरल, लंबे समय के निवेश का नज़रिया या रियल टाइम ट्रेडिंग के लचीलेपन को पसंद करते हैं?
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ये लेख पहली बार मार्च 12, 2025 को पब्लिश हुआ.