ऐसा नहीं है कि मैं निवेश के खिलाफ़ थी - मैं इसके प्रति उदासीन थी. मैं गणित में कभी भी बहुत अच्छी नहीं रही और मैंने ख़ुद को संबंधित क्षेत्रों से दूर रखने की कोशिश की. निवेश हमेशा से ही वयस्कों, मेरे पिता जैसे लोगों की दिलचस्पी का विषय रहा है. कॉलेज से निकलने के बाद, मेरा ध्यान मुख्य रूप से लेखन, कमाई और मजे करने पर था.
मुझे, मजे करना और निवेश करना समानार्थी नहीं लगते थे. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि मैंने हमेशा इसे एक बहुत ही ख़ास स्किल के रूप में सोचा था. मुझे लगता था कि विशेषज्ञ न होने का मतलब है कि मैं बस पैसे खो दूंगी. मुझे इससे दूर रहना ही ठीक लगा. मुझे इस बात का अंदाज़ा था कि मैं अपने जीवन को कैसा देखना चाहती हूं और मैं इसके लिए तैयार थी. ये तब तक था जब तक कि नोएडा के ऑटो-रिक्शा ने मेरी तैयारियों को झकझोर नहीं दिया.
पिछली लाइन ने शायद आपको चौंका दिया होगा, लेकिन ये झूठ नहीं है. असली दोषी मैं ख़ुद थी और ये सब ऑटो-रिक्शा से शुरू हुआ. जब मैंने वैल्यू रिसर्च जॉइन किया, तो मुझे ऑफिस पहुंचने के लिए ₹80 देने पड़ते थे. दो सप्ताह में, किराया बढ़कर ₹120 हो गया. दो महीने बाद, ये ₹200 हो गया. कुछ ही महीनों में, मेरा बेसिक ट्रैवल बजट दोगुने से भी ज़्यादा हो गया. किराये का इतनी तेज़ी से बढ़ना चौंकाने वाला था और ये सिर्फ़ ऑटो का मामला नहीं था.
बैडमिंटन खेलने से लेकर घर की मरम्मत तक हर चीज़ में पैसे लगते थे और क़ीमतें बढ़ती ही रहती थीं. इस बीच, मेरे पिता ने मुझे अपनी वैल्थ बढ़ाने के लिए म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना शुरू करवा दिया, इसलिए अब मेरे पास और भी कम पैसे बचते थे. आप देख सकते हैं कि मैं निवेश की सबसे बड़ी प्रशंसक क्यों नहीं थी. हर हफ़्ते, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) वैल्थ बनाने की आड़ में मेरी बहुत ज़रूरी सेविंग्स को खत्म कर रहे थे. जल्द ही, मुझे रोज़मर्रा की परेशानियों को दूर करने के लिए ज़्यादातर ख़र्चे बंद करने पड़े. मुसीबत तब और बढ़ गई, जब मेरा लैपटॉप अचानक ख़राब हो गया.
मैंने इस उम्मीद में अपने पिता को फोन किया कि वे सहानुभूति और दया दिखाएंगे. इसके बजाय, वो मुझ पर हंसे. फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैंने हाल में अपने म्यूचुअल फ़ंड निवेश की जांच की है. मैंने कहा-नहीं. ये वास्तव में एक अच्छा फैसला साबित हुआ. निवेश शुरू करने के महीनों बाद अपने खाते की जांच करने पर मुझे एहसास हुआ कि, अनिच्छा से ही सही, मैंने इतना पैसा बचा लिया था कि अगर मैं चाहूं तो एक अच्छा लैपटॉप ख़रीद सकती हूं. मैं उस पैसे को निकालना चाहती थी, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया.
सच कहूं तो मैं डरी हुई थी. मैं सोचती रही कि क्या आपको अपने निवेश को संभालने से पहले एक्सपर्ट बनने की ज़रूरत है या नहीं. मैंने हमेशा गंभीर लोगों को ही स्टॉक के बारे में बात करते देखा था. मैं एक ऐसे दफ़्तर में काम करती हूं जहां फ़ाइनेंस के एक्सपर्ट बड़ी संख्या में हैं, इसलिए मैं उनके पास गई. मुझे बताया गया कि मेरी उम्र में निवेश शुरू करके मैं ज़्यादातर लोगों से बेहतर कर रही हूं. क्या ये वाकई इतना आसान है? अगर मैं वास्तव में ध्यान दूं तो क्या मैं वाकई ज़्यादा हासिल कर सकती हूं?
मैंने अपने सहकर्मियों से पूछा कि क्या मुझे अपने निवेश में कटौती करनी चाहिए. मैंने जिनसे भी बात की, सभी ने मना कर दिया. इससे लंबे समय के निवेश का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है. अगर आप हर बार बीज के तने निकलने पर उसे काट देंगे तो आप पेड़ कैसे उगा सकते हैं?
मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे पिता ने मुझे म्यूचुअल फ़ंड शुरू करने में मदद की, मैं अभी भी एक इन्वेस्टमेंट रिसर्च कंपनी में काम करने के लिए खुद को खुशकिस्मत समझती हूं. शायद यही वजह है कि अब मैं समझ सकती हूं कि निवेश को शुरू में नज़रअंदाज़ करना मेरी ग़लती थी.
फ़ाइनेंशियली स्वतंत्र होने के लिए आपको विशेषज्ञ होने की ज़रूरत नहीं है - बस तैयार रहें. हो सकता है कि जब आप युवा हों तो आपके पास ऐसे लोग हों जिन पर आप भरोसा कर सकें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भविष्य में भी आपके पास ऐसे लोग होंगे. पैसे की समस्या अभी एक असुविधा हो सकती है लेकिन भविष्य में ये एक बड़ा संकट बन सकती है. एक नए निवेशक के रूप में आप जो सबसे समझदारी भरा निवेश का फैसला ले सकते हैं, वो है बस शुरुआत करना. निवेश के सिद्धांत इतने बुनियादी हैं कि उन्हें हमें प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया जाता है - सब्र का फल मीठा होता है.
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ये लेख पहली बार मार्च 13, 2025 को पब्लिश हुआ.