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" जो तुम्हारा है वो मेरा है, और जो मेरा है... वो भी मेरा है," कंट्रोल करने वाला हर पार्टनर हमेशा यही कहता है.
एक फ़ैमिली फ़्रेंड ने कई सालों के विरोध के बाद बेमन से अरेंज मैरिज के लिए राज़ी हो गई. हैरानी की बात है कि उसके मंगेतर ने हर लिहाज़ से सही काम किया - स्मार्ट, करियर-ओरिएंटेड, सम्मान देने वाला और अच्छा शिष्ट व्यवहार करने वाला जिसे अंग्रेज़ी में शिवलरस कहते हैं (ये देखते हुए कि ऐसा क़ायदा ख़त्म हो चुका है ये एक सुखद बात थी).
उन दोनों ने शादी कर ली और साथ रहने लगे, हर उस इंस्टाग्राम कपल की ज़िंदगी जी रहे हैं जिनसे आपको सख़्त चिढ़ होती है.
लेकिन समय ने सारी सच्चाई उजागर कर दी. कपड़े धोने के दिन "मैं भूल गया" में बदल गए, खाना बनाना उसका डिफ़ॉल्ट काम बन गया, और बर्तन धोना, एक जंग थी कि कौन गंदे बर्तनों को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ कर सकता है. उसकी सैलरी "भविष्य के लिए" थी, और मेरी दोस्त की सैलरी "रोज़ के ख़र्चों" को कवर करती थी. उन्हें एहसास हुआ कि उनका "परफ़ेक्ट" मैच सिर्फ़ दो ऐसे लोग थे जिनमें कोई तालमेल नहीं था जो एक-दूसरे के साथ फ़िट होने के लिए ज़बरदस्ती कर रहे थे.
एक साल बाद, बातचीत बहस में बदल गई, डेट नाइट्स गायब हो गईं, और उनका 'हमेशा के लिए' इस बात की उलटी गिनती बन गया कि कौन पहले छोड़ेगा.
आख़िरकार, पति ने ही ये काम किया. शुक्र है कि मेरी फ़्रेंड के पास एक भरोसेमंद नौकरी और उसका परिवार था जिन पर वो भरोसा कर सकती थी.
कई महिलाएं ऐसा नहीं कर पातीं. आर्थिक शोषण - पैसे पर नियंत्रण करना, सैलरी ले लेना, फ़ाइनेंस से जुड़े फ़ैसलों में अपनी चलाना, पत्नी के नाम पर लोन और क़र्ज़ लेना वगैरह - इतना आम हो गया है कि लोग इस बात को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि इससे उन महिलाओं को कितना नुक़सान होता है जिन्हें इससे गुज़रना पड़ता है.
ऐसे तमाम केस में, इमरजेंसी फ़ंड सिर्फ़ पैसा नहीं है; ये आज़ादी और सुरक्षा है. ये घरेलू, रोमांटिक, कामकाज, ईलाज जैसी सभी तरह की मुश्किलों पर क़ाबू पाने को संभव बनाता है.
तो आइए चर्चा करते हैं कि इमरजेंसी क्या है और इसके लिए फ़ंड कैसे बनाया जाए.
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आइए जानें इमरजेंसी किसे कहेंगे
इमरजेंसी एक फ़ाइनेंशियल घटना या स्थिति है जो आपकी स्थिरता और सुरक्षा को झकझोर कर सकती है. इसका मतलब ये नहीं कि आपके पास एक्स्ट्रा कैश है जिसका इस्तेमाल आप किसी भी मुश्किल वक़्त में कर सकते हैं. असल इमरजेंसी को ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च से अलग करने में मदद के लिए, इन बातों के बारे में सोचिए.
इमरजेंसी फ़ंड किस लिए है?
1. नौकरी छूटना या आमदनी का रुकना : करियर ब्रेक, नौकरी का जाना या बिना सैलरी की मैटरनिटी लीव.
