शेयर मार्केट में पैसा लगाने के दो मोटे तौर पर दो बड़े तरीक़े हैं - ट्रेडिंग और निवेश . ये दोनों ही शेयर मार्केट में भागीदारी के अहम पहलू हैं, लेकिन इनमें स्ट्रैटजी, समय और रिस्क के स्तर में काफ़ी अंतर होता है. अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं या सोच रहे हैं कि आप कौन-सा तरीक़ा अपनाएं, तो हमारा ये लेख आपको सही फ़ैसले लेने में मदद करेगा.
ट्रेडिंग और निवेश: एक तुलना
ख़ासियत | ट्रेडिंग | निवेश |
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अवधि | शॉर्ट टर्म (कुछ सेकंड से कुछ महीनों तक) | लॉन्ग टर्म (कई सालों तक) |
रिस्क | हाई रिस्क, तेज़ी से मुनाफ़ा या नुक़सान | ट्रेडिंग के मुक़ाबले कम रिस्क, स्थिर रिटर्न |
मुनाफ़ा कमाने का तरीक़ा | प्राइस के उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाना | कंपनी की ग्रोथ में भागीदारी |
फ़ैसले का आधार | टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट पैटर्न | फ़ंडामेंटल अनालेसिस, कंपनी की ग्रोथ |
निवेश की ज़रूरत | ज़्यादा समय देना और लगातार एक्टिव रहना | धीरज और अनुशासन |
ट्रेडिंग: तेज़ मुनाफ़े की स्ट्रैटजी
ट्रेडिंग क्या है?
ट्रेडिंग का मायने है शेयरों को ख़रीदना और बेचना, आमतौर पर एक छोटे समय-सीमा के भीतर . कोशिश ये होती है कि सस्ता ख़रीद कर महंगा बेचा जाए. मोटे तौर पर चार तरह के ट्रेडिंग स्टाइल होते हैं:
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इंट्राडे ट्रेडिंग:
एक ही दिन में शेयरों को ख़रीदकर बेचना
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स्कैल्पिंग:
कुछ सेकंड या मिनटों के भीतर शेयर ख़रीदकर बेचना
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स्विंग ट्रेडिंग:
कुछ दिनों या हफ़्तों के लिए स्टॉक्स रखना
- पॉज़िशनल ट्रेडिंग: कुछ महीनों तक शेयर रखना
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ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुक़सान
फ़ायदे:
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ट्रेडिंग में तेज़ मुनाफ़े की संभावना होती है, क्योंकि इसमें कम समय में बड़े उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाया जा सकता है.
- मार्जिन ट्रेडिंग के ज़रिए कम पूंजी में भी ज़्यादा निवेश करने का मौक़ा मिलता है.
नुक़सान:
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इसमें रिस्क ज़्यादा होता है, जिससे बड़ा नुक़सान भी हो सकता है.
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सफल ट्रेडिंग के लिए मार्केट की गहरी समझ और नियमित निगरानी ज़रूरी होती है.
- ट्रांज़ैक्शन फ़ीस और टैक्स का ख़र्च ज़्यादा होता है, जिससे मुनाफ़े पर असर पड़ सकता है.
निवेश: धैर्य और अनुशासन की चाभी
निवेश क्या है?
निवेश का अर्थ है लंबी अवधि के लिए शेयर ख़रीदना और कंपनी की ग्रोथ का फ़ायदा उठाना. निवेशकों का लक्ष्य कंपनी की फ़ंडामेंटल वैल्यू के आधार पर अपनी पूंजी या संपत्ति को बढ़ाना होता है.
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निवेश के फ़ायदे और नुक़सान
फ़ायदे:
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निवेश में
कंपाउंडिंग
का फ़ायदा मिलता है, जिससे समय के साथ आपका पैसा तेज़ी से बढ़ता है.
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ट्रेडिंग के मुक़ाबले निवेश में रिस्क कम होता है और लंबे समय में स्थिर और सुरक्षित रिटर्न मिलने की संभावना रहती है.
- निवेशकों को डिविडेंड और बोनस शेयर जैसे एक्सट्रा फ़ायदे भी मिलते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ सकती है.
नुक़सान:
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जब मार्केट में मंदी आती है, तो शांत बैठे रहना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आप अपने निवेश की वैल्यू को गिरते हुए देखते हैं, हालांकि उतार-चढ़ाव अस्थाई होते हैं और इसलिए आपका पैसा भी अस्थायी रूप से गिर सकता है.
- शॉर्ट-टर्म में तेज़ मुनाफ़े की संभावना कम होती है, इससे जो लोग जल्दी फ़ायदा चाहते हैं उनके लिए ये बोरिंग हो सकता है.
