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जो लोग सोचते हैं कि वे बाज़ार की चाल का सही अनुमान लगा सकते हैं, उनके लिए बुरी खबर है: अक्सर ऐसा नहीं होता. लेकिन अगर कुछ लोग इसे पढ़कर इस दावे को बकवास या किसी तरह का दुष्प्रचार मान रहे हैं, तो हम आपके सामने कुछ ठोस आंकड़े रखते हैं.
टाइमिंग बनाम लगातार निवेश
आइए एक निवेशक की कल्पना करें जिसे पिछले 20 सालों से हर साल ₹1 लाख का बोनस मिलता है और वह इसे बाज़ार में निवेश करना चाहता है. वो सेंसेक्स इंडेक्स फ़ंड में SIP करता है, लेकिन उसके पास अपने बोनस को निवेश करने के लिए दो विकल्प हैं.
पहला विकल्प है बाज़ार में गिरावट का इंतज़ार करके समय का अंदाज़ा लगाना. तुरंत निवेश करने के बजाय, वो ₹1 लाख रुपये के बोनस को एक शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड में लगा देता है और इंतजार करता है. जब भी बाजार अपने पिछले पीक से 10 फ़ीसदी गिरता है, तो वह अपनी जमा पूंजी का एक हिस्सा - या तो 10 फ़ीसदी, 20 फ़ीसदी या 30 फ़ीसदी- इक्विटी फ़ंड में निवेश कर देता है.
दूसरा विकल्प व्यवस्थित रूप से निवेश करना है. बाज़ार में गिरावट का इंतजार करने के बजाय, वह बाज़ार की स्थिति पर ग़ौर किए बिना ₹1 लाख के बोनस को 12 महीनों (₹8,333 प्रति माह) में समान रूप से फैलाता है.
आइए देखें कि किस रणनीति से बेहतर परिणाम मिले.
नतीजाः व्यवस्थित निवेश रहा आगे
स्ट्रैटजी | निवेश की कुल वैल्यू (27 फ़रवरी, 2025) |
---|---|
हर 10% की गिरावट पर 10% का निवेश | ₹56.66 लाख |
हर 10% की गिरावट पर 20% का निवेश | ₹62.53 लाख |
हर 10% की गिरावट पर 30% का निवेश | ₹65.97 लाख |
₹8,333 की मासिक SIP | ₹66.29 लाख |
नोट: सेंसेक्स में निवेश करने के लिए शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़ंड बेचते समय टैक्स से जुड़े पहलुओं पर विचार नहीं किया गया है. इसके अलावा, SIP निवेश के बाद बचत खाते में बचे हुए बोनस पर अर्जित ब्याज को अनदेखा किया गया है. |
मंथली SIP के माध्यम से व्यवस्थित रूप से निवेश करने से मार्केट टाइमिंग के सभी बदलावों से बेहतर प्रदर्शन देखने को मिला. यहां तक कि जब गिरावट के दौरान ज़्यादा पैसा लगाया गया, तब भी स्थिर निवेश ने बेहतर रिटर्न दिया.
मार्केट टाइमिंग क्यों काम नहीं करता
गिरावट का इंतज़ार करने की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक ये है कि ऐसे दौर बार-बार नहीं आते हैं. कुछ अवधियों में, बाज़ार बिना किसी सार्थक गिरावट के वर्षों तक चढ़ते रहे. उदाहरण के लिए, फ़रवरी 2022 और नवंबर 2024 के बीच, ढाई साल से ज़्यादा समय तक 10 फ़ीसदी की कोई गिरावट देखने को नहीं मिली. गिरावट का इंतज़ार करने वाला निवेशक 41.5 फ़ीसदी की तेज़ी (13.5 फ़ीसदी सालाना) से चूक जाता, जबकि डेट फ़ंड ने उसी अवधि के दौरान केवल 17.8 फ़ीसदी (6.2 फ़ीसदी सालाना) रिटर्न दिया.
नीचे दी गई टेबल दर्शाती है कि पिछले वर्षों में सेंसेक्स को 10 फ़ीसदी तक गिरने में कितना समय लगा और इस बीच सेंसेक्स और डेट फ़ंड्स ने कितना रिटर्न दिया.