2. मेडिकल इमरजेंसी : चाहे वो दुर्घटना हो, अचानक आई कोई बीमारी हो, या यहां तक कि ईलाज का ख़र्च जो इंश्योरेस में कवर नहीं होता.
3. ख़राब स्थिति से बाहर निकलना : ऐसा ऑफ़िस जहां का माहौल ख़राब हो, एक असुरक्षित संबंध, या एक घरेलू वातावरण जो सुरक्षित नहीं रह गया हो.
4. पारिवारिक ज़िम्मेदारियां : माता-पिता के लिए ईलाज और देखभाल, चाइल्डकैअर का ख़र्च, दूसरे के लिए फ़ाइनेंशियल सेफ़्टी नेट बनना, वगैरह.
5. क़ानूनी या हाउसिंग इमरजेंसी : अचानक किराए का बढ़ना, एक अपनी जगह के लिए डिपॉज़िट, या तलाक या हिरासत की क़ानूनी लड़ाई जैसे मामलों में फ़ीस.
6. ज़रूरी बड़ी मरम्मत : जब आप फ़्रीलांसर हों तो टूटा हुआ लैपटॉप, जब कार आपके लिए आने-जाने का एकमात्र साधन हो तो उसकी रिपेयर - कोई भी ऐसी चीज़ जो सीधे आपकी कमाई या काम करने की क्षमता को प्रभावित करती हो.
इमरजेंसी फ़ंड किस चीज़ के लिए नहीं है
1. निवेश : निवेश धन-निर्माण के लिए है, इमरजेंसी के लिए नहीं. आपका इमरजेंसी फ़ंड सुरक्षित, स्थिर और आसानी से उपलब्ध होना चाहिए.
2. जीवनशैली में सुधार : एक बड़ा अपार्टमेंट, एक शानदार कार या बिना प्लानिंग के बनाया गया छुट्टियों में घूमना.
3. इमरजेंसी के रूप में छिपे हुए ग़ैर-जरूरी ख़र्च : किसी ऐसी चीज़ को बेचना जिसकी आपको "आख़िरकार ज़रूरत है" इमरजेंसी नहीं है. एक फ़्लैट टायर जो कुछ दिनों तक इंतज़ार कर सकता है? नहीं इसके लिए भी ये फ़ंड नहीं है.
4. ख़ुद की क़ीमत पर दूसरों को फ़ंड देना : उदार होना अच्छी बात है, लेकिन अगर किसी और के ख़र्चों को कवर करने से आपकी ख़ुद की स्थिरता ख़तरे में पड़ती है, तो ये फ़ाइनेंशियल इंपावरमेंट या वित्तीय सशक्तिकरण नहीं है - ये ख़ुद को नुक़सान पहुंचाना है.
एक इमरजेंसी फ़ंड आपको तैयार रखता है और सबसे बुरे समय के लिए आपका साथ देता है. इसका मतलब ये नहीं है कि आपको ऐसे हालातों को सामना करना ही होगा, इसलिए इस बारे में डरने की कोई बात नहीं है.
अब, आइए बात करते हैं कि इस सेफ़्टी नेट की लागत कितनी है.
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आपको कितना बचाना चाहिए? 3-6-12 नियम
आपका इमरजेंसी फ़ंड इतना बड़ा होना चाहिए कि आप अपना ख़र्च चला सकें, लेकिन इतना रियलिस्टिक या यथार्थवादी भी होना चाहिए कि आप बिना तनाव के इसे बना सकें. 3-6-12 नियम को अपनाएं. यहां बताया गया है कि आप अपने इमरजेंसी फ़ंड का कैलकुलेशन कैसे कर सकते हैं:
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स्टेप 1
: अपने ज़रूरी मासिक खर्चों की लिस्ट बनाएं: किराया, बिल, किराने का सामान, लोन भुगतान.
- स्टेप 2: अपनी स्थिति के आधार पर 3, 6 या 12 महीनों से गुणा करें. नीचे टेबल में इसका ब्रेकडाउन दिया गया है.
