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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आसपास, फ़ाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री "महिलाओं के लिए स्पेशल ऑफ़र" की अपनी तमाम कैंपेन की धूल झाड़ने में व्यस्त है. गुलाबी थीम वाले ब्रोशर, "महिला निवेशकों" के लिए छूट वाली ब्रोकरेज, और "महिलाओं की ज़रूरतों के लिए ख़ास तौर से डिज़ाइन किए गए" निवेश सेमिनार हमारे इनबॉक्स और सोशल मीडिया फ़ीड में भर जाते हैं. मार्केटिंग मशीनरी हमें ये समझाने के लिए ओवरटाइम काम करती है कि महिलाओं को पैसे के लिए एक बुनियादी रूप से अलग नज़रिए की ज़रूरत होती है.
हाल ही में, मेरी दो बातचीत के दौरान महिलाओं और निवेश को लेकर हमारे परस्पर विरोधी नेरेटिव उभर कर आए. एक सीनियर इन्वेस्टमेंट प्रोफ़ेशनल, जो एक महिला हैं, उन्होंने मुझे बताया कि उनके अनुभव में, महिलाएं लगातार निवेश ज़्यादा करती हैं और अक्सर पुरुषों की तुलना में बेहतर रिटर्न पाती हैं - वे बस अपनी सफलताओं को सोशल मीडिया या व्हाट्सएप ग्रुप पर ब्रॉडकास्ट नहीं करती हैं. "पुरुष अपने मल्टीबैगर्स के बारे में शेखियां बघारते हैं," उन्होंने कहा, "लेकिन शायद ही कभी अपने नुक़सान की बात करते हैं. महिलाएं ख़ामोशी से काम जारी रखती हैं." उनका इस तरह से अदृश्य रहना उनके प्रति सोच में एक तरह का अंतर या भ्रांति पैदा करता है जिसे स्टीरियोटाइप से भरने में इंडस्ट्री बहुत ख़ुश होती है.
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इसके उलट, एक जानकार पुरुष ने बताया कि उसकी पत्नी, जो एक सफल बिज़नस पर्सन है और जिसकी आमदनी अच्छी-खासी है, पर वो सभी निवेश के फ़ैसले उस पर छोड़ देती है. उसने गर्व और हैरानी के मिलेजुले भाव के साथ कहा "वो पैसे कमाने में बहुत अच्छी है, लेकिन उस पैसे को निवेश करने की चिंता नहीं करती,". ये दो विरोधाभासी बयान - महिलाएं स्वाभाविक रूप से सतर्क लेकिन प्रभावी निवेशक हैं, और महिलाएं फ़ाइनेंस को लेकर उदासीन हैं - अलग-अलग मक़सद पूरा करते हैं. पहले वाले का इस्तेमाल "ख़ास महिलाओं के लिए बने" फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, जबकि दूसरे वाले का इस्तेमाल यथास्थिति को सही ठहराने के लिए किया जाता है, जहां पुरुष फ़ाइनेंशियल फ़ैसले लेने के लिए हावी रहते हैं. इनमें से कोई भी इस जटिल वास्तविकता को पूरी तरह से नहीं दिखाता है कि पुरुष या महिला होना फ़ाइनेंस के प्रति रवैये के साथ कैसे जुड़ता है.
सच्चाई ये है कि अच्छे निवेश सिद्धांत सदाबहार या सार्वभौमिक होते हैं - डाइवर्सिफ़िकेशन, लॉन्ग-टर्म की सोच, रिस्क-रिवॉर्ड संबंधों को समझना और इमरजेंसी के लिए लिक्विडिटी बनाए रखना. इन बुनियादी बातों का महिला या पुरुष होने से कोई लेना-देना नहीं है. अपने करियर की शुरुआत करने वाली 25 वर्षीय महिला की, रिटायरमेंट के क़रीब पहुंच चुकी 55 वर्षीय महिला की तुलना में उसी पोज़िशन पर 25 वर्षीय पुरुष के साथ ज़्यादा समानता है. निवेश रणनीतियों को तैयार करते समय जेंडर के मुक़ाबले उम्र, आमदनी, फ़ाइनेंशियल गोल और रिस्क लेने की क्षमता कहीं ज़्यादा मायने रखने वाले फ़ैक्टर हैं.
