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कुछ हफ़्ते पहले एक पार्टी में कुछ दुखद हुआ, जो मुझे उम्मीद है कि ये अच्छे से समझा सकता है कि एसेट एलोकेशन क्यों मायने रखता है. मेरी दोस्त का जन्मदिन था और उसने पार्टी के लिए अपने घर पर 25 से ज़्यादा लोगों को बुलाया था. ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी. हफ़्तों की प्लानिंग के बाद, सब कुछ सेट हो गया - उसके पसंदीदा ब्रांड की एक ख़ूबसूरत नई ड्रेस, बुर्ज खलीफ़ा जितनी ऊंची और महंगी हील्स, और इतना शानदार मेकअप कि सब कुछ आंखें चौंधिया देने वाला था.
आखिरी पल तक सब कुछ सही था - जब उसने आख़िरकार आउटफ़िट को पहना.
हील्स बहुत टाइट थीं और ड्रेस से बिल्कुल अलग रंग की थीं, जो थोड़ी ज़्यादा लंबी थी. वो शुरुआती आधे घंटे तक छोटे बच्चे की तरह लड़खड़ाती रही, अपनी ड्रेस की हेम पर ठोकर खाती रही. हमने जल्दी-जल्दी कुछ ठीक-ठाक किया - ड्रेस को जितना हो सकी पिन किया और घर में 'जूते नहीं पहनने' का रूल बना दिया.
इससे ये पता चलता है कि कभी-कभी हम हर चीज़ में सबसे अच्छा पाने की चाहत रखते हैं और ये नहीं सोचते कि ये हमारे लिए अच्छा होगा या नहीं. यही बात हमारे निवेश पर भी लागू होती है. आप सबसे ज़्यादा ट्रेंडी स्टॉक या सबसे सुरक्षित फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में निवेश करना पसंद कर सकते हैं. समस्या तब पैदा होती है जब आपके एसेट सही तरीक़े से बैलेंस नहीं होते. वे आपके पोर्टफ़ोलियो को अचानक बाज़ार में गिरावट होने पर, महंगाई के रिस्क या लिक्विडिटी की समस्याओं के प्रति ज़्यादा संवेदनशील बना सकते हैं. कल्पना करें कि आपको इमरजेंसी में कैश की ज़रूरत है, लेकिन आपका सारा पैसा लॉन्ग-टर्म एसेट्स में लगा हुआ है, या आप एक ही सेक्टर पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं, और रातों-रात वो डूब जाता है.
यही वो जगह है जहां एसेट एलोकेशन काम आता है - ये पक्का करता है कि आप सिर्फ़ कागज़ पर ही अच्छे न दिखें, बल्कि अपने निवेश में सुरक्षित महसूस करें.
एसेट एलोकेशन क्यों मायने रखता है
पार्टी में हुई दुर्घटना सिर्फ़ एक ख़राब विकल्प के कारण नहीं थी, ये बैलेंस की कमी के कारण थी. निवेश भी इसी तरह काम करता है. आप बेहतरीन पर्सनल एसेट चुन सकते हैं, लेकिन अगर वे एक साथ काम नहीं करते हैं, तो आपका पोर्टफ़ोलियो उस तरह से काम नहीं करेगा जैसा उसे करना चाहिए.
अपनी अलमारी के बारे में सोचें. अगर आप सिर्फ़ शाम के समय के लिए फैंसी ड्रेस ख़रीदते हैं, लेकिन रोज़मर्रा की ज़रूरतों को भूल जाते हैं, तो आप पार्टियों में तो शानदार दिखेंगे, लेकिन चाट खाने जाते समय बेवकूफ़ लगेंगे. निवेश भी ऐसा ही है. अलग-अलग एसेट अलग-अलग रोल निभाते हैं, और एक स्मार्ट मिक्स ही आपके पोर्टफ़ोलियो को चलाता और सही बनाए रखता है.