आंकड़े और प्रदर्शन की तुलना
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निफ़्टी 50 इंडेक्स ने पिछले 10 साल में औसतन 12-14% का सालाना रिटर्न दिया है.
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वहीं, इंट्राडे ट्रेडिंग में क़रीब 90% नए ट्रेडर नुक़सान उठाते हैं.
- लंबे समय तक निवेश करने वाले वॉरेन बफ़े जैसे दिग्गज निवेशकों ने क़रीब 20-25 प्रतिशत का सालाना कंपाउंडिंग रिटर्न कमाया है.
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आपके लिए क्या बेहतर है?
हर किसी को अपनी ज़रूरत और स्वभाव के अनुसार ही इसका फ़ैसला करना चाहिए. आख़िर स्टॉक मार्केट में ट्रेडर भी बहुत से हैं और निवेशक भी. हम आपके सामने इस स्टोरी के ज़रिए ख़ूबियां और ख़ामियां बता रहे हैं जिसे समझ कर आपको अपने लिए फ़ैसला करना चाहिए. नीचे हमने कुछ बड़ी-बड़ी बातें इसी नज़रिए से आपके सामने रखीं हैं जिन्हें आपको समझना चाहिए और फिर अपना फ़ैसला लेना चाहिए:
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तेज़ मुनाफ़े की चाह रखते हैं और ऊंचा रिस्क उठाने को तैयार हैं, तो ट्रेडिंग एक विकल्प हो सकता है. मगर फिर मुनाफ़ा कमाने वाले ट्रेडरों का प्रतिशत देखेंगे तो ये आंकड़ा आपको दोबारा सोचने पर मजबूर ही करेगा,
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लंबे समय के दौरान अपनी अपनी पूंजी बढ़ाना चाहते हैं और आपने धीरज रखने का माद्दा भी है, तो निवेश आपके लिए अच्छा रहेगा. हमारे देश की अर्थव्यवस्था अच्छी है. मार्केट के ऐतिहासिक प्रदर्शन दिखाते हैं कि लंबे समय में ये ऊपर ही गया है और आगे भी ऐसा ही होने की उम्मीद है. तो लंबे समय का नज़रिया रखना बढ़िया रहेगा हालांकि, उतार-चढ़ाव इक्विटी में निवेश का हिस्सा हैं जो अक्सर शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए कहीं ज़्यादा घाटे का सौदा साबित होते हैं.
- आप बैलेंस्ड अप्रोच भी रख सकते हैं, जिसमें ट्रेडिंग का कुछ हिस्सा हो और बाक़ी लंबे समय के निवेश में पैसा लगाया जाए. वैसे ट्रेडिंग का हिस्सा जितना कम होगा उतना बेहतर कहा जा सकता है.
हालांकि, शेयर मार्केट में पैसा बनाने के लिए शामिलल लोगों के लिए ट्रेडिंग और निवेश दोनों की अपनी अहमियत होती है, लेकिन इनमें से कौन-सा तरीक़ा आपके लिए सही होगा, ये आपकी जोखिम उठाने की क्षमता, समय, और लक्ष्य पर निर्भर करता है. मार्केट में धैर्य और अनुशासन सफलता की चाभी है, इसलिए कोई भी फ़ैसला लेने से पहले अपनी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग को ध्यान में रखें.
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ट्रेडिंग और निवेश पर सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या ट्रेडिंग से लंबे समय में ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है?
ये संभव है, लेकिन ज्यादातर ट्रेडर्स लॉन्ग टर्म में नुक़सान उठाते हैं. निवेश ज़्यादा स्थिर लाभ देता है.
2. क्या एक ही व्यक्ति ट्रेडिंग और निवेश दोनों कर सकता है?
हां, लेकिन ये महत्वपूर्ण है कि दोनों के लिए अलग-अलग स्ट्रैटजी अपनाई जाए.
3. ट्रेडिंग में सबसे ज़्यादा ग़लती क्या होती है?
बिना रिसर्च किए ट्रेड करना, भावनाओं में बहकर फ़ैसला लेना और मनी मैनेजमेंट को नज़रअंदाज़ करना.
4. निवेश के लिए सबसे अच्छा तरीक़ा क्या है?
लंबे अर्से के लिए अच्छी कंपनियों के शेयर ख़रीदना और SIP के ज़रिए नियमित निवेश करना.
5. शेयर मार्केट में नए निवेशकों के लिए क्या सुझाव है?
पहले निवेश की मूल बातें सीखीए, छोटी रक़म से शुरुआत करें और मार्केट का शोर जब ज़्यादा हो तब धीरज बनाए रखें.
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ये लेख पहली बार मार्च 06, 2025 को पब्लिश हुआ.