इमरजेंसी फ़ंड के लिए 3-6-12 का रूल
जीवन की परिस्थिति | कम-से-कम सेविंग की ज़रूरत |
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सिंगल हैं, कोई आप पर निर्भर नहीं | 3 तीन महीने के ख़र्च के लिए |
शादीशुदा, डबल-इनकम | 3-6 महीने के ख़र्च के लिए |
अकेले अभिभावक हैं / अकेले कमाने वाले हैं | 6-12 महीनों के ख़र्च के लिए |
इस बात को समझने की ज़रूरत है कि ये कोई पत्थर पर लकीर जैसा रूल नहीं है. आपको इसे रातों-रात नहीं बनाना है. सबसे पहले, अपने इमरजेंसी फ़ंड के लिए एक अलग अकाउंट बनाएं, और अपनी पसंद के छोटे-छोटे पेमेंट को ऑटोमेट (स्वचालित) करें. अगर हो सके तो अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ इस फ़ंड में धीरे-धीरे-धीरे-धीरे जमा होने वाली रक़म को बढ़ाएं.
अपना इमरजेंसी फ़ंड कहां रखें
अपनी इमरजेंसी फ़ंड को तीन-लेवल में बांटना सबसे अच्छा रहेगा. ये आपके पैसे को बिना किसी गारंटी के लॉक कर देगा, सुरक्षा और ग्रोथ पक्का करेगा.
लेयर 1: आपके पास रखा कैश
एक महीने के ख़र्च की रक़म को अपने पास कैश रखें, जिसका इस्तेमाल बहुत ज़रूरी होने पर ही करें. कैश हाथ में होने से ये पक्का हो जाता है कि किसी इमरजेंसी में ज़रूरत पड़ने पर आपको कोई परेशानी नहीं होगी - ये कैश मेडिकल, बिना प्लानिंग वाली यात्रा, या अचानक आने वाला ख़र्च जिसमें डिजिटल पेमेंट काम नहीं करता, उसके लिए है.
लेयर 2: सेविंग अकाउंट और स्वीप-इन डिपॉज़िट
इस कैश तक ATM/डेबिट कार्ड के ज़रिए आसानी से पहुंचा जा सकता हो. ये स्वीप-इन डिपॉज़िट, FD की तरह काम करते हैं, लेकिन जब आपका बैलेंस एक तय सीमा से नीचे चला जाता है, तो इनमें अपने आप ही पैसा आ जाता है - जिससे आपको ऊंची ब्याज दर मिलती है और साथ ही फ़ंड आसानी से आपकी पहुंच में रहता है.
लेयर 3: लिक्विड म्यूचुअल फ़ंड
वे सेविंग अकाउंट के मुक़ाबले बेहतर रिटर्न देते हैं और ग़ैर-ज़रूरी इमरजेंसी के लिए 24 घंटे के भीतर निकाले जा सकते हैं.
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चलते-चलते
इमरजेंसी फ़ंड बनाने को टालना आसान है. "मैं अगले महीने से शुरू कर रही हूं" "क्या मुझे सच में इसकी ज़रूरत है?" इमरजेंसी का स्वभाव ऐसा होता है कि ये तुरंत एक्शन लेने की मांग करती हैं. वे बिना किसी पहले से चेतावनी दिए अचानक ज़िंदगी में आती हैं. इसलिए अगर आप जितना जल्दी इसके लिए बचत करना शुरू करेगी, इतना ही बेहतर होगा.
आप इसे इस सोच के साथ मत जमा करना शुरू करें कि कुछ बहुत बुरा होने ही वाला है. इमरजेंसी फ़ंड उस स्थिति के लिए आपका सपोर्ट है जो अगर हो जाए, तब भी आपको पैसों को लेकर किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. आख़िर जब ज़िंदगी कोई परेशानी आपकी तरफ़ लाती है तो पैसा आख़िरी चीज़ होनी चाहिए जिसके बारे में आपको चिंता करना पड़े.
ये लेख पहली बार मार्च 07, 2025 को पब्लिश हुआ.