मिसाल के तौर पर:
- इक्विटी स्टेटमेंट आउटफ़िट की तरह हैं- बोल्ड और रोमांचक, लेकिन हर अवसर के लिए नहीं. स्टॉक या इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड के मालिक होने से समय के साथ ऊंचा रिटर्न मिल सकता है - लेकिन वे रिस्क के साथ आते हैं. जिस तरह एक फ़ैंसी ड्रेस कैज़ुअल ब्रंच के लिए काम नहीं करेगी, उसी तरह ऊंचे रिस्क वाले निवेशों के लिए सावधानी से प्लानिंग बनाने की ज़रूरत होती है.
- फ़िक्स्ड-इनकम निवेश रोज़मर्रा की ज़रूरतों की तरह हैं - भरोसेमंद, लेकिन आकर्षक नहीं. बैंक FD, बॉन्ड और डेट म्यूचुअल फ़ंड को नीली जींस की एक क्लासिक जोड़ी की तरह सोचें. वे स्टॉक जितने रोमांचक नहीं हो सकते हैं, लेकिन वे स्थिरता देत हैं और उन्हें किसी भी चीज़ के साथ जोड़ा जा सकता है. वे आपके पोर्टफ़ोलियो को एक साथ रखते हैं और पक्का करते हैं कि आपके पास एक ठोस आधार रहे.
- बढ़ते एसेट हमेशा काम आने वाले सामान जैसे हैं - क़ीमती, लेकिन धीरज की ज़रूरत होती है. सोना और रियल एस्टेट महंगाई के खिलाफ़ बचाव के तौर पर काम करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे एक क्लासिक घड़ी, हीरे के स्टड या एक लग्ज़री हैंडबैग. आपको हर समय उनकी ज़रूरत नहीं होती, लेकिन जब सही तरीके़ से इस्तेमाल किया जाता है, तो वे आपकी फ़ाइनेंस की अलमारी में लंबे समय के लिए वैल्यू जोड़ते हैं.
सही एसेट एलोकेशन तय करना
अब जब आप जानते हैं कि अलग-अलग निवेश किस तरह अलग-अलग भूमिका निभाते हैं, तो आइए बात करते हैं कि आपको हरेक में कितना निवेश करना चाहिए. आप अपनी प्लानिंग, वक़्त, जगह, मौसम वगैरह के आधार पर छुट्टी के लिए कपड़े पैक करते हैं. इसी तरह निवेश में, आपको अपने फ़ाइनेंशियल गोल, रिस्क लेने की क्षमता और उम्र के आधार पर अपना एसेट एलोकेशन करने की ज़रूरत होती है.
हालांकि एसेट एलोकेशन के लिए कोई सख़्त रूल नहीं है जो सभी के लिए काम करता हो, यहां दो तरीक़े दिए गए हैं जिनसे आप इसे अपना सकते हैं.
निवेशक का प्रकार
इस बारे में सोचें कि आप किस तरह के निवेशक हैं - अग्रेसिव, मीडियम या कंज़रवेटिव - और उसके आधार पर अपना एसेट एलोकेशन करें.
- अग्रेसिव निवेशक: जो रिस्क लेने में सहज हैं, वे 70 प्रतिशत तक इक्विटी में और 30 प्रतिशत फ़िक्स्ड इनकम में एलोकेट कर सकते हैं.
- मीडियम निवेशक: 50-50 बैलेंस का गोल रख सकते हैं.
- कंज़रवेटिव निवेशक: जो स्थिरता पसंद करते हैं, वे फ़िक्स्ड इनकम के पक्ष में 30-70 के मिक्स की ओर झुक सकते हैं.
100 में से अपनी उम्र घटाने का रूल
अपनी उम्र को 100 में से घटाएं और जो रक़म बचती है, वही रक़म है जिसे आप इक्विटी में एलोकेट कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर, अगर आप 30 साल के हैं तो आप अपने पोर्टफ़ोलियो का 70 प्रतिशत इक्विटी में और बाक़ी फ़िक्स्ड इनकम में एलोकेट कर सकते हैं. अगर आप 60 साल के हैं, तो आपका इक्विटी एलोकेश 40 प्रतिशत होगा.