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तो महिलाओं को बेचे जाने वाले “स्पेशल” फ़ाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के पीछे क्या है? आम तौर पर, ये वही पुरानी पेशकश होती है जो अलग-अलग पैकेजिंग में लपेट दी जाती है. अक्सर महिलाओं की रिस्क उठाने की क्षमता के बारे में शक भरी सोच के आधार पर ज़्यादा फ़ीस या ज़्यादा कंज़रवेटिव प्रोजेक्शन वाले प्रोडक्ट उनके लिए तैयार किए जाते हैं. ये प्रोडक्ट शायद ही कभी असली ढांचागत मसलों को संबोधित करते हैं जो महिलाओं की आर्थिक स्थिति पर असर डाल सकते हैं – जैसे देखभाल के लिए करियर ब्रेक, महिला होने की वजह से पेमेंट में अंतर होना, या लंबा औसत जीवन जिसके लिए ज़्यादा बड़ी रिटायरमेंट प्लानिंग की ज़रूरत होती है.
इसका मतलब ये नहीं है कि निवेश करने के तरीक़े में पुरुष और महिलाएं अलग-अलग नहीं हैं. रिसर्च से पता चलता है कि महिलाओं के ट्रेडिंग करने का नंबर कम होगा (इस तरह बहुत ज़्यादा फ़ीस देने से बच सकती हैं), मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान कम घबराती हैं, और ज़्यादा डाइवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो रख सकती हैं. स्वभाव की ये ख़ूबियां – अगर रूढ़ियों से परे असलियत में मौजूद हैं – तो आम तौर पर बेहतर निवेश के नतीजों की ओर ले जाएंगी. विडंबना ये है कि फ़ाइनेंस सर्विस इंडस्ट्री की मार्केटिंग का ज़ोर महिलाओं के लिए अक्सर विपरीत गुणों के आधार पर होता है: “सरल” प्रोडक्ट्स की ज़रूरत, ज़्यादा मदद और कम रिस्क वाले नज़रिए.
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महिलाओं के लिए असल में काम की फ़ाइनेंशियल सर्विस कैसी दिखेंगी? वे बिना किसी पक्षपात के वास्तविक ढांचागत चुनौतियों को स्वीकार करेंगी. इस बात को पहचानेंगी कि एक महिला जो परिवार की देखभाल के लिए काम-काज से समय निकालती है, उसे उन ग़ैर-कमाई वाले सालों की भरपाई के लिए रणनीतियों की ज़रूरत हो सकती है. वे रिटायरमेंट प्लानिंग में महिलाओं की लंबी जीवन प्रत्याशा को ध्यान में रखेंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे सभी निवेशकों को समान स्तर का सम्मान, पारदर्शिता और विकल्प मुहैया कराएंगे.
इस महिला दिवस पर, महिलाओं के लिए किसी ख़ास "इन्वेस्टमेंट वर्कशॉप" के लिए साइन-अप करने के बजाय, शायद अपने आप को या अपने जीवन में महिलाओं को सबसे अच्छा तोहफ़ा ये पहचानना है कि अच्छे निवेश के सिद्धांत सदाबहार या सार्वभौमिक हैं. सबसे अच्छा निवेश वो है जो आपके जीवन की ख़ास परिस्थितियों और लक्ष्यों से मेल खाता हो - आप पुरुष हैं या महिला इसकी परवाह किए बिना. और ये एक सच्चाई है जो गुलाबी ब्रोशर पर आसानी से फ़िट नहीं होती है.
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