10% गिरावट की तारीख़ | पिछली गिरावट के बाद के दिन | सेंसेक्स का रिटर्न (%) | *डेट फ़ंड का रिटर्न (%) |
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18 अप्रैल, 2005 | - | - | - |
27 अक्तूबर, 2005 | 192 | 26.7% | 3.0% |
19 मई, 2006 | 204 | 40.3% | 3.1% |
28 फ़रवरी, 2007 | 285 | 18.3% | 5.2% |
17 अगस्त, 2007 | 170 | 9.3% | 4.2% |
21 जनवरी, 2008 | 157 | 24.5% | 4.0% |
14 जनवरी, 2011 | 1089 | 2.3% | 7.3% |
7 मई, 2015 | 1574 | 8.3% | 9.6% |
23 मार्च, 2018 | 1051 | 7.3% | 7.2% |
5 अक्तूबर, 2018 | 196 | 5.5% | 2.4% |
19 सितंबर, 2019 | 349 | 5.0% | 4.4% |
6 मार्च, 2020 | 169 | 4.1% | 5.3% |
24 फ़रवरी, 2022 | 720 | 20.8% | 5.7% |
21 नवंबर, 2024 | 1001 | 13.5% | 6.2% |
नोट: यदि अवधि 365 दिन (1 वर्ष) से ज़्यादा है तो रिटर्न एनुलाइज़ किया गया है; अन्यथा, एब्सॉल्यूट रिटर्न दिखाया गया है. शॉर्ट ड्यूरेशन फ़ंड्स के लिए कैटेगरी एवरेज रिटर्न पर विचार किया गया है. |
जो निवेशक गिरावट का इंतज़ार करते हैं, वे अक्सर सालों तक बाज़ार से बाहर रहते हैं, जिससे उन्हें मजबूत रिटर्न नहीं मिल पाता. इसके अलावा, ऊपर बताए गए 77 फ़ीसदी मामलों में, सेंसेक्स ने डेट फ़ंड्स की तुलना में ज़्यादा रिटर्न दिया, जिसका अर्थ है कि जिन निवेशकों ने बाज़ार में गिरावट का इंतज़ार करते हुए शॉर्ट-ड्यूरेशन फ़ंड्स में पैसा लगाया, वे उस अवधि के दौरान बेहतर इक्विटी रिटर्न हासिल करने से चूक गए.
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10 फ़ीसदी की गिरावट के बाद बाज़ार और भी गिर सकता है
10 फ़ीसदी की गिरावट हमेशा सबसे निचला स्तर नहीं होती. पिछले 20 वर्षों में 14 में से पांच गिरावट में, बाज़ार में रिकवरी से पहले 20 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई. चुनौती ये है कि पहले से ये जानने का कोई तरीक़ा नहीं है कि 10 फ़ीसदी की गिरावट एक छोटी सी गिरावट है या एक बड़ी गिरावट की शुरुआत है.
जिस तारीख़ को सेंसेक्स ने बॉटम छूआ | ऑल-टाइम हाई से गिरावट (%) | बॉटम तक पहुंचने में लगे दिन |
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14 जून, 2006 | -29.2 | 35 |
9 मार्च, 2009 | -60.9 | 426 |
20 दिसंबर, 2011 | -27.8 | 410 |
11 फ़रवरी, 2016 | -22.7 | 378 |
23 मार्च, 2020 | -38.1 | 69 |
अगर निवेशक गिरावट का इंतजार भी करते हैं, तो भी वे बहुत जल्दी निवेश कर सकते हैं और आगे और गिरावट का सामना कर सकते हैं.
व्यवस्थित निवेश हमेशा जीतता है
धनक वैल्यू रिसर्च में, हमने हमेशा मार्केट टाइमिंग की तुलना में व्यवस्थित निवेश की वकालत की है क्योंकि बाज़ार पूर्वानुमान के अनुसार व्यवहार नहीं करते हैं. डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लगातार निवेश बनाये रहना 'सही समय' में प्रवेश करने के लिए इंतज़ार करने से बेहतर परिणाम देता है.
व्यवस्थित रूप से निवेश करने से सुनिश्चित होता है कि नकदी या डेट फंड में बेकार पड़े रहने के बजाय पैसा हमेशा काम कर रहा है. ये अनुमान लगाने की प्रक्रिया को समाप्त करता है और बाज़ार की चाल की भविष्यवाणी करने की कोशिश करने से जुड़ी चिंता को दूर करता है. किसी अज्ञात बॉटम का इंतज़ार करने के बजाय, एक अनुशासित नज़रिया ज़्यादा चतुर और प्रभावी रणनीति साबित होता है.
कुल मिलाकर, वैल्थ तैयार करने की असली कुंजी बाज़ार में समय बिताना है, न कि मार्केट टाइमिंग करना.
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ये लेख पहली बार मार्च 07, 2025 को पब्लिश हुआ.