एसेट एलोकेशन के दौरान आपके लिए विचार करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात आपके निवेश के पीछे का लक्ष्य है. मान लीजिए कि आप एक अग्रेसिव निवेशक हैं या आपकी उम्र 20 साल है. आप 80 प्रतिशत इक्विटी में एलोकेट करने का फ़ैसला ले सकते हैं, लेकिन निवेश करने का आपका कारण तीन साल में अपनी हायर एजुकेशन का पेमेंट करना था. अगर आपके निवेश को बढ़ने का समय भी नहीं मिला, तो वो सारा पैसा और प्लानिंग बर्बाद हो जाएगी.
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बैलेंस पर नज़र और उसे बनाए रखना
निवेश का मतलब सिर्फ़ पोर्टफ़ोलियो बनाना और उसे भूल जाना नहीं है. जैसे आप हर मौसम में अपने कपड़ों की जांच करते हैं और गर्मियों में गर्म जैकेट की जगह टॉप पहनती हैं, वैसे ही आपके निवेश में भी नियम से रीबैलेंस करने की ज़रूरत होती है.
समय के साथ, आपका शुरुआती एसेट एलोकेशन बदल सकता है - शायद इक्विटी बेहतर करे, जिससे आपका पोर्टफ़ोलियो प्लानिंग से ज़्यादा रिस्की हो जाए, या फ़िक्स्ड इनकम बहुत ज़्यादा हावी हो जाए, जिससे ग्रोथ धीमी हो जाए. रीबैलेंस करने से चीज़ें गड़बड़ होने से पहले की स्थिति बहाल करने में मदद मिलती है.
अपने पोर्टफ़ोलियो को रीबैलेंस करने के दो तरीक़े यहां दिए गए हैं.
टाइम पर आधारित रीबैलेंसिंग
इसे नियमित अलमारी की सफ़ाई की तरह समझें. हर साल या उससे ज़्यादा, आप जांचते हैं कि क्या अभी भी फ़िट है, क्या चलन से बाहर हो गया है, और क्या बदलने की ज़रूरत है.
मान लीजिए कि आपका तय किया हुआ मिक्स 60 प्रतिशत इक्विटी और 40 प्रतिशत फ़िक्स्ड इनकम था. इक्विटी में उछाल आ सकता है, जिससे प्रतिशत 70-30 हो सकता है. इससे आपका पोर्टफ़ोलियो आपकी प्लानिंग से ज़्यादा रिस्क वाला हो जाएगा. इसलिए आपको बैलेंस बहाल करने के लिए कुछ इक्विटी बेचने और फ़िक्स्ड इनकम में फिर से निवेश करने की ज़रूरत हो सकती है.
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लिमिट पर बेस्ड रीबैलेंसिंग
ये आपके पसंदीदा स्नीकर्स के अचानक बहुत टाइट होने पर ध्यान देने जैसा है. आप सफ़ाई के लिए तय किए टाइम का इंतजार नहीं करते - जब आपको पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है तो आप इसे ठीक कर देते हैं.
ये नज़रिया केवल तभी रीबैलेंस को ट्रिगर करता है जब आपका एलोकेशन आपके गोल से बहुत दूर चला जाता है (मान लीजिए, अगर इक्विटी आपके तय किए प्रतिशत से 5-10 प्रतिशत आगे बढ़ जाती है).
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चलते-चले कुछ बड़ी बातें
एक बैलेंस्ड पोर्टफ़ोलियो एक अच्छी तरह से पैक किए गए सूटकेस की तरह होता है - ये आपको बेकार के सामान के बिना किसी भी स्थिति के लिए तैयार रखता है. एसेट एलोकेशन का मतलब ट्रेंड का पीछा करना नहीं है; इसका मतलब जीवन की हर स्टेज में स्थिरता, ग्रोथ और लचीलापन पक्का करना है.
अपने निवेशों की जांच करें, ज़रूरत पड़ने पर उन्हें बैलेंस करें और अपने लक्ष्यों को लेकर डटे रहें. सच्ची फ़ाइनेंशियल सेफ़्टी अगले बड़े इन्वेस्टमेंट का अंदाज़ा लगाने से नहीं आती है - ये एक ऐसी रणनीति से आती है जो आपको हर हाल में स्थिर रखती है.
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ये लेख पहली बार मार्च 13, 2025 को पब्लिश हुआ.